नागपुर, दि. 24:
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 (National Trust Act, 1999) के प्रावधानों के तहत दिव्यांग व्यक्तियों के लिए वैधानिक अभिभावकत्व (Statutory Guardianship) की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी, जिला परिषद नागपुर द्वारा एक महत्वपूर्ण सूचना जारी की गई है। इस सूचना के अनुसार, कुल 5 अभिभावकों के आवेदन स्थानीय स्तर समिति (Local Level Committee) के समक्ष प्राप्त हुए हैं।
सूचना में स्पष्ट किया गया है कि इन आवेदनों में उन अभिभावकों के नाम सम्मिलित हैं जिन्होंने मतिमंद (Intellectually Disabled) बच्चों के लिए पालकत्व (Guardianship) हेतु आवेदन प्रस्तुत किया है। नागपुर जिला परिषद के कार्यालय में यह सूची नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित कर दी गई है, साथ ही जिलाधिकारी कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर भी इसका अवलोकन किया जा सकता है।
आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया
यदि इन अभिभावकत्व आवेदनों को लेकर किसी भी प्रकार का विवाद, हरकत, शिकायत अथवा आपत्ति किसी परिवारजन, रिश्तेदार या नज़दीकी सदस्य को है, तो उन्हें एक सप्ताह के भीतर अपनी लिखित आपत्ति प्रस्तुत करनी होगी। इसके लिए आपत्तिकर्ता को स्वयं जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी, जिला परिषद नागपुर के कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना आवश्यक है।
कार्यालयीन समय में संबंधित अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है और अधिक जानकारी के लिए जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी के कार्यालयीन दूरध्वनि क्रमांक 0712-2564324 पर संपर्क साधा जा सकता है।
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 का महत्व
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 (National Trust Act, 1999) विशेष रूप से मानसिक रूप से दिव्यांग, ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी और मल्टीपल डिसएबिलिटी वाले व्यक्तियों के अधिकारों और सुरक्षा की दृष्टि से लाया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य दिव्यांग नागरिकों के लिए अभिभावक नियुक्त करना, उनके हितों की रक्षा करना और उन्हें सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से सुरक्षित करना है।
स्थानीय स्तर समिति (Local Level Committee) इस अधिनियम के तहत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह समिति सुनिश्चित करती है कि किसी भी दिव्यांग व्यक्ति के लिए चुना गया अभिभावक उसके हितों के अनुरूप कार्य करेगा और परिवार या समाज में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न नहीं होगा।
नागपुर जिला परिषद की सक्रियता
नागपुर जिला परिषद लंबे समय से दिव्यांग व्यक्तियों के हितों के लिए सक्रिय रही है। जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी के कार्यालय से समय-समय पर विभिन्न योजनाओं, सुविधाओं और अधिकारों को लेकर नोटिस जारी किए जाते हैं। इस बार अभिभावकत्व प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सूची सार्वजनिक की गई है ताकि परिवार के अन्य सदस्य भी अपनी राय या आपत्ति दर्ज कर सकें।
पारदर्शिता और सामाजिक भागीदारी
इस तरह की प्रक्रिया समाज में पारदर्शिता (Transparency) और सहभागिता (Participation) दोनों को बढ़ावा देती है। यदि किसी अभिभावकत्व आवेदन पर परिवार का कोई सदस्य संतुष्ट नहीं है, तो वह अपने विचार रख सकता है। इससे न केवल विवादों का समाधान होता है, बल्कि दिव्यांग बच्चों की सुरक्षा और देखभाल भी बेहतर तरीके से सुनिश्चित होती है।
निष्कर्ष
नागपुर जिला परिषद द्वारा जारी यह सूचना दिव्यांग अधिकारों की दिशा में एक और अहम कदम है। अब देखना होगा कि आने वाले सप्ताह में कितनी आपत्तियाँ दर्ज होती हैं और अंततः किन अभिभावकों को कानूनी मान्यता प्राप्त होती है।