Nagpur EOW Officer Transfer: मेदिट्रिना हॉस्पिटल केस से बाबनराव येडगे हटाए गए, उठे गंभीर सवाल
नागपुर पुलिस विभाग में एक बड़ा और अप्रत्याशित कदम सामने आया है। Nagpur EOW Officer Transfer ने न केवल शहर बल्कि पूरे महाराष्ट्र में बहस छेड़ दी है। दरअसल, नागपुर पुलिस के आर्थिक गुन्हे विभाग (Economic Offences Wing – EOW) से जुड़े वरिष्ठ और ईमानदार जाँच अधिकारी बाबनराव येडगे को अचानक मेदिट्रिना हॉस्पिटल से जुड़े बहुचर्चित 18 करोड़ रुपये के आर्थिक अपराध मामले से हटा दिया गया।
यह वही केस है जिसने बीते महीनों में सुर्खियाँ बटोरीं। बाबनराव येडगे ने 4–5 महीनों तक इस केस में गहराई से जाँच की और अदालत में ठोस सबूत पेश किए। उनकी निष्पक्षता और साक्ष्य-आधारित जाँच की सराहना होती रही। लेकिन ठीक उस समय, जब आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई होने वाली है, उन्हें केस से हटाने का आदेश जारी हुआ।
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23 सितंबर 2025 को नागपुर न्यायालय ने आरोपियों की एड-इंटरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद 29 सितंबर 2025 को मुख्य जमानत याचिका पर सुनवाई तय हुई। इसी बीच नागपुर पुलिस की ओर से आदेश निकला कि बाबनराव येडगे को इस केस से हटा दिया जाए। आदेश पर डीसीपी महक स्वामी के हस्ताक्षर हैं। इस घटनाक्रम ने मामले की पारदर्शिता और जाँच प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
सवालों के घेरे में Nagpur EOW Officer Transfer
यह कदम महज प्रशासनिक प्रक्रिया बताया जा रहा है, लेकिन जानकार इसे संदिग्ध मान रहे हैं। किसी भी जाँच अधिकारी का ट्रांसफर उस समय विवादास्पद हो जाता है जब केस अदालत में निर्णायक मोड़ पर हो। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे जाँच की निरंतरता और पारदर्शिता पर असर पड़ सकता है।
जनता के बीच यह धारणा गहराई से बैठ रही है कि ईमानदार जाँच को जानबूझकर बाधित किया गया है। लोकतांत्रिक संस्थाओं और न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता को लेकर यह घटना गंभीर संकेत देती है।
राजनीतिक और सामाजिक हलचल
विदर्भ और नागपुर की कई सामाजिक संस्थाओं ने इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि अदालत की जमानत खारिज करने के बाद जाँच को और कड़ा होना चाहिए था। इसके बजाय अधिकारी को हटाना यह दर्शाता है कि केस पर बाहरी दबाव काम कर रहा है।
वहीं विपक्षी दलों ने इसे सीधे तौर पर “जाँच की पारदर्शिता पर हमला” बताया है। उनका आरोप है कि बड़े रसूखदार लोग आर्थिक अपराध केस की दिशा मोड़ने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जनता की उम्मीदें और अदालत की भूमिका
अब निगाहें 29 सितंबर को नागपुर सत्र न्यायालय में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। अदालत किस तरह इस घटनाक्रम को देखती है और जाँच की दिशा तय करती है, यह आने वाले दिनों में नागपुर पुलिस की छवि और जनता के भरोसे पर निर्णायक असर डालेगा।
वेब स्टोरी:
निष्कर्ष
Nagpur EOW Officer Transfer महज एक अधिकारी का हटना नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। बाबनराव येडगे जैसे ईमानदार अधिकारी को केस से हटाना उस संदेश को मजबूत करता है कि सच्चाई तक पहुँचने का रास्ता हमेशा आसान नहीं होता। आने वाले दिनों में अदालत का फैसला और नागपुर पुलिस का रुख इस बहस को और गहरा करेगा।