जब शिक्षा संस्थानों को मिलता है संतों का नाम
महाराष्ट्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक दृष्टि से सार्थक निर्णय लेते हुए राज्य के सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को संतों और महापुरुषों के नाम देने का फैसला किया है। इसी कड़ी में 8 दिसंबर को संत जगनाडे महाराज की जयंती के शुभ अवसर पर, नागपुर स्थित सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान का नामकरण संत जगनाडे महाराज के नाम पर किया जाएगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस समारोह का शुभारंभ करेंगे। कौशल विकास मंत्री मंगलप्रभात लोढा ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि यह केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि संतों की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सार्थक प्रयास है।
संत जगनाडे महाराज: समता और मानवता के दूत
संत जगनाडे महाराज महाराष्ट्र के उन संतों में से एक थे जिन्होंने समाज में समानता, मानवता और सामाजिक उत्थान का संदेश फैलाया। वे संत तुकाराम से गहरे प्रभावित थे और तुकाराम महाराज के अभंगों में व्यक्त विचारों को अपनी रचनाओं के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया।
संत तुकाराम 17वीं शताब्दी के महान संत और कवि थे जिन्होंने भक्ति आंदोलन को आगे बढ़ाया। उनके अभंग आज भी महाराष्ट्र में हर घर में गाए जाते हैं। संत जगनाडे महाराज ने न केवल तुकाराम महाराज के विचारों को प्रचारित किया, बल्कि उनकी गाथाओं के संकलन और संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मंत्री मंगलप्रभात लोढा ने बताया कि संत जगनाडे महाराज ने अपने अभंगों के माध्यम से समानता और सामाजिक न्याय का संदेश दिया। उस समय जब समाज में जाति-पाति का भेदभाव चरम पर था, संतों ने ही वह आवाज उठाई जो सभी को समान मानती थी। संत जगनाडे महाराज भी उसी परंपरा के वाहक थे।
कौशल विकास और संतों की विरासत का संगम
कौशल विकास मंत्रालय का यह निर्णय कि राज्य के सभी आईटीआई संस्थानों को संतों और महापुरुषों के नाम दिए जाएं, एक दूरदर्शी कदम है। आईटीआई यानी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान वे जगहें हैं जहां युवाओं को तकनीकी कौशल सिखाए जाते हैं। ये संस्थान समाज के उन युवाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं और जल्द से जल्द रोजगार पाना चाहते हैं।
जब इन संस्थानों का नाम संतों के नाम पर रखा जाता है, तो यह केवल एक प्रतीकात्मक कदम नहीं है। यह उन युवाओं को संतों के जीवन और विचारों से जोड़ने का माध्यम बनता है। हर दिन जब कोई विद्यार्थी संस्थान में प्रवेश करेगा, तो उसे संत जगनाडे महाराज का नाम याद आएगा। धीरे-धीरे यह जिज्ञासा पैदा होगी कि ये महापुरुष कौन थे, उन्होंने समाज के लिए क्या किया।
इस तरह शिक्षा और संस्कृति का एक सुंदर संगम बनता है। तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा भी मिलती है। यह विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए जरूरी है।
8 दिसंबर: विशेष दिन, विशेष आयोजन
संत जगनाडे महाराज की जयंती 8 दिसंबर को मनाई जाती है। इसी दिन इस नामकरण समारोह का आयोजन करना एक सुविचारित निर्णय है। यह केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि संत जगनाडे महाराज के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
इस समारोह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अलावा उपमुख्यमंत्री अजित पवार, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और पूर्व नागपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक कृष्णा खोपड़े भी उपस्थित रहेंगे। इतने वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति इस कार्यक्रम के महत्व को दर्शाती है।
जब राज्य के शीर्ष नेता किसी कार्यक्रम में उपस्थित होते हैं, तो यह संदेश जाता है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। यह केवल एक फोटो सेशन नहीं है, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं का प्रतिबिंब है।
समाजप्रबोधन कार्यक्रम: संतों के विचारों को जीवित रखना
कौशल विकास मंत्री मंगलप्रभात लोढा ने संत जगनाडे महाराज जयंती के उपलक्ष्य में सभी सरकारी आईटीआई संस्थानों में समाजप्रबोधन कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया है। यह एक महत्वपूर्ण पहल है क्योंकि केवल नाम बदलने से काम नहीं चलता, उस नाम के पीछे की विरासत को भी जीवित रखना जरूरी है।
समाजप्रबोधन का अर्थ है समाज को जागरूक करना, उसे सही दिशा दिखाना। संत जगनाडे महाराज ने अपने समय में यही काम किया था। उन्होंने अपने अभंगों और उपदेशों के माध्यम से समाज को समानता और मानवता का संदेश दिया। आज जब हम उनकी जयंती मनाते हैं, तो हमारा दायित्व है कि हम उन संदेशों को याद करें और उन्हें अपने जीवन में उतारें।
नागपुर स्थित संत जगनाडे महाराज आईटीआई में 8 दिसंबर को जयंती समारोह उत्साहपूर्वक मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, प्राचार्य और विभिन्न विभागों के प्रमुख उपस्थित रहेंगे। संत जगनाडे महाराज के समता और सामाजिक कार्यों पर मार्गदर्शक भाषण दिए जाएंगे।
विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत
जब किसी शिक्षण संस्थान का नाम किसी महापुरुष के नाम पर होता है, तो वह संस्थान केवल एक इमारत नहीं रह जाता, बल्कि एक प्रेरणा स्थल बन जाता है। आईटीआई में पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थी समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। उनके लिए जीवन में आगे बढ़ना, अच्छी नौकरी पाना और परिवार की स्थिति सुधारना एक बड़ी चुनौती है।
ऐसे में जब वे संत जगनाडे महाराज के बारे में जानेंगे, जिन्होंने समाज में समानता का संदेश दिया, जिन्होंने यह बताया कि हर व्यक्ति सम्मान का अधिकारी है, तो यह उनके लिए प्रेरणा का काम करेगा। वे समझेंगे कि केवल आर्थिक उन्नति ही नहीं, बल्कि नैतिक मूल्य और सामाजिक जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण है।
संत जगनाडे महाराज का जीवन यह संदेश देता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, अगर व्यक्ति के पास सही मूल्य और दृढ़ संकल्प हो, तो वह समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
महाराष्ट्र की संत परंपरा
महाराष्ट्र की धरती संतों की भूमि रही है। ज्ञानेश्वर, तुकाराम, नामदेव, एकनाथ, रामदास – इन सभी संतों ने भक्ति आंदोलन को आगे बढ़ाया और समाज में समता, करुणा और मानवता का संदेश फैलाया। संत जगनाडे महाराज भी इसी परंपरा की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
इन संतों की खासियत यह थी कि उन्होंने संस्कृत में नहीं, बल्कि आम जनता की भाषा मराठी में अपनी रचनाएं लिखीं। उन्होंने मंदिरों तक सीमित रहने के बजाय गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद किया। उन्होंने जाति-पाति के भेदभाव को चुनौती दी और कहा कि भगवान के सामने सभी समान हैं।
जब सरकार आईटीआई संस्थानों को इन संतों के नाम पर रखती है, तो वह इस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोने और आगे बढ़ाने का काम कर रही है। यह केवल अतीत की याद नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक दिशा निर्देश है।
नागपुर का विशेष महत्व
नागपुर महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो न केवल भौगोलिक रूप से राज्य के केंद्र में है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 1956 में नागपुर की दीक्षाभूमि पर लाखों लोगों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। यह सामाजिक परिवर्तन का एक ऐतिहासिक क्षण था।
ऐसे शहर में संत जगनाडे महाराज के नाम पर आईटीआई का नामकरण बेहद सार्थक है। यह नागपुर की उस परंपरा को आगे बढ़ाता है जो सामाजिक समानता और न्याय के लिए प्रतिबद्ध रही है।
कौशल विकास: आधुनिक भारत की जरूरत
आईटीआई संस्थान भारत के कौशल विकास कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। केंद्र सरकार की ‘स्किल इंडिया’ पहल के तहत देश में लाखों युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है। महाराष्ट्र इस दिशा में अग्रणी राज्यों में से एक है।
आईटीआई में इलेक्ट्रीशियन, फिटर, वेल्डर, मैकेनिक जैसे विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण युवाओं को रोजगार के योग्य बनाता है। कई युवा प्रशिक्षण के बाद अच्छी नौकरियां पाते हैं या अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते हैं।
जब इन संस्थानों को संतों के नाम मिलते हैं, तो यह संदेश जाता है कि तकनीकी शिक्षा और नैतिक मूल्य दोनों साथ-साथ चल सकते हैं। एक कुशल कारीगर होना जरूरी है, लेकिन एक अच्छा इंसान होना उससे भी ज्यादा जरूरी है।
निष्कर्ष: नाम में क्या रखा है? बहुत कुछ!
लोग अक्सर कहते हैं कि नाम में क्या रखा है। लेकिन वास्तव में नाम बहुत महत्व रखता है। नाम हमारी पहचान है, हमारी विरासत है, हमारे मूल्यों का प्रतिनिधित्व है।
जब नागपुर का सरकारी आईटीआई संत जगनाडे महाराज के नाम पर होगा, तो यह केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं होगा। यह उन मूल्यों की याद दिलाएगा जिनके लिए संत जगनाडे महाराज खड़े थे – समानता, मानवता, सामाजिक न्याय।
8 दिसंबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जब इस संस्थान का उद्घाटन करेंगे, तो यह महाराष्ट्र की संत परंपरा और आधुनिक कौशल विकास के बीच एक सेतु बनेगा। यह दिखाएगा कि प्रगति और परंपरा साथ-साथ चल सकते हैं।