नागपुर।
भारत की रक्षा क्षमता में जल्द ही एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिल सकता है। फ्रांस की प्रतिष्ठित एविएशन कंपनी Dassault Aviation ने यह प्रस्ताव रखा है कि अब Rafale Fighter Jets का संपूर्ण निर्माण भारत में किया जाए और उनकी अंतिम असेंबली Nagpur के MIHAN परिसर से निकले। यदि यह योजना लागू होती है, तो भारत न केवल अपनी वायुसेना की क्षमता को मजबूत करेगा बल्कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat in Defence) की दिशा में एक बड़ी छलांग भी लगाएगा।
DRAL का मौजूदा काम
वर्तमान में Dassault Reliance Aerospace Limited (DRAL) नागपुर स्थित SEZ में Rafale के महत्वपूर्ण हिस्सों जैसे wings और fuselage का निर्माण कर रहा है। लेकिन यदि नए प्रस्ताव को केंद्र सरकार की मंजूरी मिलती है, तो यहां से हर महीने दो पूर्ण Rafale jets तैयार होंगे। यह पहली बार होगा जब Rafale विमान फ्रांस के बाहर पूरी तरह असेंबल किए जाएंगे।
IAF की ज़रूरत और महत्व
भारतीय वायुसेना (IAF) इस समय केवल 31 squadrons के साथ कार्यरत है, जबकि उसकी न्यूनतम आवश्यकता 42 squadrons की है। वायुसेना की यह कमी लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है। यदि नागपुर में उत्पादन तेज़ी से शुरू होता है, तो इस अंतर को पाटने में बड़ी मदद मिलेगी और भारत की वायु शक्ति (Air Power) नई ऊंचाई पर पहुंचेगी।

रोजगार और उद्योग का नया हब
इस पहल से न केवल वायुसेना को मजबूती मिलेगी बल्कि Vidarbha region के लिए भी यह क्रांतिकारी बदलाव होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इस परियोजना से हजारों नौकरियां पैदा होंगी। उच्च कौशल वाले engineers, technicians और सहयोगी उद्योगों (ancillary industries) के लिए यह अवसर का विशाल द्वार होगा।
स्थानीय युवाओं के लिए यह रक्षा उद्योग से सीधे जुड़ने का मौका होगा। Make in India in Defence की दिशा में यह कदम विदेशी तकनीक को भारत में लाकर यहां की क्षमता को मजबूत करेगा।
Hyderabad और Safran की भूमिका
जहां नागपुर मुख्य केंद्र होगा, वहीं Hyderabad स्थित Tata Advanced Systems Rafale का fuselage बनाएगा और Safran Engine Unit स्थापित करेगा। लेकिन विमान का पूरा निर्माण और असेंबली नागपुर के MIHAN (Multi-modal International Cargo Hub and Airport at Nagpur) से होगी।
लागत और स्थानीयकरण का फायदा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट के तहत लगभग 60% मूल्य का स्थानीयकरण (localisation) संभव होगा। इससे न केवल तकनीकी ज्ञान भारत में आएगा बल्कि लागत में भी भारी कमी आएगी। अनुमान है कि इससे Rafale विमानों की कीमत 30% तक घट सकती है।
F4 Standard Rafale – आधुनिक क्षमता
नागपुर से निकलने वाले विमानों को Rafale F4 standard में बनाया जाएगा। इनमें modern radar systems, electronic warfare (EW) systems और drone swarming operations जैसी अत्याधुनिक तकनीकें शामिल होंगी। यह संस्करण भविष्य की लड़ाइयों में भारतीय वायुसेना की ताकत को और बढ़ाएगा।

टाइमलाइन और उत्पादन क्षमता
यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो तीन वर्षों में नागपुर से Rafale jets का उत्पादन शुरू हो सकता है। छह वर्षों के भीतर यहां से 114 विमानों का निर्माण और वितरण संभव होगा। यह भारत को न केवल अपनी वायुसेना की ज़रूरतें पूरी करने में सक्षम बनाएगा बल्कि संभवतः भविष्य में रक्षा निर्यात (Defence Exports) का बड़ा केंद्र भी बना देगा।
रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत और फ्रांस के बीच यह रक्षा साझेदारी केवल वायुसेना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में एक अहम खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि नागपुर से Rafale का निर्माण शुरू होना, भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक रणनीतिक शक्ति के रूप में और भी मजबूत करेगा।
नागपुर का MIHAN परिसर आने वाले वर्षों में केवल औद्योगिक हब ही नहीं रहेगा, बल्कि यह भारत की रक्षा शक्ति का केंद्र भी बन सकता है। Dassault Aviation का Rafale production plan यदि लागू होता है, तो यह न केवल IAF की शक्ति बढ़ाएगा बल्कि विदर्भ को रोजगार और विकास की नई पहचान देगा। यह कदम भारत की Atmanirbhar Defence Policy और Make in India vision के लिए मील का पत्थर साबित होगा।