नंदनवन आत्महत्या मामला: नवविवाहिता की करुण पुकार और दहेज की त्रासदी
नागपुर के नंदनवन क्षेत्र से एक हृदयविदारक घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। हसन बाग परिसर में स्थित वृंदावन नगर की 23 वर्षीय नवविवाहिता फरहनाज नुमान शेख गफ्फार की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने दहेज उत्पीड़न और पारिवारिक हिंसा के गहरे घावों को फिर उजागर कर दिया है।
विवाह के कुछ ही महीनों में टूटा भरोसा
फरहनाज की शादी मात्र पाँच माह पूर्व नुमान शेख गफ्फार से हुई थी। विवाह के आरंभिक दिनों में सब कुछ सामान्य प्रतीत हुआ, किंतु शीघ्र ही स्थिति बदल गई। परिजनों के अनुसार, विवाह के कुछ ही दिनों बाद फरहनाज को दहेज की मांग को लेकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा। कई बार उसने अपने परिवार को अपनी पीड़ा बताई, परंतु सामाजिक मान-मर्यादा के कारण परिवार ने हर बार समझौते का मार्ग चुना।
विवाद की रात और अंतिम गुहार | Nagpur Suicide Case
घटना वाली रात फरहनाज का अपने पति, सास और ननद से फिर झगड़ा हुआ। बताया जा रहा है कि उस रात फरहनाज की बुरी तरह पिटाई की गई थी। पीड़िता ने अपने परिजनों को फोन कर उसे बचाने की गुहार लगाई। परिवार जब उसके घर पहुँचा, तो स्थिति कुछ शांत होने के कारण वे बिना उसे साथ लिए लौट गए। उन्हें इस बात का आभास नहीं था कि यह उनकी बेटी से आख़िरी भेंट होगी।
सुबह की भयावह खबर
अगली सुबह ससुराल पक्ष ने पीड़िता के परिवार को सूचना दी कि फरहनाज कमरे का दरवाजा नहीं खोल रही है। जब परिवार वहाँ पहुँचा, तो उन्होंने देखा कि फरहनाज फांसी के फंदे पर लटकी हुई है। यह दृश्य देखकर परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। उनका आरोप है कि ससुराल वालों ने मिलकर फरहनाज की हत्या की और आत्महत्या का रूप देने का प्रयास किया।
पुलिस जांच और परिवार की न्याय की पुकार
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुँचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इस संवेदनशील मामले में पुलिस ने पति नुमान शेख गफ्फार, उसकी सास और ननद से पूछताछ शुरू कर दी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जो मौत के वास्तविक कारणों पर प्रकाश डालेगी।
पीड़िता का परिवार अब पुलिस थाने के चक्कर काट रहा है और न्याय की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि फरहनाज की हत्या एक सोची-समझी साजिश के तहत की गई है।
दहेज प्रथा पर पुनः उठे प्रश्न
Nagpur Suicide Case: यह घटना समाज में दहेज प्रथा की क्रूर सच्चाई को उजागर करती है। शिक्षित समाज और आधुनिक युग में भी जब महिलाएँ इस तरह की यातनाओं का शिकार हो रही हैं, यह हमारे सामाजिक ढाँचे पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न है।
महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की बात करने वाला समाज जब दहेज जैसी अमानवीय प्रथाओं के सामने मौन हो जाता है, तब ऐसी घटनाएँ केवल एक समाचार नहीं रहतीं, बल्कि सामाजिक आत्मचिंतन का दर्पण बन जाती हैं।
प्रशासन और समाज की भूमिका
पुलिस प्रशासन को ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई के साथ-साथ दहेज उत्पीड़न की रोकथाम हेतु ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही समाज को भी अपनी मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा, ताकि कोई और फरहनाज इस त्रासदी का शिकार न बने।