One Day Cheque Clearing System: वन डे चेक क्लियरिंग प्रणाली में अव्यवस्था से व्यापारी परेशान
नाग विदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स (एनवीसीसी) ने हाल ही में केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से यह मांग की है कि वन डे चेक क्लियरिंग प्रणाली में उत्पन्न खामियों को जल्द से जल्द दूर किया जाए। यह व्यवस्था व्यापारियों की सुविधा और बैंकिंग प्रणाली में सुधार के उद्देश्य से अक्टूबर 2025 में लागू की गई थी, परंतु लागू होने के एक महीने बाद ही यह योजना अव्यवस्था का कारण बन गई है।
व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है नुकसान
एनवीसीसी के अध्यक्ष श्री फारूक अकबानी ने बताया कि रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2025 में पूरे देश में वन डे चेक क्लियरिंग सिस्टम लागू किया था। इस व्यवस्था के तहत किसी भी बैंक में जमा चेक एक ही दिन में क्लियर होने की गारंटी दी गई थी। सरकार का उद्देश्य बैंकिंग प्रक्रियाओं को तेज करना और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना था।
हालांकि, इसके विपरीत हुआ। कई व्यापारियों के चेक एक दिन में क्लियर नहीं हो रहे हैं, बल्कि दो से तीन दिन या उससे भी अधिक समय ले रहे हैं। इसके चलते भुगतान में देरी हो रही है और व्यापारी वर्ग को भारी वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
एनवीसीसी ने वित्तमंत्री और आरबीआई को भेजा पत्र
एनवीसीसी ने इस समस्या को लेकर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य के वित्तमंत्री अजित पवार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक को एक औपचारिक पत्र भेजा है। पत्र में यह आग्रह किया गया है कि इस तकनीकी और प्रबंधकीय खामी को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएँ, ताकि बैंकिंग तंत्र पर व्यापारियों का भरोसा बना रहे।
चेंबर के सचिव सीए हेमंत सारडा ने कहा कि व्यवस्था लागू होने के बाद यह अपेक्षा थी कि भुगतान तेजी से निपटेंगे, लेकिन स्थिति इसके उलट है। कई मामलों में चेक बाउंस होने की घटनाएँ भी बढ़ी हैं, जिससे व्यापारिक संबंधों में तनाव और अविश्वास का माहौल बन रहा है।
बैंकों की लापरवाही पर सवाल
One Day Cheque Clearing System: एनवीसीसी के कोषाध्यक्ष श्री सचिन पुनियानी ने कहा कि कई बैंक तकनीकी कारणों का हवाला देकर चेक क्लियरिंग में विलंब कर रहे हैं। इससे व्यापारी समुदाय को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली पर व्यापारिक जगत का सीधा निर्भरता होती है। इसलिए सरकार और आरबीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रणाली सुचारु रूप से काम करे।
उन्होंने आगे कहा कि जब तक इन तकनीकी समस्याओं को ठीक नहीं किया जाएगा, तब तक ‘वन डे क्लियरिंग’ का उद्देश्य ही अधूरा रहेगा। व्यापारी वर्ग उम्मीद करता है कि सरकार जल्द से जल्द इस पर ठोस कार्रवाई करेगी।
समय और राजस्व दोनों पर पड़ रहा प्रभाव
व्यापारियों का कहना है कि चेक क्लीयरिंग में हो रही देरी के कारण उन्हें बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, जिससे उनका समय नष्ट हो रहा है। इससे न केवल व्यापारिक उत्पादकता घट रही है, बल्कि सरकार को भी कर एवं राजस्व के रूप में नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि बैंकिंग व्यवस्था में पारदर्शिता और दक्षता नहीं होगी तो व्यापारिक गतिविधियों की गति प्रभावित होना स्वाभाविक है।
एनवीसीसी की अपील: व्यवस्था में सुधार लाए सरकार
एनवीसीसी ने सरकार से आग्रह किया है कि इस प्रणाली की समीक्षा करते हुए बैंकिंग प्रक्रियाओं को डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाए। चेंबर ने यह भी सुझाव दिया है कि आरबीआई एक स्वतंत्र तकनीकी समिति गठित करे जो इस व्यवस्था की कार्यप्रणाली की जांच करे और रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
एनवीसीसी के प्रवक्ता श्री हुसैन अजानी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी दी और उम्मीद जताई कि सरकार व्यापारियों की इस गंभीर समस्या का समाधान प्राथमिकता के आधार पर करेगी।