Pardi Murder Case: पारडी में रिश्तों का टूटा धागा बना खूनी संघर्ष का कारण
नागपुर के पारडी थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। गुरुवार रात को पारिवारिक रिश्तों की दरार ने ऐसा खतरनाक मोड़ लिया कि एक युवक ने अपने ही चाचा की धारदार हथियार से हत्या कर दी। दस दिनों में यह तीसरी हत्या है, जिसने पारडी क्षेत्र में भय और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है।
हत्या की घटना ने मचाई सनसनी
Pardi Murder Case: यह दर्दनाक घटना गुरुवार रात करीब साढ़े आठ बजे तलमले नगर में घटी। मृतक की पहचान 46 वर्षीय डोमा कृष्णा कुंभारे के रूप में हुई है, जो बालाजी नगर का निवासी था और पेशे से वाहन चालक था। जानकारी के अनुसार, पारिवारिक विवाद की जड़ करीब दस वर्ष पुरानी है। डोमा ने अपने बड़े भाई की पत्नी से विवाह किया था, जिससे परिवार में लंबे समय से तनाव बना हुआ था।
पारिवारिक रंजिश ने लिया खूनी रूप
डोमा की पत्नी के पहले पति देवेंद्र से 23 वर्षीय बेटा कुणाल कुंभारे था। बताया जा रहा है कि कुणाल अपनी मां के इस विवाह से नाराज था। वर्षों से पनप रहा यह गुस्सा अब खून में बदल गया। गुरुवार की रात जब डोमा घर लौट रहा था, तभी कुणाल अपने दो साथियों के साथ वहां पहुंचा और रास्ते में रोककर चाचा पर धारदार हथियार से हमला कर दिया।
मौके पर मचा हड़कंप
हमले के बाद डोमा गंभीर रूप से घायल हो गया। राहगीरों ने उसे तत्काल अस्पताल पहुँचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस को सूचना मिलते ही पारडी थाने की टीम मौके पर पहुँची और जांच शुरू की। हत्या के तुरंत बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी कुणाल कुंभारे और उसके साथी अमित भारती को गिरफ्तार कर लिया। तीसरे आरोपी की तलाश जारी है।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल – Pardi Murder Case
पारडी क्षेत्र में बीते दस दिनों में यह तीसरी हत्या है। लगातार हो रही इन वारदातों से क्षेत्र के नागरिकों में भय का वातावरण व्याप्त है। लोगों का कहना है कि पुलिस की गश्त और सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। दीपावली के बाद से बढ़ती आपराधिक घटनाओं ने स्थानीय पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नागरिकों में फैली दहशत
क्षेत्रवासियों का कहना है कि पारडी थाना क्षेत्र में छोटी-छोटी बातों पर विवाद बढ़कर हिंसा का रूप ले रहे हैं। हत्या की लगातार घटनाओं से लोग अपने घरों में भी असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। नागरिकों ने पुलिस से रात्रिकालीन गश्त बढ़ाने और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
सामाजिक मूल्यों पर प्रश्न
यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि सामाजिक पतन का प्रतीक बन गई है। रिश्तों में आई दरारें जब संवाद की बजाय हिंसा में बदलने लगती हैं, तब समाज का ताना-बाना कमजोर पड़ने लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में परिवारों को संवाद और समझदारी का रास्ता अपनाना चाहिए, ताकि क्रोध और प्रतिशोध जैसी भावनाएं जघन्य अपराधों में न बदलें।