रेल नीर बोतल विवाद से यात्रियों में असंतोष बढ़ा
नागपुर, दिनांक 29 अक्टूबर 2025 — भारतीय रेल के कोचों में बेचे जा रहे “रेल नीर” पानी के दामों को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यशवंतपुर-बनारस एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 6235) में यात्रा कर रहे एक यात्री ने जब रेल नीर की बोतल खरीदी, तो उसने पाया कि एक ही बोतल पर दो अलग-अलग कीमतें अंकित थीं। बोतल के रैपर पर ₹15 और ढक्कन पर “न्यू MRP ₹14” लिखा हुआ था।
यह मामूली अंतर नहीं है। यह उपभोक्ता अधिकारों का सीधा उल्लंघन और प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है।
यात्री का अनुभव बना भ्रष्टाचार की झलक
यात्री श्री राजेश पौनीकर के अनुसार, उन्होंने ट्रेन के कोच S-7 में वेंडर से रेल नीर की बोतल खरीदी। पानी पीने के बाद जब उन्होंने बोतल को ध्यान से देखा, तो मूल्य में अंतर पाया। उन्होंने तुरंत रेलवे हेल्पलाइन और ट्विटर पर शिकायत दर्ज करवाई।
उनका कहना था कि यदि लाखों यात्री रोजाना रेलवे में यात्रा करते हैं और प्रत्येक से एक रुपये का भी अतिरिक्त वसूला जाता है, तो यह प्रतिदिन करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के समान है।
उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन
रेल नीर भारतीय रेलवे की आधिकारिक पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर सेवा है, जिसे पारदर्शिता और निश्चित मूल्य नीति के तहत बेचा जाना चाहिए। दो MRP का उल्लेख कानून के अनुसार गलत है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत किसी भी उत्पाद पर दो मूल्य अंकित नहीं किए जा सकते।
रेलवे प्रशासन और वेंडरों की ओर से इस पर चुप्पी उपभोक्ताओं के विश्वास को कमजोर करती है। यात्रियों का कहना है कि इस प्रकार की गड़बड़ी जानबूझकर की जा रही है ताकि छोटे स्तर पर अवैध कमाई की जा सके।
रेलवे अधिकारियों की प्रतिक्रिया
मध्य रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि इस शिकायत की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। रेलवे ने यह भी बताया कि “रेल नीर” का उत्पादन और वितरण आईआरसीटीसी के नियंत्रण में होता है, और ऐसे मामलों में वेंडर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
पूर्व में भी सामने आए थे ऐसे मामले
यह पहली बार नहीं है जब रेल नीर की कीमतों को लेकर सवाल उठे हैं। इससे पहले भी कई ट्रेनों में यात्रियों ने एमआरपी से अधिक दाम वसूले जाने की शिकायतें दर्ज कराई थीं। कुछ यात्रियों ने बताया कि बोतल पर छपी कीमत और बिक्री मूल्य में अंतर अक्सर देखा जाता है।
यात्रियों की मांग – पारदर्शी मूल्य निर्धारण प्रणाली
यात्रियों का कहना है कि रेलवे को वेंडरों पर निगरानी बढ़ानी चाहिए। प्रत्येक स्टेशन और ट्रेन में डिजिटल रेट डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाने चाहिए ताकि कोई भी वेंडर अपनी मर्जी से दाम न बढ़ा सके।
रेल उपभोक्ता परिषद ने भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए सुझाव दिया है कि “रेल नीर” की कीमत को हर 6 महीने में सार्वजनिक रूप से अपडेट किया जाए और उसकी सूचना वेबसाइट व टिकट बुकिंग ऐप पर दी जाए।
भविष्य की दिशा में क्या कदम जरूरी हैं
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रेलवे को प्रत्येक ट्रेन में मूल्य जांच दल नियुक्त करना चाहिए।
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वेंडरों की लाइसेंस प्रक्रिया को सख्त किया जाए।
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उपभोक्ताओं के लिए QR आधारित शिकायत प्रणाली लागू की जाए।
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प्रत्येक बोतल पर प्रिंटिंग से पहले मूल्य एकरूपता सुनिश्चित हो।
भारतीय रेल देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था है, जहां पारदर्शिता और ईमानदारी अपेक्षित है। एक रुपये का अंतर भले छोटा लगे, पर यह लाखों यात्रियों के भरोसे से जुड़ा मुद्दा है। इस घटना ने रेलवे के अंदर व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर किया है। अब जिम्मेदारी रेल प्रशासन की है कि वह विश्वास बहाल करे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे।