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सेवानिवृत्त शिक्षकों और अधिकारियों का सम्मान: समर्पण से ही विश्वविद्यालय की गरिमा अक्षुण्ण रहती है – डॉ. माधवी खोड़े चवरे

Retired Teachers Employees Honour Ceremony
Retired Teachers Employees Honour Ceremony – सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों का सम्मान समारोह नागपुर विश्वविद्यालय में
अक्टूबर 31, 2025

समर्पण का सम्मान: विश्वविद्यालय परिवार का गौरवपूर्ण क्षण

नागपुर :
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में आयोजित सेवानिवृत्त शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों का सम्मान समारोह विश्वविद्यालय परिवार के लिए एक भावनात्मक और प्रेरणादायी अवसर बन गया। विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के सभागार में संपन्न इस समारोह की अध्यक्षता माननीय कार्यकारी कुलगुरु डॉ. माधवी खोड़े चवरे (भा.प्र.से.) ने की।

इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में प्रभारी प्र-कुलगुरु एवं वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. सुभाष कोंडावर, कुलसचिव डॉ. राजू हिवसे, अधिष्ठाता डॉ. राजश्री वैष्णव तथा डॉ. मेधा कानेटकर उपस्थित थीं।

Retired Teachers Employees Honour Ceremony
Retired Teachers Employees Honour Ceremony – सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों का सम्मान समारोह नागपुर विश्वविद्यालय में

समर्पण और निष्ठा से ही संस्था की पहचान

अपने उद्बोधन में डॉ. माधवी खोड़े चवरे ने कहा कि “सेवानिवृत्ति जीवन का अंत नहीं, बल्कि अनुभवों की नई यात्रा की शुरुआत है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी संस्था की प्रतिष्ठा उसके कर्मचारियों के समर्पण, निष्ठा और कार्य के प्रति ईमानदारी से ही निर्मित होती है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के प्रत्येक कर्मचारी को यह समझना चाहिए कि उसका व्यक्तिगत दायित्व ही संस्था की सामूहिक सफलता का आधार है। डॉ. चवरे ने उदाहरण देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग में कार्यरत कर्मचारियों ने सदैव निष्ठा और गोपनीयता के साथ कार्य किया, जिससे विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता अक्षुण्ण बनी रही।


ईर्ष्या छोड़, कर्तव्य को सर्वोपरि रखें

डॉ. चवरे ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि जब प्रत्येक कर्मचारी ईर्ष्या और व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़कर केवल कार्य पर ध्यान केंद्रित करता है, तब संस्थान में किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न नहीं होती।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “पद और व्यक्ति में अंतर बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि पद अस्थायी होता है जबकि कर्म ही स्थायी पहचान बनाता है।”


सेवानिवृत्ति: एक अध्याय का अंत, नए जीवन की शुरुआत

सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों के सम्मान के इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार ने उनके योगदान को गहराई से स्मरण किया। कुलगुरु ने कहा कि यह सम्मान केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके वर्षों की निष्ठा, शिक्षण और सेवा की सजीव पहचान है।

उन्होंने भावुक स्वर में कहा कि हर कर्मचारी को यह याद रखना चाहिए कि उसकी कार्यनिष्ठा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनती है। सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज में उनकी भूमिका खत्म नहीं होती, बल्कि अनुभवों से समाज को दिशा देने का अवसर मिलता है।


कार्यक्रम की गरिमामयी उपस्थिति

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, अधिकारी तथा कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
समारोह का संचालन श्री दीपक घोडमारे ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन डॉ. राजू हिवसे द्वारा किया गया।

मंच पर उपस्थित अतिथियों ने सभी सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों को पुष्पगुच्छ, शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। समारोह के अंत में सामूहिक छायाचित्र के साथ इस गरिमामयी कार्यक्रम का समापन हुआ।


संस्थागत संस्कार और निष्ठा की परंपरा

इस समारोह ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि विश्वविद्यालय केवल शैक्षणिक संस्था नहीं, बल्कि एक संस्कार केंद्र भी है जहाँ प्रत्येक कर्मचारी का योगदान संस्थान की आत्मा को जीवंत रखता है।
निष्ठा, परिश्रम और कर्तव्यपरायणता की यह भावना ही राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की विशेष पहचान है।

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