महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर उपमुख्यमंत्री पद को लेकर बहस छिड़ गई है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और मंत्री उदय सामंत ने नागपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर जमकर हमला बोला। सामंत ने सीधे सवाल पूछा कि क्या उद्धव ठाकरे में इतनी हिम्मत है कि वे कांग्रेस के उपमुख्यमंत्रियों से इस्तीफा मांग सकें? यह सवाल उस समय उठा जब उद्धव ठाकरे लगातार उपमुख्यमंत्री पद को असंवैधानिक बताते हुए सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
उद्धव ठाकरे पर साधा गया तीखा निशाना
उदय सामंत ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उद्धव ठाकरे बार-बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके महाराष्ट्र की जनता के बीच सिर्फ भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जबकि सरकार जमीनी स्तर पर जनता के लिए लगातार काम कर रही है, उद्धव ठाकरे सिर्फ बयानबाजी में व्यस्त हैं। सामंत ने कहा कि उद्धव ठाकरे का दावा है कि उपमुख्यमंत्री का पद असंवैधानिक है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत और तथ्यहीन बात है।
उपमुख्यमंत्री पद का इतिहास
उदय सामंत ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में अब तक कई उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे पूरी सूची पढ़कर बता सकते हैं कि आज तक कितने लोगों ने यह पद संभाला है। सामंत ने खास तौर पर इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस पार्टी के भी कई नेता उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि क्या उद्धव ठाकरे उन कांग्रेसी नेताओं को भी यही सलाह देंगे? क्या वे देश के अन्य राज्यों में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां के उपमुख्यमंत्रियों से भी इस्तीफा मांगेंगे?
कांग्रेस को पहले दें सलाह
मंत्री उदय सामंत ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे को सचमुच उपमुख्यमंत्री पद से इतनी ही दिक्कत है, तो उन्हें सबसे पहले अपने गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को यह सलाह देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस वजह के सिर्फ सरकार की बदनामी फैलाना बंद होना चाहिए। सामंत ने साफ शब्दों में कहा कि यह सब राजनीतिक दुष्प्रचार का हिस्सा है और इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है।
ईवीएम विवाद पर करारा जवाब
उदय सामंत ने ईवीएम को लेकर चल रहे विवाद पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव भी उसी ईवीएम से हुए थे और उद्धव ठाकरे के उम्मीदवार भी उसी मशीन से जीतकर आए थे। उस समय उन्होंने ईवीएम पर कोई सवाल नहीं उठाया था। सामंत ने व्यंग्य करते हुए कहा कि जब अपने पक्ष में नतीजे आते हैं तो ईवीएम सही है और जब नतीजे विपक्ष में जाते हैं तो ईवीएम खराब हो जाती है। उन्होंने पूछा कि यह कैसी राजनीति है जो सिर्फ अपनी सुविधा के हिसाब से बयान बदलती रहती है।
विरोधी पक्ष नेता का मुद्दा
विधानसभा में विरोधी पक्ष के नेता के चयन को लेकर भी उदय सामंत ने महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि विरोधी पक्ष के नेता का चयन विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार होता है, न कि किसी विपक्षी दल का। सामंत ने साफ शब्दों में कहा कि भास्कर जाधव को विरोधी पक्ष का नेता नहीं बनाया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि आने वाले शीतकालीन सत्र में भी भाष्कर जाधव विरोधी पक्ष के नेता नहीं होंगे।
आदित्य ठाकरे की मौजूदगी का मुद्दा
उदय सामंत ने यह भी संकेत दिया कि जब तक आदित्य ठाकरे शिवसेना में सक्रिय हैं, तब तक भाष्कर जाधव को यह पद मिलना मुश्किल है। यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है क्योंकि विपक्षी गठबंधन में सीटों के हिसाब से नेतृत्व को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
विदर्भ राज्य के मुद्दे पर स्पष्टीकरण
जब उदय सामंत से विदर्भ राज्य गठन की मांग पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने बहुत ही सधे हुए तरीके से जवाब दिया। सामंत ने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी और शिवसेना की वही नीति है जो बालासाहेब ठाकरे की थी। उन्होंने कहा कि पार्टी के संस्थापक की विचारधारा ही उनकी विचारधारा है और वे उसी रास्ते पर चलेंगे।
नागपुर और गडचिरोली का विकास
उदय सामंत ने विदर्भ के विकास पर भी बात की। उन्होंने कहा कि नागपुर शहर का तेजी से कायापलट हो रहा है। सरकार की योजनाओं से यहां बुनियादी ढांचे में काफी सुधार हुआ है। सामंत ने यह भी कहा कि गडचिरोली जिला भविष्य में एक बड़ा औद्योगिक और नागरीकृत क्षेत्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि विदर्भ क्षेत्र का समग्र विकास सरकार की प्राथमिकता में है।
सरकार का ध्यान विकास पर
मंत्री ने कहा कि सरकार का पूरा फोकस विकास कार्यों पर है। सड़कें, पानी, बिजली, रोजगार और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष को भी जनता की भलाई के लिए सकारात्मक राजनीति करनी चाहिए, न कि सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप में समय बर्बाद करना चाहिए।
नवाब मलिक पर शिवसेना का रुख
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक के मामले पर भी उदय सामंत से सवाल पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा कि शिवसेना का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। अगर भाजपा किसी मुद्दे पर सही भूमिका अपनाती है, तो शिवसेना भी उसका पूरा समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन में सभी दल मिलकर फैसले लेते हैं और एक-दूसरे की राय का सम्मान करते हैं।
गठबंधन की मजबूती
सामंत ने यह भी कहा कि महायुति गठबंधन पूरी तरह से मजबूत है। तीनों दल मिलकर राज्य के विकास के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में यह गठबंधन और मजबूत होगा और महाराष्ट्र की जनता को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
राजनीतिक संदेश
उदय सामंत की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। उन्होंने साफ संदेश दिया है कि सरकार किसी भी तरह के दुष्प्रचार से नहीं घबराएगी और अपना काम जारी रखेगी। उद्धव ठाकरे के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने न सिर्फ तथ्यों के साथ अपनी बात रखी बल्कि विपक्ष को आईना भी दिखाया। सामंत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उपमुख्यमंत्री पद को लेकर उठाए जा रहे सवाल निराधार हैं और इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है।
विदर्भ के विकास, विरोधी पक्ष नेता चयन, ईवीएम विवाद और गठबंधन की मजबूती जैसे सभी मुद्दों पर उदय सामंत ने अपनी बात बेहद साफगोई से रखी है। यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में इन मुद्दों पर और बहस होगी और विधानसभा सत्र में गरमागरम बहस देखने को मिल सकती है।