पुणे, 14 सितंबर 2025। महाराष्ट्र की राजनीति और समाज में पिछड़े वर्गों के अधिकारों को लेकर लगातार आवाज़ उठाई जा रही है। इसी कड़ी में Maharashtra OBC Kranti Samiti की सामूहिक विचारधारा बैठक पुणे के बुधवार पेठ स्थित कुलवंत वाणी धर्मशाला ट्रस्ट के सभागृह में सम्पन्न हुई।
कार्यक्रम का शुभारंभ और प्रस्तावना | Maharashtra OBC Kranti Samiti
बैठक की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद समिति के संयोजक श्री श्रावण फरकाडे ने स्वागत भाषण देते हुए समिति की स्थापना, उद्देश्यों और अब तक किए गए कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समिति का मुख्य लक्ष्य महाराष्ट्र के 33 ओबीसी समुदायों को Central OBC List में शामिल कराना है ताकि उन्हें शिक्षा और रोजगार में समान अवसर प्राप्त हो सकें।
वेब स्टोरी:
Maharashtra OBC Kranti Samiti: अब तक की प्रगति
श्रावण फरकाडे ने बताया कि नागपुर, मुंबई, पुणे और दिल्ली में सामाजिक न्याय विभाग और National Commission for Backward Classes (NCBC) के माध्यम से सुनवाई की जा चुकी है। महाराष्ट्र सरकार ने संबंधित सभी दस्तावेज़ केंद्र को भेज दिए हैं। इसके बावजूद अभी तक 27 समुदायों का प्रस्ताव लंबित पड़ा हुआ है।
छात्रों और समाज पर असर
Maharashtra OBC Kranti Samiti: बैठक में यह चिंता व्यक्त की गई कि केंद्रीय सूची में शामिल न होने के कारण महाराष्ट्र के कई समुदायों के छात्रों को उच्च शिक्षा और रोजगार में बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। IIT, IIM, मेडिकल कॉलेज जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रवेश के अवसर सीमित हो जाते हैं और केंद्रीय नौकरियों में भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता।
समिति पदाधिकारियों ने कहा कि यह स्थिति समाज के भीतर हीनभावना पैदा कर रही है और युवाओं की प्रगति में बड़ी बाधा बन रही है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है, जो आने वाले समय में सामाजिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
पदाधिकारियों की उपस्थिति
बैठक में डॉ. नामदेव राऊत, श्री पी.आर. बडगुजर, श्री प्रकाश सिद्ध, श्री राम खरपूरिया और श्री मुकुंद अडेवार सहित विभिन्न समाजों के पदाधिकारी और प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की और एकमत होकर यह तय किया कि केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
प्रस्ताव और आगे की रणनीति
Maharashtra OBC Kranti Samiti: बैठक के अंत में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि शीघ्र ही समिति का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्र और राज्य सरकार से मुलाकात करेगा और लंबित प्रस्तावों पर जल्द निर्णय लेने की अपील करेगा। साथ ही यह भी तय किया गया कि यदि मांगें पूरी नहीं होतीं, तो समिति राज्यव्यापी आंदोलन की राह अपना सकती है।
व्यापक प्रभाव
यह बैठक केवल एक आयोजन नहीं थी, बल्कि महाराष्ट्र के पिछड़े वर्गों की उस सामूहिक पीड़ा और आकांक्षा का प्रतीक थी जो लंबे समय से अनदेखी हो रही है। Central OBC List में शामिल होने का मतलब सिर्फ आरक्षण का लाभ नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समान अवसरों की गारंटी है।
निष्कर्ष
पुणे की यह सामूहिक विचारधारा बैठक यह स्पष्ट संदेश देती है कि महाराष्ट्र के ओबीसी समुदाय अब अपने अधिकारों को लेकर और ज्यादा संगठित व मुखर हो रहे हैं। आने वाले महीनों में यह मुद्दा राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में गूंज सकता है।