पालघर में करंट से मजदूर की मौत: तारापुर एमआईडीसी की फैक्ट्री में हादसा, जांच शुरू
पालघर (महाराष्ट्र), 28 अक्टूबर: महाराष्ट्र के औद्योगिक क्षेत्र तारापुर एमआईडीसी (MIDC) में सोमवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब एक 39 वर्षीय मजदूर की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई।
यह हादसा एक एक्सट्रूज़न यूनिट में हुआ, जहां मजदूर नियमित रखरखाव (रूटीन इलेक्ट्रिकल वर्क) कर रहा था।
मृतक की पहचान प्रसाद सांखे (39) के रूप में हुई है, जो बोईसर का निवासी था।
हादसे के बाद से कंपनी परिसर में अफरातफरी मच गई और अन्य मजदूरों में भय का माहौल है।
कैसे हुआ हादसा: रखरखाव के दौरान लगी घातक बिजली की चपेट
पुलिस के अनुसार, सोमवार दोपहर लगभग दो बजे यह हादसा हुआ, जब प्रसाद सांखे फैक्ट्री के इलेक्ट्रिकल पैनल के पास काम कर रहा था।
अचानक करंट का झटका लगा और वह बेहोश होकर गिर पड़ा।
सहकर्मियों ने उसे तत्काल नजदीकी वरद हॉस्पिटल (Varad Hospital), बोईसर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बाद में शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेजा गया।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच में इस घटना को “दुर्घटनात्मक मृत्यु” (Accidental Death) माना है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
स्थानीय मजदूरों और ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों ने हादसे के बाद फैक्ट्री प्रबंधन पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी का आरोप लगाया है।
उनका कहना है कि तारापुर एमआईडीसी में कई औद्योगिक इकाइयों में विद्युत सुरक्षा उपकरण या तो पुराने हैं या समय पर जांच नहीं की जाती।
कई जगहों पर सुरक्षा अधिकारी (Safety Officer) की नियुक्ति केवल औपचारिक रूप से की जाती है, लेकिन ग्राउंड लेवल पर सुरक्षा प्रशिक्षण या निरीक्षण नहीं होते।
एक स्थानीय मजदूर नेता ने बताया —
“हम बार-बार प्रशासन और कंपनी प्रबंधन से आग्रह करते हैं कि बिजली से जुड़े काम के दौरान उचित सुरक्षा उपकरण दिए जाएं, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। आज एक और परिवार उजड़ गया।”
तारापुर एमआईडीसी: महाराष्ट्र का बड़ा औद्योगिक हब
तारापुर औद्योगिक क्षेत्र (Tarapur Industrial Area) महाराष्ट्र का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है, जहां सैकड़ों छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं —
जिनमें केमिकल, स्टील, प्लास्टिक, और एक्सट्रूज़न यूनिट्स शामिल हैं।
यहां हजारों मजदूर रोज़ी-रोटी के लिए काम करते हैं।
लेकिन, सुरक्षा मानकों और कार्यस्थल पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी की शिकायतें अक्सर सामने आती रहती हैं।
स्थानीय प्रशासन ने पहले भी कई बार औद्योगिक इकाइयों को सुरक्षा ऑडिट कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकांश यूनिट्स इसे नजरअंदाज कर देती हैं।
ऐसे में हादसों की पुनरावृत्ति अब एक आम बात बन चुकी है।
पुलिस जांच जारी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से खुलेगा कारण
बोईसर पुलिस स्टेशन ने इस मामले में एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (ADR) दर्ज की है।
एक अधिकारी ने बताया कि प्राथमिक जांच में यह हादसा इलेक्ट्रिक शॉक से हुआ है, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।
उन्होंने कहा —
“मृतक के परिजनों को सूचित कर दिया गया है और कंपनी से भी पूछताछ की जा रही है।
यदि किसी की लापरवाही पाई जाती है, तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
मृतक प्रसाद सांखे: मेहनतकश मजदूर, परिवार का एकमात्र सहारा
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रसाद सांखे पिछले 10 वर्षों से इसी फैक्ट्री में कार्यरत था।
वह विवाहित था और उसके दो छोटे बच्चे हैं।
परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य होने के कारण उसकी मौत से परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
गांव के लोगों ने बताया कि प्रसाद बेहद शांत स्वभाव का और मेहनती व्यक्ति था।
हर दिन समय से काम पर जाता था और अक्सर साथियों की मदद करता था।
उसकी अचानक मौत ने पूरे समुदाय को झकझोर दिया है।
सरकार और प्रशासन से मुआवजे की मांग
मजदूर संगठनों ने मांग की है कि मृतक के परिवार को तत्काल आर्थिक मुआवजा दिया जाए और फैक्ट्री प्रबंधन पर कार्रवाई की जाए।
साथ ही, पूरे औद्योगिक क्षेत्र में इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट कराने की मांग उठी है।
महाराष्ट्र श्रम विभाग को भी इस मामले की सूचना दी गई है।
संभावना है कि विभागीय जांच के बाद कंपनी को नोटिस जारी किया जाएगा।
समापन: हर हादसा एक सबक, जिसे सीखना जरूरी है
पालघर का यह हादसा एक बार फिर इस सच्चाई को सामने लाता है कि औद्योगिक विकास के बीच मानव सुरक्षा अक्सर पीछे छूट जाती है।
हर साल ऐसे हादसे होते हैं, जिनमें मजदूरों की जान चली जाती है — और बाद में “लापरवाही की जांच” भर रह जाती है।
सवाल यह है कि कब तक ये घटनाएं केवल आंकड़े बनकर रह जाएंगी?
क्या अब समय नहीं आ गया है कि औद्योगिक सुरक्षा को कागज़ों से निकालकर ज़मीन पर उतारा जाए?