Power Shift in Hingoli Krushi Market: हिंगोली कृऊबा मंडल बर्खास्त, प्रशासक ने संभाली कमान

Power Shift in Hingoli Krushi Market
सितम्बर 8, 2025

हिंगोली जिले की राजनीति और सहकारिता क्षेत्र में इस समय सबसे बड़ी चर्चा का विषय है – Power Shift in Hingoli Krushi Market। हिंगोली कृषी उपज बाजार समिती (Hingoli Krushi Upaj Bazaar Samiti) का संचालक मंडल महज दो वर्षों में ही बर्खास्त कर दिया गया है और अब इसकी बागडोर सीधे प्रशासक को सौंप दी गई है। यह फैसला न केवल सहकारिता क्षेत्र बल्कि स्थानीय राजनीति में भी हलचल मचा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इसे आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं।


विलनीकरण का निर्णय और असर

5 सितंबर को हिंगोली कृऊबा के संचालक मंडल को बर्खास्त कर दिया गया। इससे ठीक एक दिन पहले Sirasm BU Krushi Upaj Bazaar Samiti का हिंगोली समिती में विलनीकरण किया गया था। सहकारी संस्था की जिला उपनिबंधक सुरेखा फुपाटे को मुख्य प्रशासक बनाया गया है, जबकि बीडी पठाडे को प्रशासकीय मंडल का सदस्य नियुक्त किया गया है।

हिंगोली रेलवे स्टेशन के समीप स्थित संत नामदेव हल्दी मार्केट कार्यालय में पदभार ग्रहण का कार्यक्रम भी हुआ। इस अवसर पर नारायण पाटील ने जिला उपनिबंधक सुरेखा फुपाटे का स्वागत और सत्कार किया।


सिरसम बु. कृऊबा की पृष्ठभूमि

2008 में स्थापित सिरसम बु. कृषी उपज बाजार समिती 17 वर्षों से प्रशासकीय मंडल के अधीन ही चल रही थी। किसान और व्यापारियों की उदासीनता तथा निधियों की कमी के कारण यहां चुनाव संभव नहीं हो पाए। अंततः आर्थिक हालात को देखते हुए वहां के प्रशासक ने इस समिती को हिंगोली कृऊबा में विलनीकरण का प्रस्ताव सरकार को भेजा।

3 सितंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार सिरसम बु. के 56 ग्राम और हिंगोली कृऊबा के 120 ग्राम मिलाकर कुल 176 ग्राम अब इस समिती के अंतर्गत आ गए हैं।


Power Shift in Hingoli Krushi Market – केवल दो साल में मंडल बर्खास्त

29 अप्रैल 2023 को हुए चुनाव के बाद बना संचालक मंडल मुश्किल से दो वर्ष ही टिक पाया। सभापति के रूप में राजेश पाटील गोरेगांवकर चुने गए थे और उनके साथ गजानन घुगे, अशोक मुंदडा, गजानन घ्यार, बबन नेतने, परमेश्वर मांडगे, शंकर पाटील, मनिष आखरे, माधव कोरडे, शामराव जगताप, उत्तमराव वाबले, सुमनबाई डोरले, गिताबाई मुटकुले, संतोष टेकाले और डॉ. रमेश शिंदे जैसे सदस्य शामिल थे।

लेकिन अचानक हुए विलनीकरण के फैसले से पूरा संचालक मंडल भंग हो गया। प्रशासनिक कारणों के साथ-साथ इसे बड़ा राजनीतिक दांव भी माना जा रहा है। यही वह बिंदु है जहां से वास्तविक Power Shift in Hingoli Krushi Market शुरू हुआ है।

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राजनीति का गहराता रंग

विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले के पीछे विधानसभा चुनाव की सियासत है। दरअसल, सभापति राजेश पाटील गोरेगांवकर ने BJP विधायक तान्हाजी मुटकुले के खिलाफ मोर्चा खोला था। चुनावी मुकाबला इतना कड़ा हुआ कि एक समय मुटकुले की सीट खतरे में दिखाई देने लगी।

हालांकि वोटों के बंटवारे के चलते राजेश पाटील को लगभग 10,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक पंडितों के अनुसार, उसी संघर्ष की गूंज अब सहकारी संस्थाओं तक पहुंची है और संचालक मंडल की बर्खास्तगी उसी राजनीति का परिणाम है।


आगे की चुनौतियाँ

अब हिंगोली कृऊबा का संपूर्ण प्रबंधन प्रशासक के हाथों में है। इतने बड़े दायरे में 176 ग्रामों की समिती संभालना आसान नहीं होगा। किसानों और व्यापारियों की उम्मीदें बड़ी हैं। infrastructure development, digital payment system, किसानों को competitive price दिलाना और marketing channels मजबूत करना प्रशासन के सामने बड़ी चुनौतियाँ हैं।

साथ ही, विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही यह मुद्दा और भी तूल पकड़ेगा। बर्खास्त संचालक मंडल के समर्थक इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” करार दे रहे हैं, जबकि सत्ता पक्ष इसे प्रशासनिक निर्णय बता रहा है।


निष्कर्ष

हिंगोली कृऊबा में मंडल की बर्खास्तगी केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं बल्कि स्पष्ट Power Shift in Hingoli Krushi Market का प्रतीक है। प्रशासक अब इस समिती का नेतृत्व करेंगे, लेकिन असली परीक्षा किसानों और व्यापारियों का विश्वास जीतने की होगी। आने वाले चुनावों में यह मुद्दा किस रूप में राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बनता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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