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महान शिल्पकार डॉ राम सुतार के निधन पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने जताया गहरा शोक

Ram Sutar Death: महान शिल्पकार डॉ राम सुतार के निधन पर मुख्यमंत्री फडणवीस का भावपूर्ण संदेश
Ram Sutar Death: महान शिल्पकार डॉ राम सुतार के निधन पर मुख्यमंत्री फडणवीस का भावपूर्ण संदेश
विश्वप्रसिद्ध शिल्पकार डॉ राम सुतार के निधन पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गहरा शोक व्यक्त किया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माता और महाराष्ट्र भूषण से सम्मानित डॉ सुतार ने 100 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनकी जीवंत शिल्पकला ने भारत को विश्व मंच पर पहचान दिलाई। मुख्यमंत्री ने उनके परिवार को सांत्वना दी।
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वप्रसिद्ध शिल्पकार और महाराष्ट्र भूषण से सम्मानित डॉ राम सुतार के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। 100 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कहने वाले इस महान कलाकार ने भारतीय शिल्पकला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी। मुख्यमंत्री ने उनके पुत्र अनिल सुतार से दूरभाष पर बात कर परिवार को सांत्वना दी और इस अपूरणीय क्षति पर संवेदना व्यक्त की।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने शोक संदेश में कहा कि रामभाऊ के निधन से देश ने एक ऐसा प्रतिभाशाली कलाकार खो दिया है जिसने पत्थरों में जान डालने की अद्भुत कला में महारत हासिल की थी। उनकी बनाई हर मूर्ति में जीवंतता झलकती थी जो देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती थी।

कला में जीवंतता के प्रतीक थे डॉ राम सुतार

डॉ राम सुतार की कला की सबसे बड़ी विशेषता उनकी सूक्ष्म कारीगरी और शिल्पों में दिखाई देने वाला जीवंत भाव था। वे केवल मूर्तियां नहीं बनाते थे बल्कि उनमें प्राण फूंक देते थे। उनकी हर रचना एक कहानी बयान करती थी और देखने वालों को उस महान व्यक्तित्व के करीब ले जाती थी जिसकी प्रतिमा बनाई गई थी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि कुछ ही दिन पहले उन्हें नई दिल्ली में रामभाऊ के निवास पर जाकर उन्हें महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार प्रदान करने का सौभाग्य मिला था। यह महाराष्ट्र सरकार का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है जो राज्य के लिए असाधारण योगदान देने वालों को दिया जाता है।

पुरस्कार समारोह का भावुक पल

पुरस्कार स्वीकार करते समय जब डॉ सुतार ने महाराष्ट्र माझा गीत की पंक्तियां गाईं तो वहां उपस्थित सभी लोग भावविभोर हो गए थे। यह दृश्य उनके महाराष्ट्र प्रेम और अपनी जड़ों से जुड़ाव को दर्शाता था। 100 साल की उम्र में भी उनकी आवाज में वही जोश और ऊर्जा थी जो एक युवा कलाकार में होती है।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जैसी महान कृतियों के रचयिता

डॉ राम सुतार की सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण रचना गुजरात में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है जो सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। 182 मीटर ऊंची यह प्रतिमा भारतीय शिल्पकला का एक अद्भुत नमूना है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया।

इसके अलावा अंडमान में वीर सावरकर की भव्य प्रतिमा भी उनकी महान कला का प्रमाण है। यह मूर्ति स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती है।

राष्ट्रीय महत्व की अनेक प्रतिमाएं

संसद भवन परिसर में स्थित कई महत्वपूर्ण प्रतिमाएं डॉ सुतार के हाथों से निर्मित हैं। ये प्रतिमाएं देश के महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की याद को ताजा रखती हैं। उनके द्वारा बनाई गई हर मूर्ति राष्ट्र के गौरव और इतिहास का प्रतीक बन गई है।

अंतिम समय तक कला के प्रति समर्पित

सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि 100 वर्ष की आयु में भी डॉ राम सुतार सक्रिय रूप से कार्यरत थे। वे मुंबई के इंदू मिल स्थित भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के स्मारक के निर्माण कार्य में लगे हुए थे। यह उनकी कला के प्रति समर्पण और जुनून को दर्शाता है।

उम्र के इस पड़ाव पर भी जब ज्यादातर लोग आराम करना चाहते हैं, डॉ सुतार अपने औजारों के साथ काम में जुटे रहते थे। यही समर्पण उन्हें एक साधारण कलाकार से महान शिल्पकार बनाता था।

महान विभूतियों को अमर बनाया

डॉ सुतार ने अपने जीवनकाल में अनगिनत महान विभूतियों की प्रतिमाएं बनाईं। छत्रपति शिवाजी महाराज, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और वारकरी संतों की मूर्तियां उनकी प्रमुख कृतियों में शामिल हैं।

इन सभी शिल्पों में एक समानता है – सभी अत्यंत जीवंत और यथार्थवादी हैं। देखने वाले को लगता है कि मूर्ति किसी भी क्षण बोल उठेगी। यही उनकी कला की असली ताकत थी।

भारतीय शिल्पकला को विश्व मंच पर पहुंचाया

डॉ राम सुतार ने केवल मूर्तियां नहीं बनाईं बल्कि भारतीय शिल्पकला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। उनकी रचनाओं ने दुनिया को दिखाया कि भारतीय कलाकारों में विश्व स्तरीय काम करने की क्षमता है।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जैसी परियोजनाओं ने साबित किया कि भारत में भी बेहतरीन तकनीक और कुशलता है। विदेशी विशेषज्ञों ने भी उनके काम की सराहना की और उन्हें विश्व के महानतम शिल्पकारों में गिना।

सदियों तक याद रहेगी उनकी कला

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि डॉ सुतार की बनाई गई मूर्तियां सदियों तक उनकी कला और प्रतिभा की गवाही देती रहेंगी। पत्थर और धातु में ढली ये रचनाएं आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।

हर मूर्ति उनके जीवन का एक हिस्सा है, उनकी मेहनत और लगन का प्रतीक है। ये शिल्प केवल कला के नमूने नहीं हैं बल्कि उन महान विभूतियों को जीवित रखने का माध्यम हैं जिन्हें ये दर्शाती हैं।

अपूरणीय क्षति

मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ राम सुतार का निधन न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ऐसे प्रतिभाशाली और समर्पित कलाकार सदियों में एक बार जन्म लेते हैं। उनकी जगह भरना असंभव है।

मुख्यमंत्री ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने डॉ सुतार के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़े होने का आश्वासन दिया।

डॉ राम सुतार का जीवन हर कलाकार और युवा के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साबित किया कि समर्पण, मेहनत और प्रतिभा से कोई भी व्यक्ति अमर हो सकता है। उनकी कला आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन देती रहेगी।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।