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महाराष्ट्र में चिकित्सकों की मौन पुकार: फ़लटन मेडिकल अधिकारी प्रकरण पर न्याय और जवाबदेही की माँग तेज़

Falton Medical Officer Case
Falton Medical Officer Case – महाराष्ट्र के डॉक्टरों ने न्याय और गरिमा के लिए बुलंद की आवाज़
अक्टूबर 31, 2025

महाराष्ट्र में चिकित्सकों की मौन पुकार

महाराष्ट्र राज्य में चिकित्सा समुदाय के बीच एक गहरी बेचैनी और असंतोष उभर कर सामने आया है। फ़लटन मेडिकल अधिकारी प्रकरण में न्याय और जवाबदेही की माँग को लेकर महाराष्ट्र असोसिएशन ऑफ़ रेसिडेंट डॉक्टर्स (MARD) ने राज्यव्यापी शांतिपूर्ण आंदोलन छेड़ा हुआ है। गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025 को इस आंदोलन का अगला चरण आयोजित किया गया, जिसका विषय था — “हमारी आवाज़ को दबा दिया गया है।”

यह चरण, डॉक्टरों की असुरक्षा, उपेक्षा और कार्यस्थल पर असम्मान के विरुद्ध एक सशक्त संदेश के रूप में उभरा। राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों में रेज़िडेंट डॉक्टरों ने अपने बैनर और पोस्टर के माध्यम से अपनी मांगों को जनता तक पहुँचाया।


जनता के प्रति संवेदनशील, पर व्यवस्था से प्रश्न

एम.ए.आर.डी. द्वारा जारी वक्तव्य में स्पष्ट किया गया कि यह आंदोलन किसी व्यक्ति या संगठन के विरोध में नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की मांग के लिए है। सभी गतिविधियाँ शांतिपूर्ण, अनुशासित और मरीजों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील रहीं।

डॉक्टरों ने ओपीडी और अस्पताल परिसरों में जनजागरण बैनर लगाए जिन पर लिखा था —
“हम न्याय चाहते हैं, टकराव नहीं।”
“चिकित्सक की सुरक्षा ही रोगी सेवा की नींव है।”
“गरिमा और सम्मान, चिकित्सा सेवा का अधिकार।”

इन संदेशों के माध्यम से चिकित्सकों ने समाज और सरकार दोनों को यह स्मरण कराया कि सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण के बिना उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा संभव नहीं।


आंदोलन का मर्म: व्यवस्था में विश्वास की पुनर्स्थापना

फ़लटन प्रकरण ने न केवल चिकित्सा जगत, बल्कि पूरे राज्य को झकझोर दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि किसी चिकित्सक के साथ अन्याय होता है और उसके लिए कोई जवाबदेही तय नहीं होती, तो यह संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर करता है।

एम.ए.आर.डी. के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल एक व्यक्ति के लिए न्याय नहीं, बल्कि उस संस्थागत जवाबदेही को स्थापित करना है, जो भविष्य में किसी भी डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी के साथ अन्याय होने से रोके।

उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टरों को बार-बार निशाना बनाए जाने से युवाओं में चिकित्सा सेवा के प्रति भय और निराशा का वातावरण बन रहा है।


राज्यव्यापी समर्थन और जनसंपर्क अभियान

इस आंदोलन को महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों — मुंबई, पुणे, नागपुर, और सोलापुर — से भारी समर्थन प्राप्त हुआ है। कई वरिष्ठ चिकित्सकों और सामाजिक संगठनों ने भी एम.ए.आर.डी. की माँगों को जायज़ ठहराया है।

जनता के साथ संवाद बनाए रखने के उद्देश्य से डॉक्टरों ने “जन-जागृति दिवस” का आयोजन किया, जिसमें मरीजों और परिजनों को चिकित्सा पेशे में आने वाली चुनौतियों से अवगत कराया गया।

साथ ही, उन्होंने प्रशासन से यह अपील की कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनी ढाँचा तैयार किया जाए और फ़लटन प्रकरण जैसे मामलों में शीघ्र न्याय सुनिश्चित किया जाए।


सरकार से अपेक्षाएँ और आगे की राह

एम.ए.आर.डी. ने अपने ज्ञापन में तीन मुख्य माँगें रखी हैं —

  1. फ़लटन मेडिकल अधिकारी मामले की निष्पक्ष और शीघ्र न्यायिक जाँच।

  2. सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर सुरक्षा अधिनियम का सख्त पालन।

  3. चिकित्सा कर्मियों की कार्यस्थलीय गरिमा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए नीतिगत सुधार।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने समय पर ठोस कदम नहीं उठाए, तो आंदोलन का दायरा और बढ़ाया जा सकता है।

फिर भी, डॉक्टरों ने दोहराया कि यह आंदोलन संवेदनशीलता और शांति के साथ जारी रहेगा, क्योंकि उनका उद्देश्य समाज को स्वास्थ्य सेवा से वंचित करना नहीं, बल्कि उसे और बेहतर बनाना है।


स्वास्थ्य सेवा की आत्मा है न्याय और सम्मान

महाराष्ट्र में चल रहा यह आंदोलन केवल एक पेशे का संघर्ष नहीं, बल्कि पूरे समाज के नैतिक ढाँचे का परीक्षण है। जब वे लोग, जो जीवन बचाने के लिए दिन-रात संघर्ष करते हैं, स्वयं असुरक्षित महसूस करने लगते हैं, तब यह लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय बन जाता है।

फ़लटन प्रकरण के माध्यम से डॉक्टरों की यह माँग स्पष्ट है —
“न्याय दीजिए, ताकि सेवा की भावना जीवित रहे।”

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