नागपुर, 10 सितम्बर –
Somnath Jyotirling Maharudra Puja का भव्य आयोजन नागपुर के मानकापुर क्रीड़ा संकुल में हुआ। यह आयोजन Art of Living द्वारा संपन्न किया गया, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक Dr. Mohan Bhagwat मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु और साधक शामिल हुए।

देशभक्ति और देवभक्ति का अद्वितीय संदेश
अपने संबोधन में डॉ. भागवत ने कहा कि Deshbhakti aur Devbhakti हमारे देश में अलग नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया – “जो वास्तविक देवभक्ति करेगा, वह देश की भी सच्ची भक्ति करेगा। और जो प्रामाणिकता से देशभक्ति करेगा, उससे भगवान देवभक्ति भी करवा लेंगे।”
यह विचार केवल तर्क का नहीं बल्कि अनुभव का परिणाम है, ऐसा उन्होंने जोड़ा।
भारतीय परंपरा और शिवतत्व
Somnath Jyotirling Maharudra Puja के अवसर पर डॉ. भागवत ने भारतीय आध्यात्मिक परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत का अस्तित्व इतिहास से भी पुराना है। उन्होंने भगवान शिव को “आदिगुरु” बताया और कहा कि मानवता की विविध प्रकृति को ध्यान में रखते हुए शिवजी ने 108 मार्ग दिखाए।
उन्होंने कहा कि “सभी रास्ते भले ही अलग हों, लेकिन मंज़िल एक ही है और यह मार्गदर्शन शिवजी ने दिया।”
जीवन में अपनेपन का महत्व
Somnath Jyotirling Maharudra Puja: उन्होंने अपनेपन और संबंधों की महत्ता पर भी बल दिया। उदाहरण देते हुए कहा कि माता-पिता बच्चों को शिक्षा इसलिए नहीं देते कि वे भविष्य में सेवा करें, बल्कि यह उनका कर्तव्य है। यही भाव जब बच्चों में आता है, तो वे बड़े होकर माता-पिता की सेवा को अपना कर्तव्य मानते हैं। यही भारतीय जीवनदर्शन की विशेषता है।
आधुनिक दुनिया की चुनौतियाँ
डॉ. भागवत ने कहा कि दुनिया पिछले 2000 वर्षों से अधूरी धारणाओं के प्रभाव में चली आ रही है। बलवान जीवित रहेगा और दुर्बल समाप्त हो जाएगा – इस सोच ने विज्ञान और विकास तो दिया, लेकिन साथ ही असंतोष, कट्टरता और पर्यावरणीय संकट भी खड़ा किया।
उन्होंने कहा कि समाधान केवल भारत की तपस्या और शिव मार्ग में है।
Somnath Jyotirling Maharudra Puja: राम, कृष्ण और शिव की एकात्मता
अपने भाषण में उन्होंने राम मनोहर लोहिया का उल्लेख किया और कहा कि भगवान राम उत्तर-दक्षिण को जोड़ते हैं, कृष्ण पूरब-पश्चिम को जोड़ते हैं, लेकिन भगवान शिव पूरे भारत के कण-कण में विद्यमान हैं।
उन्होंने कहा कि शिव पूजा का अर्थ केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि उनके गुणों को आत्मसात करने का प्रयास करना है।
श्री श्री रविशंकर का संदेश
Somnath Jyotirling Maharudra Puja: इस कार्यक्रम में Sri Sri Ravi Shankar भी उपस्थित रहे। उन्होंने डॉ. भागवत का स्वागत पुष्पमाला और शाल पहनाकर किया। साथ ही नंदीबैल की प्रतिकृति भेंट की।
श्री श्री रविशंकर ने कहा – “संघ पिछले 100 वर्षों से देश की धरोहर की रक्षा कर रहा है। नागपुर देशभक्ति का केंद्र है। युवा पीढ़ी को देश और देवभक्ति के मार्ग पर प्रेरित होना चाहिए।”
निष्कर्ष
Somnath Jyotirling Maharudra Puja Nagpur केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं रहा, बल्कि इसने भारतीय संस्कृति के गहरे संदेश को उजागर किया। Dr. Mohan Bhagwat और Sri Sri Ravi Shankar दोनों के संदेशों ने यह स्पष्ट किया कि भारत की वास्तविक शक्ति उसके अध्यात्म, अपनेपन और सामूहिक जीवनदर्शन में निहित है।


