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Maharashtra News: पत्नी पर ओखली से प्रहार करने वाला पति गिरफ़्तार, महिला चिकित्सक ने सुनाई आपबीती

Maharashtra woman doctor assaulted by husband
Maharashtra woman doctor assaulted by husband – महाराष्ट्र में चिकित्सक पत्नी पर क्रूर प्रहार, पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ़्तार
अक्टूबर 30, 2025

पति की क्रूरता पर कानून का शिकंजा

महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के अंबरनाथ क्षेत्र से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहाँ एक महिला चिकित्सक पर उसके ही पति ने ओखली से प्रहार कर गंभीर चोटें पहुँचा दीं। यह मामला न केवल वैवाहिक हिंसा की एक और भयावह मिसाल है, बल्कि समाज में स्त्री सुरक्षा के प्रश्न को पुनः चर्चा के केंद्र में ला देता है।

घटना बुधवार तड़के लगभग चार बजे की बताई जा रही है। पुलिस के अनुसार, आरोपी पति को इस बात पर गुस्सा आ गया कि उसकी पत्नी को उसके एक पुराने स्कूल मित्र ने सराहना स्वरूप संदेश भेजा था। इस पर उसने आपा खोते हुए पत्नी पर रसोई की ओखली से वार कर दिया। घायल महिला को तत्काल स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उसने बिस्तर पर लेटे हुए अपने दर्दनाक अनुभव को कैमरे पर साझा किया।


पीड़िता की पीड़ा: “पहली बार नहीं हुआ अत्याचार”

अस्पताल के बिस्तर से दिए गए एक वीडियो बयान में पीड़िता ने बताया कि यह पहली बार नहीं था जब उसके पति ने उस पर हाथ उठाया हो। इससे पहले भी कई बार उसने शारीरिक और मानसिक हिंसा का सामना किया था, लेकिन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उसने शिकायतों को आगे नहीं बढ़ाया।

“मैंने कई बार सोचा कि मामला यहीं सुलझ जाए, लेकिन अब हद हो चुकी थी,” महिला डॉक्टर ने कहा। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले वह दोस्तों के साथ बाहर गई थीं, जिसके बाद एक सहपाठी ने उन्हें एक पुरानी तस्वीर भेजी। यही बात उनके पति को नागवार गुज़री और उसने हिंसा का सहारा लिया।


पुलिस ने दर्ज किया मामला, पति गिरफ़्तार

वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शब्बीर सैयद ने बताया कि आरोपी को बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 118(1) के तहत गंभीर चोट पहुँचाने के मामले में कार्रवाई की गई है।
फिलहाल पुलिस ने मामले की गहन जांच प्रारंभ कर दी है। जांच दल ने बताया कि आरोपी पति को जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा।


महिला सुरक्षा पर उठे प्रश्न

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि शिक्षित और स्वावलंबी महिलाएँ भी घर की चारदीवारी के भीतर कितनी असुरक्षित हैं। महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्य में भी घरेलू हिंसा की घटनाएँ लगातार सामने आना चिंता का विषय है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में हर तीसरी महिला अपने जीवन में कभी न कभी घरेलू हिंसा की शिकार होती है। कई बार सामाजिक दबाव, पारिवारिक मान-सम्मान और बच्चों की चिंता के कारण महिलाएँ शिकायत दर्ज कराने से हिचकिचाती हैं।


विशेषज्ञों की राय

सामाजिक कार्यकर्ता और महिला अधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में “समझौता” समाधान नहीं है। महिला को कानूनी सुरक्षा और मानसिक परामर्श दोनों की आवश्यकता होती है।
मनोचिकित्सक डॉ. रेखा पाटिल का कहना है, “जब हिंसा बार-बार होती है, तो यह न केवल शरीर बल्कि मन पर भी गहरे घाव छोड़ती है। महिलाओं को चाहिए कि वे डर के बजाय अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों और तुरंत मदद माँगें।”


न्याय और संवेदना की आवश्यकता

अंबरनाथ की यह घटना समाज को यह सोचने पर विवश करती है कि घरेलू हिंसा को ‘परिवार का निजी मामला’ कहकर अनदेखा करना कितनी बड़ी भूल है। यह आवश्यक है कि कानून के साथ-साथ समाज भी पीड़ित महिलाओं के साथ खड़ा हो।

महिला डॉक्टर की साहसिकता, जिसने घायल अवस्था में भी सच्चाई बताने का साहस किया, समाज के लिए प्रेरणा है। यह घटना चेतावनी भी है कि हर महिला को सुरक्षा, सम्मान और न्याय का अधिकार मिलना ही चाहिए — चाहे वह घर के भीतर हो या बाहर।

यह मामला केवल एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि उस व्यापक समस्या का प्रतीक है जो आज भी हमारे समाज में जड़ें जमाए हुए है। जब तक हर घर में समानता और सम्मान की भावना नहीं पनपेगी, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे।

पुलिस की तत्परता सराहनीय है, परंतु असली परिवर्तन तब आएगा जब समाज अपने दृष्टिकोण को बदलेगा और महिलाओं के अधिकारों को दिल से स्वीकार करेगा।


यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।


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