यवतमाल जिले में स्थानीय निकाय संस्थाओं के चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। लेकिन पहले दो घंटे में मतदान की रफ्तार काफी धीमी रही। सुबह 7 बजे से शुरू हुए मतदान में दोपहर 9 बजे तक केवल 7.39 प्रतिशत मतदाता अपना वोट डालने पहुंचे। यह आंकड़ा जिले की 10 निकाय संस्थाओं में दर्ज किया गया है।
यवतमाल जिला महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में आता है और यहां स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव लोकतंत्र की बुनियाद मानी जाती हैं। इन चुनावों में नगर परिषद, नगर पंचायत और अन्य स्थानीय निकायों के लिए जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है। इस बार 10 निकाय संस्थाओं में मतदान हो रहा है और इसमें हजारों मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करने वाले हैं।
मतदान की शुरुआत और प्रारंभिक स्थिति
मतदान की शुरुआत सुबह 7 बजे से हुई और यह शाम तक जारी रहेगी। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि पहले दो घंटे में मतदान की गति अपेक्षा से कम रही। सुबह के समय ठंड और धुंध के कारण कई मतदाता घरों से देर से निकले। इसके अलावा कुछ इलाकों में मतदाताओं में उत्साह की कमी भी देखी गई।
चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, 10 निकाय संस्थाओं में औसतन 7.39 प्रतिशत मतदान पहले दो घंटे में दर्ज किया गया। अलग-अलग निकायों में मतदान की दर अलग-अलग रही। कुछ जगहों पर यह 5 प्रतिशत से भी कम रही जबकि कुछ जगहों पर 10 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई।
मतदान केंद्रों पर व्यवस्था
जिला प्रशासन ने सभी मतदान केंद्रों पर पूरी व्यवस्था की है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और पुलिस बल की तैनाती की गई है। हर मतदान केंद्र पर चुनाव अधिकारी, पुलिस कर्मी और अन्य स्टाफ मौजूद हैं। मतदाताओं की सुविधा के लिए पीने के पानी, बैठने की व्यवस्था और शेड की भी व्यवस्था की गई है।
चुनाव आयोग ने इस बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल किया है। सभी मशीनें सुबह समय से पहले जांच ली गई थीं और उन्हें पूरी तरह से तैयार रखा गया था। मतदान केंद्रों पर वेबकैस्टिंग की भी व्यवस्था की गई है ताकि चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखी जा सके।
मतदाताओं की भागीदारी पर सवाल
पहले दो घंटे में कम मतदान से चुनाव पर्यवेक्षकों और राजनीतिक दलों में चिंता बढ़ी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्थानीय निकाय चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी विधानसभा या लोकसभा चुनावों की तुलना में कम रहती है। लेकिन स्थानीय विकास और नागरिक सुविधाओं के लिए ये चुनाव बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं को मतदाताओं को जागरूक करने और मतदान केंद्रों तक लाने के लिए प्रेरित किया है। कई जगहों पर वाहनों की व्यवस्था की गई है ताकि बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाता आसानी से मतदान केंद्र तक पहुंच सकें।
दोपहर में मतदान बढ़ने की उम्मीद
चुनाव अधिकारियों का कहना है कि दोपहर के बाद मतदान की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है। आमतौर पर स्थानीय चुनावों में सुबह मतदान धीमा रहता है और दोपहर से शाम के बीच मतदाताओं की संख्या बढ़ जाती है। खासकर कामकाजी लोग दोपहर के बाद या शाम को मतदान करने पहुंचते हैं।
जिला प्रशासन ने मतदाताओं से अपील की है कि वे जरूर वोट डालें और लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण अधिकार का उपयोग करें। मतदान जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है जिसमें लोगों को मतदान के महत्व के बारे में बताया जा रहा है।
चुनाव में उम्मीदवारों की भूमिका
इन 10 निकाय संस्थाओं के चुनाव में कई उम्मीदवार मैदान में हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे हैं। स्थानीय मुद्दे इस चुनाव में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। पानी की व्यवस्था, सड़कों की हालत, साफ-सफाई, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाएं मुख्य चुनावी मुद्दे हैं।
उम्मीदवारों ने अपने-अपने तरीके से प्रचार किया है। छोटे स्तर पर घर-घर जाकर संपर्क किया गया है। नुक्कड़ सभाएं और छोटी रैलियां भी आयोजित की गई हैं। स्थानीय नेताओं की भूमिका इन चुनावों में काफी अहम रहती है क्योंकि मतदाता उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं।
मतदान के बाद की प्रक्रिया
मतदान समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा। मतगणना की तारीख पहले से तय की जा चुकी है और उस दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे। चुनाव आयोग ने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
मतदान के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी या अनियमितता की शिकायत के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। चुनाव पर्यवेक्षक पूरे दिन मतदान केंद्रों का दौरा करेंगे और स्थिति की निगरानी करेंगे।
लोकतंत्र में स्थानीय चुनावों का महत्व
स्थानीय निकाय चुनाव लोकतंत्र की बुनियाद होते हैं। यही वह स्तर है जहां आम नागरिक सीधे तौर पर शासन व्यवस्था से जुड़ता है। स्थानीय प्रतिनिधि ही वास्तव में नागरिकों की समस्याओं को समझते हैं और उन्हें हल करने का प्रयास करते हैं।
यवतमाल जैसे जिलों में विकास की जरूरतें बहुत हैं। पानी, सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए स्थानीय निकायों की भूमिका अहम होती है। इसलिए मतदाताओं से अपील की जाती है कि वे सोच-समझक अपना वोट डालें और योग्य प्रतिनिधि चुनें।
यवतमाल जिले के इस चुनाव में अंतिम मतदान प्रतिशत क्या रहता है, यह शाम तक स्पष्ट हो जाएगा। फिलहाल प्रशासन और राजनीतिक दल दोनों ही अधिक से अधिक मतदान सुनिश्चित करने में जुटे हैं।