महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में स्थित आर्णी क्षेत्र में चुनाव के दौरान एक अहम घटना सामने आई है। यहां एक मतदान केंद्र पर ईवीएम मशीन निर्धारित समय से 20 मिनट देर से खुली, जिससे मतदाताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। यह घटना चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और तकनीकी व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।
मतदान केंद्र पर क्या हुआ
आर्णी विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र पर सुबह मतदान शुरू होने का समय तय था। सामान्य तौर पर सभी मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से मतदान की प्रक्रिया शुरू होती है। लेकिन इस खास मतदान केंद्र पर तकनीकी खराबी के कारण ईवीएम मशीन समय पर नहीं खुल सकी। चुनाव अधिकारियों ने तुरंत स्थिति को संभालने की कोशिश की और लगभग 20 मिनट की देरी के बाद मशीन को ठीक करके मतदान प्रक्रिया शुरू की गई।
मतदान केंद्र पर मौजूद मतदाताओं ने बताया कि सुबह जब वे वोट डालने पहुंचे तो उन्हें इंतजार करना पड़ा। कुछ मतदाता नाराजगी भी जताते नजर आए, लेकिन चुनाव अधिकारियों ने सभी को शांत रहने और व्यवस्था बनाए रखने की अपील की।
तकनीकी खराबी की वजह
चुनाव अधिकारियों के मुताबिक ईवीएम मशीन में कुछ तकनीकी दिक्कत आ गई थी जिसकी वजह से मशीन शुरू नहीं हो पा रही थी। तुरंत तकनीकी टीम को बुलाया गया और उन्होंने मौके पर पहुंचकर मशीन की जांच की। जांच में पता चला कि मशीन के कुछ हिस्सों में कनेक्शन की समस्या थी जिसे ठीक करने में समय लगा।
चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार ऐसी स्थिति में तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था करनी होती है। अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी मतदाता अपने मताधिकार से वंचित न रहे। देरी को देखते हुए मतदान का समय भी उतनी ही देर के लिए बढ़ाया गया ताकि सभी मतदाताओं को वोट डालने का पूरा मौका मिल सके।
मतदाताओं की प्रतिक्रिया
मतदान केंद्र पर मौजूद कई मतदाताओं ने इस देरी पर अपनी नाराजगी जताई। एक स्थानीय मतदाता ने बताया कि वह सुबह जल्दी काम से छुट्टी लेकर वोट डालने आया था, लेकिन देरी की वजह से उसे काफी परेशानी हुई। वहीं कुछ बुजुर्ग मतदाताओं को धूप में इंतजार करना पड़ा जो उनके लिए मुश्किल था।
हालांकि अधिकांश मतदाताओं ने धैर्य दिखाया और चुनाव अधिकारियों के निर्देशों का पालन किया। कुछ युवा मतदाताओं ने सोशल मीडिया पर इस घटना की जानकारी साझा की और चुनाव आयोग से बेहतर व्यवस्था की मांग की।
चुनाव अधिकारियों का बयान
जिला चुनाव अधिकारी ने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा कि तकनीकी खराबी एक सामान्य घटना है और ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पूरी तैयारी रहती है। उन्होंने बताया कि तुरंत तकनीकी टीम को भेजा गया और समस्या का समाधान किया गया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस देरी से मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता पर कोई असर नहीं पड़ा है।
अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि जितने समय की देरी हुई, उतना ही समय मतदान के अंत में जोड़ा गया ताकि किसी भी मतदाता को असुविधा न हो। सभी मतदाताओं को उनका मताधिकार देने की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल
यह घटना एक बार फिर ईवीएम मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है। हालांकि चुनाव आयोग बार-बार यह दावा करता है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित और विश्वसनीय हैं, लेकिन समय-समय पर आने वाली तकनीकी खराबी की खबरें लोगों के मन में संदेह पैदा करती हैं।
विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाया है और चुनाव आयोग से मांग की है कि ईवीएम मशीनों की नियमित जांच और रखरखाव को और मजबूत किया जाए। कुछ राजनीतिक दलों ने बैलेट पेपर की वापसी की मांग भी की है, हालांकि चुनाव आयोग ने इसे खारिज कर दिया है।
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की जरूरत
लोकतंत्र में चुनाव सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और इसकी पारदर्शिता बेहद जरूरी है। ऐसी घटनाएं जनता के विश्वास को प्रभावित करती हैं। इसलिए चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी मतदान केंद्रों पर पूरी तरह से तैयारी हो और किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी से तुरंत निपटा जा सके।
तकनीकी टीमों को हर मतदान केंद्र पर तैनात किया जाना चाहिए ताकि किसी भी समस्या का तुरंत समाधान हो सके। साथ ही मतदाताओं को भी जागरूक करना जरूरी है कि ऐसी स्थितियों में धैर्य रखें और चुनाव अधिकारियों का सहयोग करें।
आगे की कार्यवाही
इस घटना के बाद चुनाव आयोग ने संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। जांच की जा रही है कि आखिर तकनीकी खराबी क्यों हुई और भविष्य में इसे कैसे रोका जा सकता है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि सभी मतदान केंद्रों पर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
चुनाव प्रक्रिया की सफलता के लिए तकनीकी व्यवस्था का मजबूत होना बेहद जरूरी है। इस घटना से सीख लेते हुए भविष्य में बेहतर तैयारी की जानी चाहिए ताकि मतदाताओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।