जरूर पढ़ें

यवतमाल में डेहणी सिंचाई परियोजना की जमीन के लिए पुलिस बंदोबस्त, किसानों और अधिकारियों के बीच तनाव

Yavatmal Dehani Irrigation Project: यवतमाल में जमीन विवाद को लेकर पुलिस बंदोबस्त, किसानों में नाराजगी
Yavatmal Dehani Irrigation Project: यवतमाल में जमीन विवाद को लेकर पुलिस बंदोबस्त, किसानों में नाराजगी (AI Photo)
यवतमाल के डेहणी सिंचाई परियोजना की जमीन वन विभाग को सौंपे जाने के फैसले से किसानों में नाराजगी है। चंद्रपुर में दी गई वन भूमि की भरपाई के लिए यह कदम उठाया गया। किसानों का कहना है कि इससे उनकी सिंचाई परियोजना प्रभावित होगी। टकराव रोकने के लिए प्रशासन ने पुलिस बंदोबस्त लगाया है और बातचीत की पहल की है।
Updated:

यवतमाल जिले में डेहणी सिंचाई परियोजना की जमीन को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय किसानों और सिंचाई विभाग के अधिकारियों के बीच टकराव की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में पुलिस बंदोबस्त लगा दिया है। यह पूरा मामला चंद्रपुर जिले में वन विभाग को दी गई जमीन की भरपाई के लिए यवतमाल की जमीन देने से जुड़ा है।

पूरे मामले की पृष्ठभूमि

चंद्रपुर जिले में किसी परियोजना के लिए वन विभाग की जमीन का इस्तेमाल किया गया था। उस जमीन के बदले में अब वन विभाग को यवतमाल जिले की डेहणी इलाके की जमीन देने का फैसला लिया गया है। यह जमीन मूल रूप से डेहणी सिंचाई परियोजना के लिए आरक्षित थी। इस फैसले से स्थानीय किसान और ग्रामीण काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि यह जमीन उनकी सिंचाई परियोजना के लिए थी और इसे वन विभाग को सौंपने से उनकी खेती पर बुरा असर पड़ेगा।

किसानों की नाराजगी का कारण

यवतमाल के किसान पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे हैं। डेहणी सिंचाई परियोजना उनके लिए एक उम्मीद की किरण थी। इस परियोजना से हजारों एकड़ जमीन को सिंचाई की सुविधा मिलनी थी। लेकिन अब जब उन्हें पता चला कि इस परियोजना की जमीन को वन विभाग को सौंपा जा रहा है, तो वे भड़क उठे। किसानों का मानना है कि सरकार उनके हितों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कई बार प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारियों से इस मामले पर बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

सिंचाई विभाग का पक्ष

सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला राज्य सरकार के स्तर पर लिया गया है। चंद्रपुर में वन विभाग की जो जमीन इस्तेमाल की गई थी, उसकी भरपाई करना जरूरी था। इसके लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया और अंततः यवतमाल की इस जमीन को चुना गया। अधिकारियों का दावा है कि डेहणी सिंचाई परियोजना के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी और किसानों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। लेकिन किसानों को इन आश्वासनों पर विश्वास नहीं हो रहा है।

टकराव की आशंका और पुलिस बंदोबस्त

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, किसानों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को इस जमीन का सर्वेक्षण या कोई भी काम करने से रोकने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर जमीन को वन विभाग को सौंपने की कोशिश की गई तो वे इसका जोरदार विरोध करेंगे। इस तनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। पुलिस बल को इलाके में तैनात किया गया है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके। प्रशासन नहीं चाहता कि यह मामला हिंसक रूप ले ले।

स्थानीय नेताओं की भूमिका

इस पूरे मामले में स्थानीय राजनेता भी सक्रिय हो गए हैं। कुछ नेताओं ने किसानों का समर्थन किया है और सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि यवतमाल पहले से ही पिछड़ा इलाका है और यहां के किसानों को हर साल सूखे का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सिंचाई परियोजना की जमीन को किसी और काम के लिए देना गलत है। वहीं कुछ नेताओं ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि वन संरक्षण भी उतना ही जरूरी है और इस मामले में संतुलन बनाना होगा।

वन विभाग की जरूरत

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चंद्रपुर में जो जमीन उनसे ली गई थी, वह वन संरक्षण के लिहाज से महत्वपूर्ण थी। उसकी भरपाई के लिए समान मात्रा और गुणवत्ता की जमीन देना कानूनी जरूरत है। अगर यह नहीं किया गया तो वन संरक्षण कानून का उल्लंघन होगा। इसलिए यवतमाल की डेहणी इलाके की जमीन को चुना गया है। वन विभाग का दावा है कि यह जमीन वन क्षेत्र विकसित करने के लिए उपयुक्त है।

विवाद का संभावित समाधान

इस पूरे विवाद को सुलझाने के लिए जिला प्रशासन ने किसानों और विभिन्न विभागों के बीच बातचीत की पहल की है। एक बैठक बुलाई गई है जिसमें सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। किसान संगठनों ने मांग की है कि सिंचाई परियोजना के लिए वैकल्पिक जमीन पहले उपलब्ध कराई जाए, उसके बाद ही मौजूदा जमीन को वन विभाग को सौंपा जाए। उनका यह भी कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया में किसानों की राय ली जानी चाहिए थी।

सरकार की चुप्पी

इस पूरे मामले पर राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। सिंचाई मंत्रालय और वन मंत्रालय दोनों ही इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और किसानों की समस्याओं को समझना चाहिए। अगर सही समय पर सही फैसला नहीं लिया गया तो यह मामला और बिगड़ सकता है।

आगे की राह

यवतमाल में डेहणी सिंचाई परियोजना का मामला महाराष्ट्र में विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच के टकराव का एक और उदाहरण है। एक तरफ किसानों की जरूरतें हैं तो दूसरी तरफ वन संरक्षण की कानूनी अनिवार्यता। इन दोनों के बीच संतुलन बनाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। अगले कुछ दिनों में होने वाली बैठकों और बातचीत से ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस विवाद का हल किस दिशा में निकलेगा। फिलहाल पुलिस बंदोबस्त जारी है और किसान अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।