कोटा। देशभर में दशहरा की तैयारियों पर बारिश ने अपनी छाया डाली, कई जगह पुतले भीगकर गिर गए या उनका रंग फीका पड़ गया। लेकिन राजस्थान के कोटा में बनाए गए 221.5 फीट ऊँचे रावण का पुतला इस वर्ष भी अडिग रहा और सभी का ध्यान आकर्षित करता रहा। यह पुतला देश के सबसे ऊँचे रावण पुतलों में गिना जा रहा है और इसकी तकनीकी खूबियों ने इसे और भी खास बना दिया है।
पुतले की संरचना और विशेषताएँ
कोटा के इस विशाल रावण पुतले का चेहरा 25 फीट ऊँचा है और इसका वजन लगभग 3 क्विंटल है। पुतले के जूते 40 फीट लंबे, मुकुट 60 फीट और तलवार 50 फीट की बनाई गई है। पूरे ढांचे में फाइबर का उपयोग किया गया है, जिससे यह पुतला पूरी तरह बारिश-रोधी है। रावण की इस संरचना में किसी भी कागज का इस्तेमाल नहीं किया गया, जिससे तेज बारिश और हवाओं में भी यह सुरक्षित रहा।
पुतले को बनाने वाली टीम के प्रमुख तेजिंदर सिंह ने बताया कि वर्ष 2025 के दशहरा पुतले को तैयार करते समय बारिश का विशेष ध्यान रखा गया। उन्होंने कहा, “हमने ऐसा डिजाइन किया है कि बारिश ने पुतले को नुकसान नहीं पहुँचाया। बल्कि इसे साफ और चमकदार बना दिया।”
रिमोट से दहन
इस विशाल रावण पुतले का दहन रिमोट कंट्रोल से किया जाएगा। पुतले में 25 अलग-अलग बिंदुओं पर सेंसर लगाए गए हैं। दशहरे के दिन इन सेंसरों को रिमोट के माध्यम से एक-एक करके सक्रिय किया जाएगा, जिससे पुतला आतिशबाजी के साथ जल उठेगा। यह तकनीकी नवाचार दर्शकों के लिए देखने लायक एक अनुभव प्रस्तुत करेगा।
स्थानीय आकर्षण
कोटा में हर साल रावण दहन पर बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। इस वर्ष के पुतले की खासियत यह है कि इसमें चलने वाला सिर और बोलने वाला मुंह भी जोड़ा गया है, जो इसे और जीवंत बनाता है। बारिश के बावजूद पुतले का अडिग खड़ा रहना और रिमोट से नियंत्रित दहन तकनीक ने इसे अन्य पुतलों से अलग बनाया।
दशहरा और सांस्कृतिक महत्व
दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कोटा का यह विशाल रावण न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि तकनीकी और सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक अद्वितीय उदाहरण है। देश के अन्य हिस्सों में बारिश और मौसम की मार के कारण पुतले प्रभावित हुए, लेकिन कोटा का रावण न केवल सुरक्षित रहा बल्कि लोगों को एक नई तकनीक और सांस्कृतिक अनुभव का आनंद दिया।
कोटा में बनाए गए 221.5 फीट ऊँचे रावण पुतले ने इस वर्ष दशहरा को एक विशेष अनुभव बना दिया। इसके फाइबर से बने ढांचे, बारिश-रोधी विशेषताओं और रिमोट से नियंत्रित दहन ने इसे देशभर के रावण पुतलों में एक अनोखा स्थान दिलाया।