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करूर भगदड़ में 41 मौतों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त — सीबीआई जांच के आदेश, न्यायिक पर्यवेक्षण समिति गठित

Supreme Court Orders CBI Probe into Karur Stampede
Supreme Court Orders CBI Probe into Karur Stampede (File Photo)
Updated:

करूर भगदड़ में 41 मौतें — सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया, राज्य की SIT पर जताया अविश्वास

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2025:
तमिलनाडु के करूर जिले में 27 सितंबर को हुए भीषण भगदड़ हादसे में 41 लोगों की मौत के मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) को नकारते हुए मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।

यह भगदड़ तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) पार्टी की रैली के दौरान हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल थे। घटना में 41 लोगों की मौत और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे।

वेब स्टोरी:


सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में “न्याय और निष्पक्षता” सर्वोच्च प्राथमिकता है और यह तभी संभव है जब जांच केंद्र की स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई द्वारा की जाए।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि राज्य की SIT में “प्रक्रियागत त्रुटियां” और “हितों का टकराव” साफ तौर पर दिख रहा है।


न्यायिक पर्यवेक्षण समिति का गठन

अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि जांच प्रक्रिया पारदर्शी और विश्वसनीय हो, इसके लिए एक उच्चस्तरीय पर्यवेक्षण समिति का गठन किया गया है।
इस समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी करेंगे, जिनके साथ दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भी होंगे।
यह समिति सीबीआई जांच की निगरानी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी स्तर पर राजनीतिक या प्रशासनिक हस्तक्षेप न हो।


क्या कहा अदालत ने

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा —

“करूर भगदड़ में मारे गए 41 लोगों को न्याय दिलाना राज्य की नैतिक जिम्मेदारी है। यह मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही का नहीं बल्कि नागरिक अधिकारों की सुरक्षा का भी है। जब जांच एजेंसी पर भरोसा न रहे, तो केंद्र की स्वतंत्र एजेंसी ही सही मार्ग है।”


पृष्ठभूमि: क्या हुआ था करूर में?

27 सितंबर को तमिलनाडु के करूर जिले में आयोजित एक TVK पार्टी रैली के दौरान भगदड़ मच गई थी। रैली में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे।
भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस प्रशासन असफल रहा, जिसके चलते 41 लोगों की मौत हो गई, और दर्जनों घायल हो गए।
प्रारंभिक जांच में शॉर्ट-सर्किट और अव्यवस्थित निकासी व्यवस्था को हादसे का कारण बताया गया था।


राज्य की SIT पर उठे सवाल

तमिलनाडु सरकार ने शुरुआत में मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया था, लेकिन कई मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए।
उनका आरोप था कि SIT निष्पक्ष जांच नहीं कर रही और स्थानीय प्रशासन पर “राजनीतिक दबाव” है।
इन आरोपों को देखते हुए पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।


पीड़ित परिवारों को राहत की उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद जगी है।
परिवारों ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब उन्हें भरोसा है कि “सच्चाई सामने आएगी” और दोषियों को सजा मिलेगी।


विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह कदम संविधानिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण है
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा —

“यह फैसला दिखाता है कि जब राज्य तंत्र निष्पक्षता खो देता है, तो सुप्रीम कोर्ट नागरिकों की अंतिम आशा बनकर खड़ा होता है।”

करूर भगदड़ कांड पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि सिस्टम की जवाबदेही सर्वोच्च है
अब निगाहें सीबीआई और न्यायिक पर्यवेक्षण समिति पर होंगी — जो तय करेगी कि 41 निर्दोष जिंदगियों की कीमत पर कौन जिम्मेदार था और कितनी लापरवाही हुई


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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