प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान: अंतरफसली खेती और जैविक कृषि बने भारत का नया कृषि आंदोलन

PM Modi
Organic Farming India: प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरफसली खेती और जैविक कृषि को राष्ट्रीय आंदोलन बनाने का आह्वान (File Photo)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोयंबटूर में किसानों को अंतरफसली खेती और जैविक कृषि को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि भारत एक वैश्विक जैविक कृषि केंद्र बन रहा है। प्राकृतिक खेती, मिलेट्स और मिट्टी की उर्वरता की सुरक्षा को देश के भविष्य के लिए आवश्यक बताया।
नवम्बर 19, 2025

कृषि के भविष्य को लेकर प्रधानमंत्री का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोयंबटूर में दक्षिण भारत प्राकृतिक कृषि सम्मेलन के दौरान देशभर के किसानों से आग्रह किया कि भारत को एकल फसल आधारित खेती से बाहर निकलकर अंतरफसली खेती और जैविक कृषि को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि का भविष्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता और स्वस्थ खाद्य प्रणाली पर निर्भर है। यह केवल खेती की तकनीक नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भोजन और पर्यावरण की रक्षा का मार्ग है।

जैविक खेती को भारत की उभरती ताकत बताया

हजारों किसानों की उपस्थिति में अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कोयंबटूर की संस्कृति, सहृदयता और औद्योगिक सामर्थ्य का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के किसान ज्ञान, अनुशासन और परंपराओं का जीवंत उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैविक और प्राकृतिक खेती उनके व्यक्तिगत रूप से हृदय के निकट है और उन्होंने इससे जुड़ी नई जानकारियां इस सम्मेलन में सीखने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

भारत में जैविक खेती का वैश्विक केंद्र बनने की संभावनाएँ

उन्होंने कहा कि भारत में युवा किसान आधुनिकता के साथ प्रकृति आधारित खेती को अपना रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। पिछले कुछ वर्षों में कृषि निर्यात दोगुना होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन मात्र आंकड़ों का नहीं, कृषि संरचना में हो रहे बदलाव का संकेत है।

किसान कल्याण योजनाएं और जैविक खेती में निवेश

प्रधानमंत्री ने बताया कि इस वर्ष केवल किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये से अधिक वितरित किए गए। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा जारी पीएम-किसान की 21वीं किस्त के तहत 18,000 करोड़ रुपये नौ करोड़ किसानों के खाते में स्थानांतरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों को अब तक इस योजना के तहत चार लाख करोड़ रुपये मिल चुके हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक खादों पर जीएसटी में कमी, रासायनिक खादों के दुष्प्रभाव और बढ़ती लागत के मद्देनजर जैविक खेती एक अनिवार्य आवश्यकता है। उन्होंने चेताया कि रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम होती जा रही है और किसान की लागत बढ़ती जा रही है।

पारंपरिक फसलों और बाजरा आधारित भोजन की ओर लौटने का आग्रह

प्रधानमंत्री ने कहा कि बाजरा (मोटे अनाज) सदियों से तमिलनाडु की खाद्य संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। उन्होंने बताया कि भगवान मुरुगन को अर्पित किए जाने वाले तिनई और शहद सिर्फ धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि पौष्टिक भोजन का परंपरागत ज्ञान है। उन्होंने मिलेट को पीढ़ियों के लिए पोषण और प्रकृति के संरक्षण का माध्यम बताया।

दक्षिण भारतीय राज्यों की कृषि विविधता से सीख

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दक्षिण भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में मल्टीलेवल क्रॉपिंग (बहुस्तरीय खेती) सदियों से प्रचलन में है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि केरल के किसान नारियल और कटहल के पेड़ों के बीच काली मिर्च और अन्य फसलें उगाते हैं। यह विज्ञान और अनुभव आधारित कृषि मॉडल है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जाना चाहिए।

अंतरफसली खेती को राष्ट्रीय आंदोलन बनाने का आह्वान

प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल तमिलनाडु में 35,000 हेक्टेयर भूमि जैविक फसलों के अंतर्गत है। उन्होंने सुझाव दिया कि देशभर में यह सकारात्मक परिवर्तन एक आंदोलन के रूप में फैलना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचाना आवश्यक है और कृषि शिक्षा में इसे शामिल किया जाना चाहिए।

जैविक क्रांति का संदेश: एक एकड़ से शुरुआत

प्रधानमंत्री ने किसानों से आग्रह किया कि वे कम से कम एक एकड़ भूमि पर, एक मौसम के लिए जैविक खेती का प्रयोग अवश्य शुरू करें। उन्होंने कहा कि जैविक बाजार को मजबूत करना, किसानों की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना और प्रकृति का संरक्षण करना भारत के कृषि भविष्य का मूल है। केंद्र सरकार इस दिशा में हर संभव सहयोग करेगी।

यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.