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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पूरा, मोदी ने फहराया केसरिया ध्वज, पाकिस्तान भड़का

Ayodhya Ram Mandir: मोदी ने शिखर पर फहराया केसरिया ध्वज, निर्माण पूरा - पाकिस्तान की नापाक राजनीति
Ayodhya Ram Mandir: मोदी ने शिखर पर फहराया केसरिया ध्वज, निर्माण पूरा - पाकिस्तान की नापाक राजनीति (Image: X/@shayan_speaks)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच केसरिया ध्वज फहराया। इस गौरवान्वित अनुष्ठान के साथ ही राम मंदिर का निर्माण औपचारिक रूप से पूरा हो गया। यह ऐतिहासिक क्षण न केवल भारत की सांस्कृतिक जागृति को दर्शाता है, बल्कि हजारों सालों से लंबित न्याय को भी परिभाषित करता है। केसरिया ध्वज, जो भारतीय संस्कृति और साहस का प्रतीक है, अब राम मंदिर के शिखर पर गर्वपूर्वक लहरा रहा है। यह दृश्य उस राष्ट्रीय संकल्प को दर्शाता है जिसने भारत को इस महान लक्ष्य तक पहुंचाया।

मंदिर की वास्तु शैली में दिखती है भारत की विविधता

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की निर्माण शैली भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत उदाहरण है। मंदिर का शिखर पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर शैली में निर्मित है, जबकि मंदिर के चारों ओर बना 800 मीटर का परकोटा दक्षिण भारतीय वास्तु शैली में डिजाइन किया गया है। यह संरचना भारत की वास्तु शिल्प विविधता को प्रदर्शित करती है और यह दर्शाती है कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों की परंपराएं एक महान उद्देश्य के लिए एकजुट हो सकती हैं। पारंपरिक नागर शैली की विशेषताएं मंदिर के मुख्य भाग में दिखाई देती हैं, जबकि दक्षिण भारतीय तत्व परिसर के बाहरी हिस्से में समन्वय पैदा करते हैं।

ध्वजारोहण का धार्मिक महत्व

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच केसरिया ध्वज का फहराया जाना केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया है। वेदों में वर्णित मंत्रों का पाठ करते हुए ध्वज फहराना भारतीय सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है। यह क्रिया मंदिर को समर्पित करने और इसे पवित्र भूमि के रूप में स्थापित करने का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कार्य लाखों भारतीयों की आस्था और भावनाओं को सम्मानित करता है जिन्होंने इस पवित्र स्थान के निर्माण के लिए दशकों तक प्रतीक्षा की।

पाकिस्तान की नापाक राजनीति

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की पूर्णता के क्षण में ही पाकिस्तान ने अपनी विदेश नीति की नकारात्मकता को जाहिर किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मंदिर के ध्वजारोहण समारोह पर चिंता व्यक्त की और बाबरी मस्जिद का मुद्दा फिर से उठाया। पाकिस्तान के बयान में कहा गया कि 1992 में यह स्थान “चरमपंथी भीड़” द्वारा गिराया गया था, परंतु यह पूर्ण सच नहीं है। भारतीय न्यायिक प्रणाली ने इस संपूर्ण मामले को संवेदनशीलता से संभाला और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया, जिसमें सभी पक्षों को न्याय मिला।

पाकिस्तान का हाइपोक्रिसी का खेल

पाकिस्तान ने भारत पर धार्मिक अल्पसंख्यकों पर दबाव बढ़ाने और मुस्लिम सांस्कृतिक विरासत को कम करने का आरोप लगाया है। यह आरोप पूरी तरह से असत्य और राजनीतिक प्रचार है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां सभी धर्मों को समान सम्मान दिया जाता है। भारत में हजारों मस्जिदें, दरगाहें और इस्लामिक धरोहर सुरक्षित हैं। भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने की स्वतंत्रता देता है।

दूसरी ओर, पाकिस्तान खुद बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जाना जाता है। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय, शिया मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन एक ज्ञात तथ्य है। पाकिस्तान के कानूनों में धर्मविरोधी कानून हैं जो विभिन्न समुदायों को प्रताड़ित करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने खोली पाकिस्तान की पोल

पाकिस्तान की मानवाधिकारों के मामले में दोहरी नीति को संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की 24 जुलाई 2025 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में कमजोर समुदायों के खिलाफ हिंसा पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। यूएनएचआर विशेषज्ञों ने पाकिस्तान से अहमदिया समुदाय समेत धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की मांग की।

पाकिस्तान का यह कथन कि भारत अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन कर रहा है, खुद को पाकिस्तान के विरुद्ध एक मजबूत दलील बन जाता है। जब पाकिस्तान स्वयं अपने नागरिकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है, तो दूसरे देशों को सलाह देना उसका अधिकार नहीं है।

भारत की शांत और गरिमापूर्ण प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने पाकिस्तान की इस नकारात्मक प्रतिक्रिया पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं दी, जो भारतीय राजनयिकता का एक उदाहरण है। भारत अपनी आंतरिक मामलों को संभालने में सक्षम है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आलोचनाओं की परवाह नहीं करता। भारत की इस गरिमापूर्ण चुप्पी पाकिस्तान की निंदनीय राजनीति के मुकाबले कहीं अधिक शक्तिशाली संदेश है।

भारतीय न्याय प्रणाली की जीत

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारतीय न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और न्यायिकता का एक प्रमाण है। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस संवेदनशील मामले को वर्षों तक सुना और विचार किया। 2019 के निर्णय में न्यायालय ने समस्त पक्षों को सुना और एक ऐसा फैसला दिया जो भारतीय समाज की एकता को बनाए रखता है। यह निर्णय कई प्रयासों के साथ राम मंदिर निर्माण को संभव बनाया।

आयोध्या की यात्रा

आयोध्या का महत्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है। यह शहर भारत के हृदय में है और लाखों भारतीयों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखता है। राम मंदिर के निर्माण से आयोध्या के आसपास का क्षेत्र विकास के नए अवसरों से जुड़ा है। पर्यटन, व्यापार और सामाजिक विकास में एक नए दौर की शुरुआत हुई है। हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिल रहा है।

राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं रह गया है, बल्कि यह भारतीय राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बन गया है। इसके शिखर पर फहराया गया केसरिया ध्वज भारत की सांस्कृतिक पहचान और स्वाधीनता का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ कितनी गहराई से जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कार्य भारतीय जनता की सामूहिक भावनाओं को सम्मान देता है।

भविष्य की ओर नजरें

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। आने वाले समय में यह मंदिर भारतीय संस्कृति का एक जीवंत केंद्र होगा। आध्यात्मिकता, शिक्षा और सांस्कृतिक विनिमय के माध्यम से यह स्थान भारत की एकता को मजबूत करेगा। पाकिस्तान की नकारात्मक प्रतिक्रिया भारत के निर्णय में कोई बाधा नहीं बन सकती, क्योंकि भारत अपने पथ पर दृढ़ है।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पूरा होना भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल है। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया केवल अपनी असफलता और भारत की सफलता से जलन को दर्शाती है। भारत को पाकिस्तान की नकारात्मक टिप्पणियों की चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपने विकास और सांस्कृतिक समृद्धि पर ध्यान देना चाहिए। मंदिर का यह केसरिया ध्वज भारतीय जनता के आस्था, साहस और निष्ठा का प्रतीक है।


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Gangesh Kumar

Writer / Author / Editor / Journalist at Rashtra Bharat