भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। इस बार मुद्दा है अयोध्या में भव्य राम मंदिर में हुआ ध्वजारोहण कार्यक्रम। जब पाकिस्तान ने इस पवित्र कार्यक्रम पर अपनी अनावश्यक टिप्पणी की तो भारत ने उसे करारा जवाब दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा कि जिस देश का खुद का मानवाधिकार रिकॉर्ड बेहद खराब है, उसे दूसरों को उपदेश देने का कोई हक नहीं है।
यह घटना तब सामने आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या के राम मंदिर पर भगवा ध्वज फहराया। यह ऐतिहासिक पल था जो सदियों की प्रतीक्षा के बाद पूरा हुआ। लेकिन पाकिस्तान को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने इस पर आपत्तिजनक बयान जारी किया।
भारत का सख्त जवाब
भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान की टिप्पणी को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि हमने उनकी रिपोर्ट की गई बातों को देखा है। हम इन्हें उसी बेइज्जती के साथ खारिज करते हैं जिसके ये हकदार हैं। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान जैसे देश को जिसका अपने अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार का इतिहास बेहद शर्मनाक रहा है, उसे किसी को भी नैतिक उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।
जायसवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान का अपने अल्पसंख्यकों के साथ कट्टरता, दमन और व्यवस्थित रूप से बुरे बर्ताव का लंबा और दागदार इतिहास रहा है। ऐसे में उन्हें दूसरों को लेक्चर देने की बजाय अपने घर में झांकना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाखंडी उपदेश देने की बजाय पाकिस्तान को अपने खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
पाकिस्तान ने क्या कहा था
पाकिस्तान ने अयोध्या में राम मंदिर पर ध्वजारोहण का विरोध करते हुए कहा था कि यह कदम कथित रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते दबाव का हिस्सा है। पाकिस्तान ने यह भी आरोप लगाया कि यह मुस्लिम विरासत को मिटाने की कोशिश है। इन बेबुनियाद आरोपों पर भारत ने सख्ती से प्रतिक्रिया दी और कहा कि ये पूरी तरह से गलत और निराधार हैं।
पाकिस्तान की इस टिप्पणी को भारत ने आंतरिक मामले में अनावश्यक दखल माना है। भारत ने साफ कर दिया है कि राम मंदिर का निर्माण भारत का आंतरिक मामला है और इसमें किसी बाहरी देश को टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
राम मंदिर ध्वजारोहण का ऐतिहासिक महत्व
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराया। यह घटना मंदिर निर्माण के औपचारिक समापन का प्रतीक थी। इस भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर भावुक होते हुए कहा कि यह घटना युगांतकारी है। उन्होंने कहा कि सदियों के जख्म और दर्द अब भर रहे हैं। करीब 500 साल पुराना संकल्प आखिरकार राम मंदिर के औपचारिक निर्माण के साथ पूरा हो रहा है। यह भारत की आस्था, धैर्य और संकल्प की जीत है।
पाकिस्तान का अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार
जब पाकिस्तान भारत में अल्पसंख्यकों के बारे में बात करता है तो यह बेहद हास्यास्पद लगता है। पाकिस्तान में हिंदू, सिख, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहद खराब है। वहां अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार होते रहते हैं। जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण, हिंसा और संपत्ति छीनने जैसी घटनाएं आम हैं।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर चिंता जताई है। विभिन्न रिपोर्टों में यह सामने आया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी लगातार घट रही है। 1947 में जहां पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या लगभग 23 प्रतिशत थी, वहीं आज यह घटकर केवल 3 प्रतिशत से भी कम रह गई है।
भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति
इसके उलट भारत में अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा और अधिकार मिलते हैं। भारतीय संविधान सभी धर्मों को समान अधिकार देता है। यहां अल्पसंख्यकों के लिए विशेष प्रावधान हैं। शिक्षा, रोजगार और समाज के हर क्षेत्र में उन्हें बराबरी का मौका मिलता है।
भारत में अल्पसंख्यकों की आबादी 1947 के बाद से लगातार बढ़ी है। यहां मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी सभी धर्मों के लोग शांति से रहते हैं। भारत का लोकतंत्र सभी को समान अवसर देता है। यही कारण है कि भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है।
राजनयिक संबंधों पर असर
पाकिस्तान की इस टिप्पणी से दोनों देशों के बीच पहले से खराब राजनयिक संबंध और बिगड़ सकते हैं। भारत ने बार-बार साफ किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता, तब तक दोनों देशों के बीच संबंध सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है।
राम मंदिर पर पाकिस्तान की टिप्पणी से यह साफ हो गया है कि वह भारत के आंतरिक मामलों में दखल देना जारी रखना चाहता है। लेकिन भारत ने अपना रुख बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी किसी भी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत है। दुनिया के कई देशों ने राम मंदिर के निर्माण को भारत का आंतरिक मामला माना है। किसी भी देश ने इस पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है। इससे साफ होता है कि पाकिस्तान अकेला है और उसकी आवाज का कोई महत्व नहीं है।
भारत विश्व पटल पर एक जिम्मेदार देश के रूप में उभरा है। दुनिया के सभी बड़े देश भारत के साथ मजबूत संबंध रखना चाहते हैं। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और राजनयिक प्रभाव को देखते हुए कोई भी देश पाकिस्तान के बेबुनियाद आरोपों को गंभीरता से नहीं लेता।
जनता की प्रतिक्रिया
भारत की जनता ने सरकार के इस सख्त रुख का पूरा समर्थन किया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए विदेश मंत्रालय की तारीफ की है। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान को अपनी औकात में रहना चाहिए और भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने से बचना चाहिए।
राम मंदिर का निर्माण करोड़ों भारतीयों की आस्था से जुड़ा मामला है। इस पर किसी भी तरह की नकारात्मक टिप्पणी को भारतीय जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। अब भारत हर गलत बात का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।
भारत की यह सख्त प्रतिक्रिया यह संदेश देती है कि देश अपनी संप्रभुता और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। राम मंदिर भारत की आस्था का प्रतीक है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।