अयोध्या राम मंदिर पर धर्मध्वज फहराने का ऐतिहासिक क्षण
अयोध्या की पवित्र भूमि पर मंगलवार का दिन इतिहास बन गया। सदियों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या के राम मंदिर के ऊंचे शिखर पर धर्मध्वज फहराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बटन दबाते ही राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज लहराने लगा, और यह दृश्य देखते ही पूरा संत समाज भावुक हो उठा। जिस क्षण यह ध्वज फहरा, उसी क्षण वर्षों का संघर्ष, आस्था और प्रतीक्षा एक साथ साकार हो गई। मंदिर का धवजारोहण केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सनातन आस्था का गौरवपूर्ण प्रतीक बन गया।
आज अयोध्या नगरी भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष-बिंदु की साक्षी बन रही है। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर ध्वजारोहण उत्सव का यह क्षण अद्वितीय और अलौकिक है। सियावर रामचंद्र की जय! https://t.co/4PPt0rEnZy
— Narendra Modi (@narendramodi) November 25, 2025
सदियों की आस्था का स्वर्णिम सम्मान
राम जन्मभूमि आंदोलन हजारों साधु-संतों और करोड़ों राम भक्तों की आस्था का परिणाम रहा है। नौ नवंबर 2019 को आए फैसले से इस संघर्ष को दिशा मिली। पांच अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण का शुभारंभ हुआ। 22 जनवरी 2024 को त्रेता के नायक श्रीराम का जन्मस्थान भव्य मंदिर के रूप में प्रकट हुआ। अब 25 नवंबर की यह तिथि भी इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई। धर्मध्वज का फहराना सनातन धर्म की पहचान को विश्व स्तर पर स्थापित करने वाला क्षण बन गया।
प्रधानमंत्री ने कहा- पूरी दुनिया आज राममय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज पूरा विश्व राममय हो गया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि श्री राम विनम्रता में शक्ति का, मर्यादा में बल का और कर्तव्य में धर्म का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी जड़ों से जुड़कर चलना होगा और अपनी संस्कृति को पहचानना होगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज का यह क्षण केवल उत्सव नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की वापसी का संकेत है। उन्होंने कहा कि हमें मानसिक गुलामी से पूरी तरह मुक्त होकर अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए।

कारीगरों और श्रमिकों को मोदी ने किया प्रणाम
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में राम मंदिर के निर्माण में लगे हर श्रमिक, कारीगर और वास्तुकार को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि यह मंदिर न केवल श्री राम का प्रतीक है, बल्कि उन अनगिनत हाथों की मेहनत का साक्षी भी है, जिन्होंने धूप, बारिश और कठिन परिस्थितियों में काम किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे शबरी, केवट, जटायु और गिलहरी ने भगवान राम की मदद की, वैसे ही आज मंदिर निर्माण में लगे ये कारीगर श्रम सेवा के अद्भुत उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि भारत का विकास भी अब शक्ति नहीं साझेदारी के मार्ग पर चलेगा। महिला, युवा, दलित, आदिवासी और हर वर्ग को साथ लेकर हम आगे बढ़ेंगे।
संघ प्रमुख ने कहा- 500 साल का संघर्ष आज सफल
धार्मिक कार्यक्रम में उपस्थित संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह दिन केवल उत्सव नहीं, बल्कि 500 वर्षों के संघर्ष की विजय है। उन्होंने कहा कि आज करोड़ों भक्तों की आस्था साकार हो गई है। उन्होंने कहा कि यह मंदिर जैसा सोचा गया था, उससे भी अधिक भव्य और दिव्य होकर सामने आया है। उन्होंने इसे सनातन धर्म की विजय का ध्वज बताया और कहा कि हमें इसी प्रकार सनातन की विचारधारा को भी शिखर तक ले जाना होगा।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा- पीढ़ियों की प्रतीक्षा हुई पूरी
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह दिन पीढ़ियों की प्रतीक्षा का प्रतिफल है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर न केवल ईंट और पत्थर से बना एक मंदिर है, बल्कि यह करोड़ों लोगों के सम्मान और आस्था का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है, और अयोध्या इसका केंद्र बन गया है।
ध्वजारोहण से पहले की गई विशेष पूजा
ध्वजारोहण से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने माता अन्नपूर्णा मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद सभी राम जन्मभूमि परिसर पहुंचे, जहां उन्होंने विशेष पूजा की। मंदिर के गर्भगृह में पूजा के बाद शिखर पर ध्वजारोहण किया गया।
मंदिर की वास्तुकला दर्शाती है भारत की विविधता
अयोध्या में बना राम मंदिर भारतीय वास्तुकला की विविधता का अद्भुत उदाहरण है। मंदिर का शिखर उत्तर भारतीय नागर शैली में बनाया गया है। वहीं मंदिर परिसर में बना विशाल परकोटा दक्षिण भारतीय शैली में डिजाइन किया गया है। यह वास्तु विविधता भारत की विभिन्न सांस्कृतिक धाराओं की एकता को दर्शाती है। शिखर की ऊंचाई 161 फीट है और इसके आसपास पांच उपशिखर बनाए गए हैं। इनके साथ ही आठ पूरक मंदिर भी परिसर में स्थित हैं।
इस ध्वज का महत्व क्यों विशेष
धर्मध्वज केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि सनातन धर्म, मर्यादा, शौर्य और संस्कृति का ध्वज माना जाता है। यह ध्वज तब फहराया जाता है जब मंदिर पूरी तरह पूजित और प्रतिष्ठित हो जाता है। यह ध्वज संकल्प, शक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक होता है। अयोध्या में इसका फहराया जाना इस बात का संकेत है कि भारत अपनी परंपराओं और आस्थाओं के साथ और अधिक दृढ़ता से खड़ा हो रहा है।