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UP News: पत्नी के न लौटने से व्यथित युवक ने की आत्महत्या, बलिया जनपद में फैली शोक की लहर

UP Suicide Husband
UP Suicide Husband – पत्नी के न लौटने से व्यथित युवक की आत्महत्या, बलिया में मचा शोक (File Photo)
अक्टूबर 28, 2025

पत्नी की बेरुख़ी से टूटी जीवन की डोर

उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के जिउतपुरा गाँव से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहाँ वैवाहिक कलह और भावनात्मक टूटन ने एक युवक को अपनी जीवनलीला समाप्त करने पर विवश कर दिया। यह घटना केवल एक व्यक्ति की निजी पीड़ा नहीं, बल्कि हमारे समाज में बढ़ते मानसिक दबाव और संवादहीनता की गंभीर तस्वीर भी प्रस्तुत करती है।

सोमवार की रात लगभग दस बजे, राहुल यादव नामक 30 वर्षीय युवक ने अपने ही घर के पास पेड़ से फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मंगलवार की सुबह जब ग्रामीणों ने उसका शव देखा, तो पूरे गाँव में शोक और अविश्वास का वातावरण फैल गया।

पुलिस की प्रारंभिक जाँच और पारिवारिक बयान

स्थानीय थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) संजय शुक्ला ने बताया कि सूचना मिलते ही पुलिस दल घटनास्थल पर पहुँचा और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्रारंभिक जाँच में यह स्पष्ट हुआ कि मृतक राहुल यादव, पीएसी के सिपाही कोमल यादव का बड़ा पुत्र था।

परिवार के अनुसार, राहुल की दो शादियाँ हुई थीं। पहली शादी कुछ समय पूर्व टूट चुकी थी, जिसके बाद पाँच महीने पहले उसने दूसरी शादी की थी। किन्तु विवाह के बाद से ही दांपत्य संबंधों में मतभेद उत्पन्न हो गए थे। पत्नी कुछ माह पूर्व अपने मायके चली गई थी और बार-बार बुलाने के बावजूद वापस आने को तैयार नहीं थी।

आत्महत्या से पहले मानसिक अवसाद के संकेत

परिजनों ने बताया कि राहुल पिछले कुछ सप्ताह से गहरे अवसाद में था। वह अक्सर एकांत में बैठा रहता, बातचीत से कतराता और अपने मित्रों से भी दूरी बना चुका था। परिवारवालों ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की, परंतु उसकी पीड़ा शब्दों में बयाँ नहीं हो पा रही थी।

यह घटना केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि इस बात का गंभीर संकेत है कि मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी किस प्रकार जीवन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।

गाँव में मातम और आत्मचिंतन का माहौल

जिउतपुरा गाँव में मंगलवार को हर चेहरे पर शोक की लकीरें थीं। लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि शांत स्वभाव का राहुल इतना बड़ा कदम कैसे उठा सकता है। ग्रामीणों ने बताया कि राहुल अपने परिवार के प्रति जिम्मेदार और शांत प्रवृत्ति का था। उसकी मृत्यु ने पूरे गाँव को झकझोर दिया है।

ग्राम प्रधान ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच की जाए, ताकि किसी प्रकार की सामाजिक या मानसिक प्रताड़ना की वजह सामने आ सके।

मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता की आवश्यकता

इस घटना ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि समाज में पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान क्यों नहीं दिया जाता। अवसाद और भावनात्मक संघर्ष को अक्सर “कमज़ोरी” समझ लिया जाता है, जबकि यह एक गंभीर चिकित्सकीय स्थिति होती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में परिवार और समाज को संवाद बनाए रखना चाहिए। किसी व्यक्ति के भीतर उमड़ते भावनात्मक तूफ़ान को पहचानना और उसे समझने का प्रयास करना, आत्महत्याओं की रोकथाम की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

प्रशासनिक दृष्टिकोण और आगे की कार्रवाई

पुलिस ने मृतक के मोबाइल फोन और व्यक्तिगत दस्तावेज़ जब्त कर लिए हैं। यह जाँच की जा रही है कि क्या किसी प्रकार का विवाद या संदेश आत्महत्या के पीछे कारण बना। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

इस घटना ने बलिया जिले में सामाजिक विमर्श को नया आयाम दिया है। यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि भावनात्मक सहयोग और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा कितनी बड़ी कीमत मांग सकती है।

राहुल यादव की मृत्यु एक चेतावनी है—एक मौन चीख़ कि अवसाद और अकेलापन किसी भी रूप में विनाशकारी हो सकते हैं। परिवार, समाज और प्रशासन — सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी व्यक्ति भावनात्मक अकेलेपन में इतना न डूबे कि जीवन त्याग दे।

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