संतानहीनता के दुख में युवती ने तोड़ा जीवन सूत्र, बलिया में आत्महत्या से मचा शोक
बलिया, उत्तर प्रदेश (31 अक्टूबर 2025) – उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। चितबड़ागांव थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव में 30 वर्षीय अंकिता सिंह ने कथित रूप से संतानहीनता के कारण अवसाद में आकर अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
घटना का विवरण
यह घटना बुधवार की रात की बताई जा रही है जब अंकिता सिंह ने अपने ससुराल में छत के पंखे से दुपट्टे के सहारे फांसी लगा ली। परिवार के लोगों ने जब दरवाज़ा तोड़ा, तब तक अंकिता की सांसें थम चुकी थीं।
सूचना मिलते ही पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची और शव को अपने कब्ज़े में लेकर पंचनामा तैयार किया गया। गुरुवार को पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें आत्महत्या की पुष्टि हुई।
सात वर्षों से थी संतानहीनता की पीड़ा
पुलिस जांच में सामने आया कि अंकिता की शादी करीब सात वर्ष पहले अंगद सिंह नामक युवक से हुई थी। शादी के बाद से ही दोनों को संतान प्राप्ति नहीं हो सकी थी, जिसके चलते अंकिता मानसिक रूप से काफी परेशान रहती थीं।
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, अंकिता ने कई चिकित्सकीय उपचार भी कराए, परंतु संतान न होने के कारण वह निरंतर अवसाद से घिरी रहीं। कई बार उन्होंने अपने मन की व्यथा परिजनों से साझा की थी, किंतु कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका।
पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट
थाना चितबड़ागांव के प्रभारी निरीक्षक दिनेश पाठक ने बताया कि प्रारंभिक जांच में आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है। परिवार के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गांव में पसरा मातम और सामाजिक विमर्श
इस घटना ने पूरे गांव में मातम का माहौल बना दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अंकिता हंसमुख स्वभाव की थीं, लेकिन संतानहीनता के कारण वह लंबे समय से मानसिक तनाव में थीं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि आज भी ग्रामीण समाज में संतानहीनता को कलंक की दृष्टि से देखा जाता है, जिससे महिलाएं मानसिक दबाव में आ जाती हैं। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञों की राय
मनोचिकित्सक विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों में महिलाओं को भावनात्मक सहयोग की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
डॉ. संगीता वर्मा का कहना है – “संतानहीनता कोई अभिशाप नहीं है। यदि समय रहते मनोवैज्ञानिक परामर्श और पारिवारिक सहयोग मिले, तो ऐसे हादसे रोके जा सकते हैं।”
समाज के लिए एक चेतावनी
अंकिता सिंह की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी है कि अवसाद और पारिवारिक दबाव को नजरअंदाज करना कितना घातक हो सकता है। महिलाओं को भावनात्मक समर्थन देना, खुलकर संवाद करना और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना आज की आवश्यकता बन चुकी है।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
फिलहाल पुलिस मामले की विस्तृत जांच कर रही है। मृतका के परिजनों के बयान के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। यदि किसी प्रकार के उत्पीड़न या दबाव की बात सामने आती है तो उसके अनुसार आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी।
बलिया की यह घटना इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि मानसिक तनाव और सामाजिक दबाव व्यक्ति को किस हद तक तोड़ सकता है। समाज को चाहिए कि ऐसे मामलों में सहानुभूति, संवेदना और समर्थन की भावना के साथ आगे आए।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।
 
            

 
                 Asfi Shadab
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