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Chhath Puja 2025: गोरखपुर के घाटों पर रील्स और सोशल मीडिया पर छाई छठ की धूम

Chhath Puja 2025: गोरखपुर के घाटों पर छठ पूजा की तैयारियों और सोशल मीडिया पर रील्स की धूम
Chhath Puja 2025: गोरखपुर के घाटों पर छठ पूजा की तैयारियों और सोशल मीडिया पर रील्स की धूम (Image Source: Pinterest)
अक्टूबर 25, 2025

छठ पूजा 2025: गोरखपुर के घाटों पर रील्स और सोशल मीडिया की धूम

छठ पूजा 2025 का महापर्व इंटरनेट मीडिया पर जमकर छाया हुआ है। गोरखपुर के घाटों पर युवा और कलाकार पारंपरिक वेशभूषा में छठ पूजा के गीतों पर रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। इस दौरान घाटों पर विशेष रौनक देखने को मिल रही है, जिससे लोगों में उत्साह और आस्था दोनों ही बढ़ रहे हैं।


घाटों पर छठ पूजा की तैयारी

गोरखपुर के रामगढ़ताल, राप्ती नदी के गुरु गोरक्षनाथ घाट और श्रीराम घाट पर छठ पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं। युवतियां पारंपरिक वेशभूषा में रील बनाकर इंटरनेट मीडिया पर साझा कर रही हैं। नैना गुप्ता और मुस्कान चौधरी जैसे प्रभावक “जोड़े फलवा” छठ गीत पर कई रील्स बना चुकी हैं। उनका कहना है कि इस बार पारंपरिक रील्स खूब ट्रेंड कर रही हैं और लोगों द्वारा इन्हें खूब देखा जा रहा है।


स्टूडियो में छठ गीतों की रिकॉर्डिंग

शहर के विभिन्न स्टूडियो में छठ गीतों की रिकॉर्डिंग पिछले एक माह से चल रही है। लोक गायक प्रभाकर शुक्ल, अमृता शर्मा और साधना चतुर्वेदी जैसे कलाकारों ने अपने गीत रिकॉर्ड कराए हैं। गायक विजय दुबे ने तारामंडल स्थित मुन्ना मिश्रा के स्टूडियो में “भइल अरघा के बेर” गीत की रिकॉर्डिंग की।

स्टूडियो संचालक दिवाकर के अनुसार, कलाकारों की टीम ने वीडियो भी तैयार किए हैं जो अब यूट्यूब चैनलों पर प्रसारित किए जा रहे हैं। इस साल छठ पूजा के गीत और रील दोनों ही सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहे हैं।


लोक आस्था और इंटरनेट मीडिया का संगम

छठ पूजा केवल धार्मिक आस्था का महापर्व नहीं है, बल्कि आधुनिक युग में इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से इसका प्रसार और लोकप्रियता भी बढ़ी है। स्थानीय कलाकार और प्रभावक इस महापर्व को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जीवंत कर रहे हैं।

गायक प्रभाकर ने बताया कि पिछले चार-पांच वर्षों में छठ पूजा के गीतों और रील्स की मांग में काफी वृद्धि हुई है। स्थानीय कलाकारों की भागीदारी ने इस परंपरा को और भी लोकप्रिय बना दिया है।

गोरखपुर में छठ पूजा 2025 का उत्सव पारंपरिक आस्था और आधुनिक डिजिटल मीडिया के संगम के रूप में देखने को मिल रहा है। घाटों पर तैयारियां, गीतों की रिकॉर्डिंग और रील्स का निर्माण इस महापर्व को युवा पीढ़ी के बीच भी लोकप्रिय बना रहा है।


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