भारत में धर्म की राजनीति और धीरेंद्र शास्त्री पर विवाद
स्वामी प्रसाद मौर्य और बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के बीच विवाद लगातार राजनीतिक चर्चाओं में बना हुआ है। हाल ही में उरई में आयोजित संविधान सम्मान और जनहित हुंकार यात्रा के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने धीरेंद्र शास्त्री पर तीखा हमला बोला। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि धर्म के नाम पर लोगों में नफरत फैलाने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उनका आरोप है कि धीरेंद्र शास्त्री धर्म के नाम पर समाज में वैमनस्य और विभाजन की खाई पैदा कर रहे हैं, जो देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का आरोप
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि देश की आजादी के संघर्ष में सभी वर्ग हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई ने मिलकर योगदान दिया था, लेकिन आज धर्म को राजनीति का हथियार बनाया जा रहा है। उनका आरोप है कि धीरेंद्र शास्त्री जैसे धर्मगुरु धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल समाज को बांटने के लिए कर रहे हैं। मौर्य के अनुसार, धर्म का उद्देश्य लोगों को जोड़ना है, न कि विभाजन करना, लेकिन आज इसके नाम पर नफरत फैलाई जा रही है।
हिंदू राष्ट्र की मांग को संविधान का अपमान बताया
स्वामी प्रसाद मौर्य ने धीरेंद्र शास्त्री द्वारा हिंदू राष्ट्र की मांग को संविधान का अपमान बताया और कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यदि देश के भीतर किसी भी धर्म को राष्ट्र की अवधारणा से जोड़कर राजनीति की जाएगी, तो इससे समाज में तनाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग धर्म के नाम पर देश को बांटने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें देशद्रोही मानते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
भाजपा सरकार पर बेरोजगारी और अपराध बढ़ाने के आरोप
संविधान सम्मान यात्रा के दौरान मौर्य ने भाजपा सरकार पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद बेरोजगारी कई गुना बढ़ी है। युवा 10 से 20 हजार रुपये की नौकरियों के लिए भी पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि अपराध का ग्राफ बढ़ा है और कानून व्यवस्था कमजोर हुई है। उनका कहना है कि दलितों और ओबीसी वर्ग के लोगों पर अत्याचार बढ़ा है, और सरकार इन्हें रोकने में नाकाम रही है।
पहले भी दे चुके हैं विवादास्पद बयान
यह पहली बार नहीं है जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने धीरेंद्र शास्त्री पर हमला बोला हो। इससे पूर्व भी उन्होंने शास्त्री को देश को बांटने वालों में शामिल बताते हुए आरोप लगाया था कि ऐसे लोगों को सुरक्षा और प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उनका दावा है कि धार्मिक उन्माद फैलाने वालों पर नकेल कसने की बजाय भाजपा सरकार उन्हें संरक्षण देती है, जिससे समाज में तनाव बढ़ता है।
यात्रा के जरिए जनहित और संविधान संरक्षण की अपील
स्वामी प्रसाद मौर्य की पार्टी वर्तमान समय में संविधान सम्मान और जनहित हुंकार यात्रा के माध्यम से पूरे प्रदेश में जागरूकता अभियान चला रही है। उनका कहना है कि इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि धर्म का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग जारी रहा, तो यह लोकतंत्र की जड़ें कमजोर कर देगा।
धर्म और राजनीति के टकराव पर बढ़ती बहस
धीरेंद्र शास्त्री का बढ़ता राजनीतिक प्रभाव और उनके बयानों से उत्पन्न विवाद इस बात का संकेत देता है कि धर्म और राजनीति का टकराव आने वाले समय में और भी तीखा हो सकता है। जहाँ एक ओर समर्थक उन्हें हिंदू एकजुटता का प्रतीक मानते हैं, वहीं विरोधी उनके भाषणों को समाज में अलगाव का कारण बता रहे हैं। इस विवाद ने देश में धर्म आधारित राजनीति के भविष्य पर नई चर्चाओं को जन्म दिया है।
समाज में बढ़ते ध्रुवीकरण पर चिंता
आज समाज में बढ़ते ध्रुवीकरण ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जब धर्म का उपयोग सामाजिक सद्भाव के लिए होना चाहिए, तब इसे राजनीतिक मुनाफे के लिए इस्तेमाल करना चिंता का विषय है। मौर्य ने चेतावनी दी कि यदि धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने वालों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में देश एक गंभीर सामाजिक संकट का सामना कर सकता है।