मिशन शक्ति 5.0: बाल विवाह के खिलाफ योगी सरकार का ‘जीरो टॉलरेंस’ अभियान
डिजिटल डेस्क, लखनऊ।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मिशन शक्ति 5.0 के तहत बाल विवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ एक ऐतिहासिक और व्यापक अभियान की शुरुआत की है। “बाल विवाह को ना” थीम पर आधारित यह अभियान 2030 तक प्रदेश को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है। यह केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि समाज में गहराई तक जमी मानसिकता को बदलने की दिशा में उठाया गया एक क्रांतिकारी कदम है।
“बाल विवाह को ना” – जागरूकता और साहस का संगम
अंतरराष्ट्रीय बालिका सप्ताह (3 से 11 अक्टूबर) के दौरान राज्यभर में आयोजित कार्यक्रमों में “बाल विवाह को ना” का संदेश गूंज उठा। इन आयोजनों में बालिकाओं, महिलाओं, समाजसेवियों, शिक्षकों और अभिभावकों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि कोई भी बालिका अब शिक्षा से वंचित नहीं होगी और समाज किसी नाबालिग विवाह को स्वीकार नहीं करेगा।
इस अभियान का विशेष आकर्षण रहा उन साहसी बालिकाओं का सम्मान, जिन्होंने सामाजिक और पारिवारिक दबावों को दरकिनार करते हुए विवाह से इंकार किया और पढ़ाई व आत्मनिर्भरता का रास्ता चुना। इन बालिकाओं ने यह दिखाया कि अगर हिम्मत हो, तो कोई भी कुरीति अजेय नहीं।
आंकड़े बताते हैं सफलता की कहानी
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बाल विवाह की दर 15.8 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत है। यह आंकड़ा बताता है कि राज्य ने बीते कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन सरकारी और सामाजिक प्रयासों के कारण इसमें लगातार गिरावट देखी जा रही है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार, अब तक 2000 से अधिक संभावित बाल विवाह रोके गए हैं और सैकड़ों बालिकाओं को नई ज़िंदगी मिली है। यह साबित करता है कि मिशन शक्ति 5.0 सिर्फ नीति नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण की एक जनचेतना बन चुका है।
कानूनी सख्ती और संवेदनशीलता दोनों पर जोर
भारत सरकार के बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत नाबालिग विवाह कराना या उसमें भाग लेना एक दंडनीय अपराध है। योगी सरकार ने इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक जिले में प्रोबेशन अधिकारियों को प्रतिषेध अधिकारी के रूप में नियुक्त किया है, जो ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं।
लेकिन सरकार की दृष्टि केवल कानूनी सख्ती तक सीमित नहीं है। मिशन शक्ति 5.0 में मानसिकता परिवर्तन पर भी उतना ही जोर दिया गया है। परिवार स्तर पर संवाद और समाज में समानता के भाव को बढ़ावा देने के लिए पंचायतों, स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में लगातार गोष्ठियां, नाटक, वाद-विवाद और जनसंवाद आयोजित किए जा रहे हैं।
“बालिकाओं का साहस ही बदलेगा समाज”
महिला एवं बाल विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव लीना जोहरी ने कहा —
“बाल विवाह केवल सामाजिक कुरीति नहीं, बल्कि बालिकाओं के अधिकारों का घोर उल्लंघन है। सरकार शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण के माध्यम से बालिकाओं को मजबूत बना रही है। आज बालिकाओं का साहस ही नया उत्तर प्रदेश गढ़ेगा।”
उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि योगी सरकार का यह अभियान सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन बन चुका है, जिसका केंद्रबिंदु है — “शिक्षित बालिका, सशक्त समाज।”
समाज में आ रहा है बदलाव
मिशन शक्ति 5.0 के जरिए सरकार ने समाज को आईना दिखाया है — यह संदेश दिया है कि परंपरा और प्रथा से बड़ा है “मानवाधिकार और भविष्य का अधिकार”। आज प्रदेश के कई जिलों में पिता अपनी बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं, वहीं पंचायतों में “बाल विवाह न होने देने” का संकल्प सामूहिक स्तर पर लिया जा रहा है।
योगी सरकार का यह प्रयास न केवल बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति के खिलाफ जंग है, बल्कि एक नए उत्तर प्रदेश की नींव है — जहां हर बालिका को अपने भविष्य का निर्णय खुद लेने की स्वतंत्रता होगी।
2030 तक यूपी को बाल विवाह मुक्त बनाने का यह संकल्प, महिला सशक्तिकरण की दिशा में भारत के सबसे बड़े अभियानों में से एक बन चुका है।