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राज्य कर अधिकारियों की काली कमाई रियल एस्टेट में खपाई, अब एसटीएफ खोलेगी गुप्त निवेश की परतें

UP Tax Officers Black Money
UP Tax Officers Black Money: लखनऊ में रियल एस्टेट में खपाई गई काली कमाई की जांच अब एसटीएफ करेगी
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राज्य कर अधिकारियों की काली कमाई पर एसटीएफ की पैनी नजर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राज्य कर विभाग के कई अधिकारियों की काली कमाई को रियल एस्टेट कारोबार में खपाने का बड़ा मामला सामने आया है। इस घोटाले की गहराई अब स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और आयकर विभाग मिलकर जांच कर रहे हैं। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि अधिकारियों ने भारी मात्रा में नकद लेनदेन कर जमीनें खरीदीं, जिनका अधिकांश हिस्सा उनके रिश्तेदारों और पत्नियों के नाम पर पंजीकृत किया गया।


रियल एस्टेट में काले धन का जाल

जांच में सामने आया है कि नेचर वेल और बिल्ड वेल नामक दो रियल एस्टेट कंपनियों के माध्यम से इन अधिकारियों ने करोड़ों रुपये की संपत्तियां खरीदीं। सूत्रों के अनुसार, जमीन खरीद में लगभग 70 प्रतिशत रकम नकद दी गई थी, जिससे अब मनी ट्रेल का पता लगाना एसटीएफ के लिए चुनौती बन गया है।

राज्य कर विभाग की आंतरिक जांच में यह मामला सबसे पहले उजागर हुआ था। इसके बाद आयकर विभाग ने इन कंपनियों के संचालकों — अंशु उपाध्याय, अभिषेक मिश्रा, अविरल गुप्ता और अक्षयवृत शुक्ला — को नोटिस भेजकर तलब किया, परंतु वे अब तक सामने नहीं आए।


जमीन रजिस्ट्री और लेनदेन के दस्तावेज़ जब्त

एसटीएफ ने जांच को गति देते हुए लखनऊ में अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम पर हुई जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े दस्तावेज जुटाए हैं। प्राथमिक जांच में यह भी पाया गया है कि इन कंपनियों से संबंधित एक संचालक राज्य कर विभाग के पूर्व अधिकारी का रिश्तेदार है, जबकि दूसरा संचालक वर्तमान में तैनात एक अधिकारी का निकट संबंधी है।

इन्हीं दोनों के माध्यम से कई अन्य अधिकारियों द्वारा भारी निवेश किए जाने की बात सामने आई है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि किन-किन अधिकारियों ने इन कंपनियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पैसा लगाया।


एसटीएफ की जांच की दिशा

एसटीएफ अब इन सभी संचालकों से विस्तृत पूछताछ की तैयारी में है। एजेंसी ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) खंगालने का कार्य शुरू कर दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किन अधिकारियों के रियल एस्टेट कारोबारियों से लगातार संपर्क रहे हैं।

साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि किन-किन परियोजनाओं में यह पैसा लगाया गया और संपत्तियों की रजिस्ट्री किस तारीख को और किस मूल्य पर हुई। इस पूरे लेनदेन में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता।


पत्नी और परिजनों के नाम पर संपत्तियां खरीदीं गईं

आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, कई राज्य कर अधिकारियों ने अपनी पत्नियों और अन्य परिजनों के नाम पर जमीनें खरीदीं। इन संपत्तियों की कीमत बाजार मूल्य से कई गुना अधिक बताई जा रही है। फिलहाल, एसटीएफ यह भी पता लगाने में जुटी है कि इन जमीनों पर निर्माण कार्य शुरू हुआ या नहीं, और क्या यह धन आगे किसी अन्य व्यवसाय में लगाया गया।


मनी ट्रेल से खुलेंगे बड़े राज़

विशेषज्ञों का मानना है कि नकद लेनदेन का यह तरीका केवल कर चोरी ही नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग का संकेत देता है। एसटीएफ के पास अब जमीनों के रजिस्ट्री दस्तावेज, बैंक खातों की डिटेल और मोबाइल कॉल रिकॉर्ड जैसे कई अहम सबूत हैं। आने वाले दिनों में इस मामले से कई बड़े नामों के उजागर होने की संभावना है।


कठोर कार्रवाई की तैयारी

आयकर विभाग ने पहले ही संदिग्ध लेनदेन के संबंध में नोटिस भेजे हैं। अब एसटीएफ के हस्तक्षेप से यह मामला और गंभीर रूप ले चुका है। यदि जांच में काली कमाई के सबूत मिलते हैं, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई हो सकती है।


राज्य कर विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल

यह मामला केवल कुछ अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि विभाग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार के मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कर प्रशासन में सुधार और जवाबदेही सुनिश्चित करना अब समय की मांग है।


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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.