माघ मेला 2026: प्रयागराज पहुंचना होगा आसान, श्रद्धालुओं के लिए 3800 रोडवेज बसों का इंतजाम

माघ मेला 2026: प्रयागराज पहुंचना होगा आसान
माघ मेला 2026 (File Photo)
प्रयागराज में 3 जनवरी से शुरू हो रहे माघ मेला 2026 के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम 3800 बसों का संचालन करेगा। प्रमुख स्नान पर्वों पर विशेष शटल बसें, दो अस्थायी बस स्टेशन और बेहतर सूचना व्यवस्था श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तैयार की गई है।
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Magh Mela 2026: गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर लगने वाला माघ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और व्यवस्थाओं की एक बड़ी परीक्षा भी होता है। प्रयागराज में 3 जनवरी से शुरू हो रहा माघ मेला 2026 इस बार कई मायनों में खास रहने वाला है। बीते वर्ष महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि की संभावना को देखते हुए सरकार और प्रशासन ने इस बार पहले से कहीं अधिक व्यापक तैयारी की है।

इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने माघ मेला के लिए 3800 बसों के संचालन का फैसला लिया है। यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है और इससे साफ है कि इस बार श्रद्धालुओं की आवाजाही को लेकर सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।

माघ मेला 2026 के लिए परिवहन की बड़ी तैयारी

उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री दयाशंकर सिंह के अनुसार, प्रयागराज माघ मेला इस वर्ष विशिष्ट स्वरूप में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष दिव्य और भव्य महाकुंभ में लगभग 67 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। उसी अनुभव से सीख लेते हुए इस बार माघ मेले में भी व्यवस्थाओं को पहले से अधिक सुदृढ़ किया गया है।

परिवहन निगम हर साल माघ मेले के दौरान करीब 2800 बसों का संचालन करता रहा है, लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए 1000 अतिरिक्त बसें बढ़ाई गई हैं। इससे दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी राहत मिलेगी।

प्रमुख स्नान पर्वों पर रहेगी विशेष व्यवस्था

माघ मेले के दौरान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी ऐसे पर्व होते हैं, जब संगम तट पर श्रद्धालुओं की संख्या अचानक कई गुना बढ़ जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए परिवहन निगम ने इन दिनों के लिए विशेष योजना तैयार की है।

इस वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति, 18 जनवरी को मौनी अमावस्या और 23 जनवरी को बसंत पंचमी का स्नान पर्व पड़ेगा। इन अवसरों पर परिवहन निगम 200 बसों को रिजर्व रखेगा। ये बसें स्नान पर्व से दो दिन पहले और एक दिन बाद तक शटल बसों के रूप में चलाई जाएंगी, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

अलग-अलग क्षेत्रों से तय की गई बसों की संख्या

परिवहन व्यवस्था को संतुलित और सुचारु बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से बसों की संख्या पहले ही तय कर दी गई है। लखनऊ और गोरखपुर क्षेत्र से 500-500 बसें संचालित होंगी। आजमगढ़ और वाराणसी क्षेत्र से 430-430 बसें चलाई जाएंगी।

इसके अलावा अयोध्या क्षेत्र से 270, प्रयागराज क्षेत्र से सर्वाधिक 550, चित्रकूट धाम से 330, कानपुर क्षेत्र से 270, हरदोई क्षेत्र से 350 और देवीपाटन क्षेत्र से 250 बसों का संचालन किया जाएगा। झांसी क्षेत्र से भी 50 बसें मेले के लिए लगाई जाएंगी।

सामान्य दिनों में भी मिलेगी सुविधा

माघ मेला केवल प्रमुख स्नान पर्वों तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसकी पूरी अवधि तीन जनवरी से 15 फरवरी तक रहती है। इस दौरान सामान्य दिनों में भी श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए सामान्य दिनों में 25 बसें नियमित रूप से संचालित की जाएंगी।

प्रशासन का मानना है कि इस निरंतर बस सेवा से न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, बल्कि प्रयागराज शहर पर यातायात का दबाव भी कम होगा।

मेला क्षेत्र में बनाए जाएंगे दो अस्थायी बस स्टेशन

प्रयागराज माघ मेला क्षेत्र में हर वर्ष एक अस्थायी बस स्टेशन का निर्माण किया जाता रहा है, लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए दो अस्थायी बस स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इससे बसों की पार्किंग, यात्रियों की चढ़ाई-उतराई और रूट प्रबंधन में आसानी होगी।

इसके साथ ही मेला परिक्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर फ्लेक्स बोर्ड लगाए जाएंगे, जिन पर यह जानकारी होगी कि किस स्थान से किस दिशा के लिए बस उपलब्ध है। यह व्यवस्था खासतौर पर पहली बार आने वाले श्रद्धालुओं के लिए काफी मददगार साबित होगी।

पुरानी सेवाएं भी रहेंगी जारी

परिवहन राज्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि लखनऊ और अन्य प्रमुख शहरों से प्रयागराज के लिए पहले से संचालित बस सेवाएं यथावत चलती रहेंगी। यानी माघ मेला के नाम पर नियमित यात्रियों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।

कुल मिलाकर माघ मेला 2026 को लेकर परिवहन व्यवस्था इस बार कहीं अधिक संगठित, व्यापक और श्रद्धालु-केंद्रित नजर आ रही है। प्रशासन का उद्देश्य साफ है कि आस्था की इस यात्रा में श्रद्धालुओं को जाम, अव्यवस्था या असुविधा का सामना न करना पड़े।

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।