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यूपी भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द, पंचायत चुनाव से पहले तेज हुई प्रक्रिया

UP President Appointment: यूपी भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द, पंचायत चुनाव से पहले तेज हुई प्रक्रिया
UP President Appointment: यूपी भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द, पंचायत चुनाव से पहले तेज हुई प्रक्रिया (File Photo)
उत्तर प्रदेश में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया तेज हो गई है। 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यह फैसला अहम है। निवर्तमान अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल जनवरी 2024 में समाप्त हो चुका है। प्रमुख दावेदारों में धर्मपाल सिंह, बीएल वर्मा, रामशंकर कठेरिया, विद्या सागर सोनकर, दिनेश शर्मा और हरीश द्विवेदी शामिल हैं। पार्टी सपा के पीडीए फॉर्मूले को तोड़ने के लिए ओबीसी नेता को प्राथमिकता दे रही है। 14 नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है।
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से नए बदलाव की तैयारी हो रही है। भारतीय जनता पार्टी अपने प्रदेश संगठन को मजबूत करने के लिए नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की दिशा में तेजी से काम कर रही है। लंबे समय से लंबित इस फैसले को लेकर अब चर्चा तेज हो गई है। पार्टी ने बुधवार को ही 14 नए जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा की है, जो इस बात का संकेत है कि संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है।

निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल जनवरी 2024 में ही समाप्त हो चुका है। तब से यह पद खाली है और पार्टी नए चेहरे की तलाश में जुटी हुई है। 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यह नियुक्ति पार्टी के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हीरो बाजपेयी ने साफ तौर पर कहा है कि जल्द ही प्रदेश भाजपा को अपना नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा और अब इसमें और देरी नहीं होगी।

चुनावी तैयारियों की जरूरत

उत्तर प्रदेश में आने वाले समय में दो बड़े चुनाव होने वाले हैं। 2026 में पंचायत चुनाव और उसके बाद 2027 में विधानसभा चुनाव। दोनों ही चुनाव भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। खासकर 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी अपनी रणनीति में सुधार करना चाहती है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें 62 से घटकर महज 33 रह गई थीं। यह पार्टी के लिए एक बड़ा झटका था, खासकर अयोध्या जैसे धार्मिक केंद्र में हार ने पार्टी को हिलाकर रख दिया था।

इस हार के पीछे समाजवादी पार्टी का पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समीकरण कारगर साबित हुआ। इस फॉर्मूले ने ओबीसी और दलितों के एक बड़े हिस्से को सपा के पक्ष में कर दिया। अब भाजपा इस चुनौती का सामना करने के लिए अपने सामाजिक समीकरणों को फिर से मजबूत कर रही है। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में भी इन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखा जा रहा है।

कौन हैं दावेदार

प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई नाम चर्चा में हैं। इनमें से ज्यादातर नाम ऐसे नेताओं के हैं जिनके पास संगठनात्मक अनुभव का लंबा इतिहास है। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी के प्रदेश महासचिल धर्मपाल सिंह से निकटता भी इस चयन में अहम भूमिका निभा रही है।

प्रमुख दावेदारों में उत्तर प्रदेश के मंत्री धर्मपाल सिंह और केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा का नाम सबसे आगे है। दोनों ही ओबीसी समुदाय से आते हैं। पार्टी का मानना है कि ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से समाजवादी पार्टी के पीडीए फॉर्मूले को तोड़ा जा सकता है।

इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया और वर्तमान विधान परिषद सदस्य विद्या सागर सोनकर भी दौड़ में हैं। दोनों दलित समुदाय से हैं। दलित वोट बैंक भाजपा के लिए हमेशा से अहम रहा है और पार्टी इस वर्ग को साधने के लिए गंभीर है।

ब्राह्मण समुदाय से पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी के नाम भी चर्चा में हैं। हाल ही में प्रदेश भाजपा महासचिल गोविंद नारायण शुक्ला का नाम भी इस दौड़ में शामिल हुआ है।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि वर्तमान में ओबीसी नेता इस दौड़ में सबसे आगे हैं। पार्टी का मानना है कि ओबीसी चेहरे को आगे रखकर सपा के जातिगत समीकरण को तोड़ा जा सकता है। यही कारण है कि हाल ही में नियुक्त किए गए 14 जिला अध्यक्षों में भी ओबीसी समुदाय के नेताओं की संख्या ज्यादा है।

जिला अध्यक्षों की नियुक्ति

भाजपा ने बुधवार को 14 नए जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा की। इसके साथ ही अब तक कुल 84 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है। अभी 14 संगठनात्मक जिले अपने नए अध्यक्षों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह नियुक्तियां भी जल्द ही की जाएंगी। जिला स्तर पर संगठन को मजबूत करना पार्टी की प्राथमिकता है क्योंकि जमीनी स्तर पर मजबूती के बिना चुनाव जीतना मुश्किल है।

खरमास से पहले फैसले की संभावना

राज्य भाजपा का एक वर्ग चाहता है कि नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति खरमास शुरू होने से पहले हो जाए। खरमास वह समय होता है जब हिंदू धर्म में शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है। यह अवधि 16 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 14 जनवरी 2026 तक चलेगी। चूंकि पंचायत चुनाव 2026 की शुरुआत में होने हैं, इसलिए पार्टी नेतृत्व बिना किसी देरी के नियुक्ति करना चाहता है।

पार्टी के लिए यह नियुक्ति सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है बल्कि आने वाले चुनावों की रणनीति का हिस्सा है। नया प्रदेश अध्यक्ष पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक पार्टी का नेतृत्व करेगा। इसलिए यह जरूरी है कि ऐसे नेता को चुना जाए जो जमीनी स्तर पर मजबूत हो और संगठन को चुनाव के लिए तैयार कर सके।

सामाजिक समीकरण की चुनौती

उत्तर प्रदेश में भाजपा की सफलता का बड़ा कारण उसके सामाजिक समीकरण रहे हैं। पार्टी ने गैर-जाटव दलित, गैर-यादव ओबीसी और उच्च जातियों को अपने साथ जोड़कर एक मजबूत वोट बैंक तैयार किया था। इसी के बल पर पार्टी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव जीते थे।

लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने पीडीए फॉर्मूले से इस समीकरण को तोड़ दिया। ओबीसी और दलितों का एक बड़ा हिस्सा सपा के पक्ष में चला गया। फैजाबाद में हार ने यह साबित कर दिया कि सिर्फ धार्मिक मुद्दों के भरोसे चुनाव नहीं जीता जा सकता। अब भाजपा फिर से अपने सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने में जुटी है।

आगे की राह

नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद भाजपा की असली परीक्षा पंचायत चुनाव में होगी। यह चुनाव जमीनी स्तर की राजनीति का आईना होता है। यहां सफलता मिलने पर पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनाव में भी फायदा होगा। पार्टी का फोकस अब संगठन को मजबूत करने और जातिगत समीकरणों को साधने पर है। नया प्रदेश अध्यक्ष इस दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.