वाराणसी में अभूतपूर्व वर्षा से जनजीवन अस्त-व्यस्त
वाराणसी में शुक्रवार को हुई अभूतपूर्व वर्षा ने 125 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। बनारस के बीएचयू क्षेत्र में 187 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जिससे जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ। बीएचयू अस्पताल और ट्रामा सेंटर में पानी भर जाने से मरीजों और तीमारदारों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

बीएचयू अस्पताल और ट्रामा सेंटर में बाढ़
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अस्पताल परिसर में कमर तक पानी भर गया, जिसके कारण अधिकांश चिकित्सक अपने कक्ष तक नहीं पहुँच पाए।
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डॉक्टर सुनील कुमार राव और अनिल कुमार सरोज ने पार्किंग में खड़े होकर OPD सेवा जारी रखी।
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परिसर में कई दुपहिया और चार पहिया वाहन पानी में डूब गए।

मौसम और वर्षा का रिकॉर्ड
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भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 9 अक्टूबर 1900 को वाराणसी में 138.8 मिमी वर्षा हुई थी, जो अक्टूबर माह के एक दिन की सबसे अधिक वर्षा थी।
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शुक्रवार की वर्षा 187 मिमी रिकॉर्ड करते हुए पुराने रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
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बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दाब के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश में घनघोर बादल छा गए।
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मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया और स्कूल व कॉलेजों की छुट्टी की घोषणा की।

जनजीवन और प्रशासनिक प्रभाव
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1 अक्टूबर से 4 अक्टूबर तक वाराणसी में कुल 152.2 मिमी वर्षा हुई, जो औसत वर्षा से 1591 प्रतिशत अधिक है।
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स्थानीय निवासी इस वर्षा से अपनी दिनचर्या प्रभावित होने की शिकायत कर रहे हैं।
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जलभराव के कारण कई क्षेत्रों में यातायात बाधित हुआ।
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प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।

कृषि क्षेत्र और फसल पर असर
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अत्यधिक वर्षा के कारण कृषि क्षेत्र में भी असर की आशंका है।
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किसान मानते हैं कि वर्षा फसल के लिए लाभकारी है, लेकिन अत्यधिक जलभराव से फसलें प्रभावित हो सकती हैं।
वाराणसी में हुई इस अभूतपूर्व वर्षा ने मौसम और जनजीवन दोनों पर भारी प्रभाव डाला है। प्रशासन और मौसम विभाग की चेतावनियों के बावजूद, लोगों को सावधानी बरतनी पड़ रही है और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सतत प्रयास जारी हैं।