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चार महीने बाद हाथियों के झुंड ने पकड़ा दलमा का रास्ता, आलू रोपण के मौसम में नुकसान की आशंका से दहशत में लोग

Elephant Herd Returns Dalma: बांकुड़ा से दलमा लौट रहा हाथियों का झुंड, आलू के मौसम में बढ़ी चिंता
Elephant Herd Returns Dalma: बांकुड़ा से दलमा लौट रहा हाथियों का झुंड, आलू के मौसम में बढ़ी चिंता (AI Photo)
पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा में चार महीने रहने के बाद 63 हाथियों का झुंड दलमा वापस जा रहा है। आलू रोपण के इस मौसम में हाथियों के गुजरने से भारी नुकसान की आशंका है। वन विभाग तीन दलों में बंटे हाथियों पर निगरानी रख रहा है। हर साल अगस्त में आने वाला यह झुंड दिसंबर-जनवरी में वापस लौटता है।
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पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले में चार महीने तक रहने के बाद हाथियों का एक बड़ा झुंड अब अपने मूल ठिकाने दलमा की ओर वापस लौटने लगा है। कुल 63 हाथियों का यह झुंड बड़जोड़ा के साहारजोड़ा और पाबोया जंगल से अपने पुराने रास्ते पर चलना शुरू कर चुका है। आलू रोपण का यह महत्वपूर्ण मौसम है और हाथियों के इस झुंड के वापस लौटने से रास्ते में आने वाले विस्तृत इलाके के लोग भारी नुकसान की आशंका से दहशत में हैं।

हर साल की तरह इस साल भी अगस्त महीने की शुरुआत में भोजन की तलाश में दलमा से यह हाथियों का झुंड पश्चिम बंगाल में दाखिल हुआ था। पश्चिम मिदनापुर जिले से होते हुए यह झुंड सीधे बांकुड़ा के बड़जोड़ा वन क्षेत्र के पाबोया और साहारजोड़ा इलाके में पहुंच गया था। वन विभाग के अनुसार कल शाम से अलग-अलग समय पर यह झुंड तीन हिस्सों में बंटकर अपने घर की ओर चल पड़ा है।

बिखरे हाथियों को संभालना मुश्किल

जब हाथियों का झुंड अलग-अलग और बिखरे हुए रूप में जंगलों में घूमता है तो उन्हें नियंत्रित करना बेहद कठिन हो जाता है। जंगल से लगे गांवों में फसलों और आम लोगों की संपत्ति का नुकसान तो होता ही है, साथ ही जान-माल के नुकसान की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। इसी आशंका को देखते हुए पिछले चार महीनों से साहारजोड़ा और पाबोया के जंगल के एक निश्चित क्षेत्र में कांटेदार तारों से घेरकर हाथियों के इस झुंड को रोका गया था।

हाथियों के लिए खास इंतजाम

वन विभाग ने यह सुनिश्चित किया था कि निश्चित जगह पर रहने वाले हाथियों को खाने-पीने की कोई कमी न हो। इसके लिए विभाग ने लगातार कड़ी निगरानी रखी थी। हाथियों को पर्याप्त मात्रा में भोजन और पानी की व्यवस्था की गई थी ताकि वे जंगल से बाहर न निकलें और आसपास के गांवों में नुकसान न करें।

धान की कटाई के बाद शुरू हुआ सफर

आमन धान की कटाई का मौसम खत्म होते ही हाथियों का यह झुंड अपने पुराने रास्ते से दलमा की ओर वापस लौटने लगा है। वन विभाग के सूत्रों से पता चला है कि कुल तीन अलग-अलग दलों में बंटकर हाथियों का यह झुंड पश्चिम मिदनापुर होते हुए दलमा का रास्ता पकड़ चुका है। हर दल में अलग-अलग संख्या में हाथी हैं जो अपनी गति से आगे बढ़ रहे हैं।

आलू के मौसम में बढ़ी चिंता

इस समय खेतों में आलू रोपण का काम चल रहा है। किसान अपनी मेहनत और पूंजी लगाकर आलू की खेती की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में हाथियों के झुंड के गुजरने से रास्ते में पड़ने वाले खेतों में भारी नुकसान की आशंका से किसान और ग्रामीण बेहद चिंतित हैं। आलू की फसल इस क्षेत्र के किसानों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है और इसमें कोई नुकसान उनके लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

वन विभाग की निगरानी

वन विभाग ने बताया है कि हाथियों के सफर के दौरान कम से कम नुकसान हो और हाथियों की सुरक्षा भी बाधित न हो, इसके लिए लगातार निगरानी की जा रही है। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हाथियों के झुंड के साथ-साथ चल रहे हैं। जिन इलाकों से हाथी गुजर रहे हैं वहां के ग्रामीणों को सतर्क किया जा रहा है। लोगों से कहा जा रहा है कि वे हाथियों को परेशान न करें और सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

ग्रामीणों की दहशत

हाथियों के झुंड के गुजरने वाले रास्ते में पड़ने वाले गांवों में दहशत का माहौल है। लोग अपनी फसलों और घरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। रात के समय विशेष रूप से लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं। कई गांवों में लोग रात भर जागकर पहरेदारी कर रहे हैं ताकि हाथी उनके खेतों में घुसने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

हर साल की यह दास्तान

यह सिलसिला हर साल दोहराया जाता है। हाथियों का यह झुंड अगस्त-सितंबर में दलमा से निकलकर पश्चिम बंगाल में आता है और दिसंबर-जनवरी में वापस लौट जाता है। इस दौरान वे खाने की तलाश में विभिन्न जंगलों और इलाकों में घूमते हैं। हालांकि वन विभाग हर बार उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश करता है लेकिन कुछ नुकसान हो ही जाता है।

आगे की चुनौती

अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हाथियों का यह झुंड बिना किसी बड़े नुकसान के सुरक्षित दलमा पहुंच जाए। वन विभाग ने पूरे रास्ते पर सतर्कता बढ़ा दी है। जिन इलाकों से हाथी गुजरेंगे वहां के प्रशासन को भी अलर्ट कर दिया गया है। साथ ही ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे हाथियों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें और उन्हें भड़काने की कोशिश न करें।

इस पूरे प्रवास में मानव-पशु संघर्ष को कम से कम करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन दोनों मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं ताकि यह प्रवास शांतिपूर्ण तरीके से पूरा हो सके।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।