बांग्लादेश में हिन्दुओं पर लगातार हो रहे अत्याचार और पश्चिम बंगाल में सनातनियों की उपेक्षा के खिलाफ शनिवार शाम को हावड़ा मैदान मेट्रो स्टेशन के पास एक विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ। अंजनी पुत्र सेना के कार्यकर्ताओं ने इस प्रदर्शन में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनूस का पुतला जलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। शाम साढ़े पांच बजे शुरू हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में हिन्दू सनातनी समुदाय के लोग शामिल हुए और अपनी आवाज बुलंद की।
बांग्लादेश में युवक के साथ हुई शर्मनाक घटना
कुछ दिन पहले बांग्लादेश में एक हिन्दू युवक के साथ हुई शर्मनाक घटना ने पूरे सनातनी समुदाय को झकझोर कर रख दिया। इस युवक को सरेआम प्रताड़ित किया गया और बाद में पुलिस के हवाले कर दिया गया। यह घटना केवल एक व्यक्ति के साथ हुए अन्याय की कहानी नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय के साथ लगातार हो रहे भेदभाव और उत्पीड़न का एक और दर्दनाक उदाहरण है।
पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिन्दुओं के मंदिरों पर हमले, उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना और उन्हें धमकाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। अंतरिम सरकार के गठन के बाद भी हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पाई है, जो गहरी चिंता का विषय है।

हावड़ा मैदान पर उमड़ा जनसैलाब
शनिवार शाम को हावड़ा मैदान मेट्रो स्टेशन के पास जब अंजनी पुत्र सेना के कार्यकर्ता इकट्ठा हुए तो वहां का माहौल गर्म हो गया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर “हिन्दुओं की सुरक्षा करो”, “बांग्लादेश में अत्याचार बंद करो” और “युनूस सरकार शर्मनाक” जैसे नारे लिखे हुए थे। भीड़ ने एकजुट होकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।
प्रदर्शनकारियों ने न केवल मोहम्मद युनूस का पुतला जलाया बल्कि प्रतीकात्मक रूप से बांग्लादेश के झंडे को भी दहन किया। यह कदम उनके गुस्से और निराशा का प्रतीक था। लोगों का कहना था कि जब तक बांग्लादेश में हिन्दुओं को न्याय नहीं मिलेगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
संगठन के संपादक ने दी चेतावनी
अंजनी पुत्र सेना के संपादक सुरेंद्र वर्मा ने प्रदर्शन के दौरान एक जोरदार भाषण दिया। उन्होंने कहा, “हम सनातनियों को अब एकजुट होकर खड़ा होना होगा। यह लड़ाई केवल बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार के खिलाफ नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल में भी हिन्दू सनातनियों के साथ जो उपेक्षा और अन्याय हो रहा है, उसके खिलाफ भी है।”
सुरेंद्र वर्मा ने आगे कहा, “हमारी मांग बिल्कुल स्पष्ट है – बांग्लादेश में हुई इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए, दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए और वहां रह रहे हिन्दू पीड़ितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। हम चुपचाप बैठने वाले नहीं हैं।”

पश्चिम बंगाल में भी असुरक्षा की भावना
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि केवल बांग्लादेश में ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल में भी हिन्दू समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है। कई इलाकों में सनातनी त्योहारों पर पाबंदियां, मंदिरों की उपेक्षा और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। संगठन का कहना है कि राज्य सरकार को इस मामले में संवेदनशील होना चाहिए और हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
कुछ प्रदर्शनकारियों ने तो यहां तक कहा कि बांग्लादेश से आने वाली घटनाओं का असर पश्चिम बंगाल में भी देखा जा रहा है। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले हिन्दू परिवार खासतौर पर चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि अगर बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ अत्याचार जारी रहा तो इसका प्रभाव यहां भी पड़ सकता है।
सनातनी एकता का आह्वान
इस प्रदर्शन में शामिल कई वक्ताओं ने हिन्दू समुदाय से एकजुट होने की अपील की। उनका कहना था कि आज के समय में सनातनियों को अपनी आवाज बुलंद करनी होगी और अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा। कमजोर पड़ना या चुप रहना विकल्प नहीं है।
संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और उनका उद्देश्य केवल न्याय की मांग करना है। वे किसी भी तरह की हिंसा या अराजकता में विश्वास नहीं करते, लेकिन साथ ही वे यह भी नहीं चाहते कि हिन्दुओं के साथ होने वाले अन्याय को नजरअंदाज किया जाए।
आगे की रणनीति
अंजनी पुत्र सेना ने घोषणा की है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आने वाले दिनों में और भी बड़े प्रदर्शन करेंगे। संगठन ने केंद्र सरकार से भी अपील की है कि वह बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए और वहां रह रहे हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर कदम उठाए।
यह प्रदर्शन बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में हिन्दू समुदाय की बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है। सवाल यह है कि क्या संबंधित सरकारें इन मांगों को गंभीरता से लेंगी और हिन्दुओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएंगी। फिलहाल, सनातनी समुदाय ने यह साफ कर दिया है कि वे अब और चुप नहीं रहेंगे और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहेंगे।