पश्चिम बंगाल में राजनीतिक गर्माहट एक बार फिर चरम पर पहुंच गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान विपक्ष ने उन पर बंगाली युवाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषा बोलने के कारण कई युवाओं की हत्या हो रही है, लेकिन केंद्र सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह से चुप है।
कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट इलाके में विपक्षी कार्यकर्ताओं ने अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि गृह मंत्री को इन हत्याओं पर सार्वजनिक रूप से बोलना चाहिए और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करनी चाहिए। विपक्ष का आरोप है कि बंगाल से रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाने वाले युवाओं के साथ भाषा के आधार पर भेदभाव हो रहा है।
बंगाली युवाओं की हत्याओं का मामला
पिछले कुछ महीनों में भाजपा शासित राज्यों में बंगाली मूल के कई युवाओं की हत्या की घटनाएं सामने आई हैं। दीपू दास से लेकर ज्वेल राणा तक, कई युवाओं की जान गई है। विपक्ष का आरोप है कि इन हत्याओं की एक समानता यह है कि पीड़ित बंगाली भाषा बोलते थे और दूसरे राज्यों में काम करते थे।
विपक्षी नेताओं ने कहा कि टीएमसी सरकार की विफलता के कारण बंगाल के युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं। लेकिन वहां उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, खासकर उन राज्यों में जहां भाजपा की सरकार है।
अमित शाह के बंगाल दौरे पर विवाद
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने बंगाल दौरे पर हैं। उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और राजनीतिक रैलियों को संबोधित किया। लेकिन विपक्ष का कहना है कि उन्होंने बंगाली युवाओं की हत्याओं पर एक शब्द तक नहीं कहा। न तो उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और न ही इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी की।
विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया कि क्या भाजपा बंगाली भाषा के खिलाफ है? क्या केंद्रीय गृह मंत्री बंगालियों के प्रति पूर्वाग्रह रखते हैं? यह सवाल अब पूरे बंगाल में गूंज रहे हैं।
कोलकाता में विरोध प्रदर्शन की तैयारी
कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट इलाके में विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। यह इलाका शैक्षणिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। विपक्षी कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे अमित शाह से सीधे सवाल करेंगे कि वह बंगाली युवाओं की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक केंद्रीय गृह मंत्री इस मुद्दे पर स्पष्ट जवाब नहीं देते, तब तक वे शांत नहीं बैठेंगे। उन्होंने मांग की है कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
भाषा के आधार पर भेदभाव
विपक्ष का आरोप है कि भाजपा शासित राज्यों में भाषा के आधार पर भेदभाव बढ़ रहा है। बंगाली भाषा बोलने वाले युवाओं को निशाना बनाया जा रहा है। यह न केवल एक सामाजिक समस्या है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ भी है।
भारतीय संविधान में हर नागरिक को अपनी भाषा बोलने और अपनी संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है। लेकिन विपक्ष का कहना है कि भाजपा की नीतियां इन मूल्यों के खिलाफ जा रही हैं।
केंद्र सरकार पर घुसपैठ का आरोप
विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर घुसपैठ रोकने में विफल रहने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सीमा सुरक्षा केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार इस मामले में पूरी तरह से विफल रही है।
विपक्ष ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री को राज्य सरकारों पर आरोप लगाने से पहले अपने विभाग की विफलताओं का जवाब देना चाहिए। घुसपैठ रोकने में विफलता केंद्र सरकार की कमजोरी को दर्शाती है।
टीएमसी सरकार की विफलता पर सवाल
हालांकि विपक्षी दलों ने यह भी स्वीकार किया कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी सरकार रोजगार के अवसर पैदा करने में विफल रही है। राज्य में बेरोजगारी बढ़ रही है और युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है।
लेकिन उनका कहना है कि इससे केंद्र सरकार की जिम्मेदारी कम नहीं होती। दूसरे राज्यों में गए बंगाली युवाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। खासकर उन राज्यों में जहां भाजपा की सरकार है।
राजनीतिक दंगल तेज
अमित शाह के बंगाल दौरे ने राजनीतिक दंगल को और तेज कर दिया है। भाजपा और विपक्षी दल आमने-सामने हैं। भाजपा का कहना है कि विपक्ष बंगाल में अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए ऐसे मुद्दे उठा रहा है।
लेकिन विपक्ष का कहना है कि बंगाली युवाओं की हत्याएं एक गंभीर मुद्दा है जिसे राजनीति से ऊपर उठकर देखा जाना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करे।
जनता की प्रतिक्रिया
बंगाल की जनता इस मुद्दे पर विभाजित नज़र आ रही है। कुछ लोग विपक्ष के साथ हैं और मानते हैं कि केंद्र सरकार को बंगाली युवाओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि यह राजनीतिक प्रचार का मामला है।
लेकिन सभी इस बात से सहमत हैं कि भाषा के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव गलत है। देश के हर नागरिक को अपनी भाषा बोलने का अधिकार है और इस अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए।
पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा आने वाले समय में और गर्म होने की संभावना है। विपक्षी दल इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। वहीं भाजपा इसे विपक्ष की रणनीति बता रही है। देखना यह होगा कि अमित शाह इन आरोपों पर क्या जवाब देते हैं और क्या केंद्र सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाती है।