जरूर पढ़ें

सी वी आनंद बोस ने पश्चिम बंगाल का मतदाता बनने के लिए किया आवेदन, कहा- रवींद्रनाथ की धरती से जुड़ना चाहता हूं

CV Ananda Bose: राज्यपाल ने बंगाल का मतदाता बनने के लिए दिया आवेदन, नेताजी से जोड़ा नाता
CV Ananda Bose: राज्यपाल ने बंगाल का मतदाता बनने के लिए दिया आवेदन, नेताजी से जोड़ा नाता (AI Photo)
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने राज्य का मतदाता बनने के लिए लोकभवन में आवेदन किया। उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर की धरती से जुड़ना चाहते हैं और बंगाल के दत्तक पुत्र बनना चाहते हैं। उनका उपनाम बोस होने के कारण वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस से भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं।
Updated:

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने एक अनोखा कदम उठाया है। उन्होंने राज्य का मतदाता बनने के लिए आधिकारिक तौर पर आवेदन किया है। यह घटना तब हुई जब मतदाता सूची में नाम जुड़वाने की अंतिम तारीख थी। राज्यपाल ने लोकभवन में बीएलओ और सुपरवाइजर्स के पास अपना आवेदन पत्र जमा किया। इस मौके पर उन्होंने भावुक शब्दों में कहा कि वह बंगाल के दत्तक पुत्र बनना चाहते हैं।

सी वी आनंद बोस ने अपने आवेदन के समय कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने जिस हवा में सांस ली थी, उसी बंगाल में वह मतदाता बनना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका उपनाम बोस है, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ा हुआ है। इस कारण वह मानसिक और सांस्कृतिक रूप से बंगाल से जुड़े हुए महसूस करते हैं।

राज्यपाल का बंगाल से भावनात्मक जुड़ाव

सी वी आनंद बोस का यह कदम केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसके पीछे बंगाल से गहरा भावनात्मक जुड़ाव है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह बंगाल की संस्कृति, साहित्य और इतिहास से खुद को जोड़ना चाहते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर की धरती और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्मभूमि होने के कारण यह राज्य उनके लिए विशेष महत्व रखता है।

राज्यपाल ने कहा कि बंगाल ने देश को अनेक महान विभूतियां दी हैं। साहित्य, कला, संगीत और स्वतंत्रता संग्राम में बंगाल की भूमिका अद्वितीय रही है। इस महान परंपरा का हिस्सा बनना उनके लिए सम्मान की बात है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनका उपनाम बोस होना इस रिश्ते को और भी खास बनाता है।

मतदाता सूची में नाम जुड़वाने की प्रक्रिया

मतदाता सूची में नाम जुड़वाने की अंतिम तिथि पर राज्यपाल ने यह आवेदन जमा किया। लोकभवन में बीएलओ यानी बूथ लेवल ऑफिसर और सुपरवाइजर्स के सामने उन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए। यह प्रक्रिया आम नागरिकों की तरह ही पूरी की गई। राज्यपाल ने इस मौके पर अधिकारियों से बातचीत भी की और मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली।

यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एक राज्यपाल द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान उस राज्य का मतदाता बनने की कोशिश असामान्य है। सी वी आनंद बोस का यह कदम बंगाल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने साफ किया कि यह केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि बंगाल के साथ स्थायी रिश्ता बनाने की दिशा में एक कदम है।

रवींद्रनाथ और नेताजी से प्रेरणा

राज्यपाल ने अपने बयान में रवींद्रनाथ टैगोर का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ ने जिस धरती पर साहित्य की रचना की, जिस हवा में सांस ली, उसी धरती का हिस्सा बनना उनका सपना है। रवींद्रनाथ टैगोर ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को साहित्य, संगीत और दर्शन की अमूल्य देन दी है। बंगाल की इस महान विरासत से जुड़ना सी वी आनंद बोस के लिए गर्व की बात है।

इसके साथ ही उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भी जिक्र किया। नेताजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रेरक नेताओं में से एक थे। उनकी वीरता, साहस और देशभक्ति आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है। सी वी आनंद बोस ने कहा कि उनका उपनाम बोस होना उन्हें नेताजी से एक भावनात्मक जुड़ाव देता है। इस जुड़ाव को और मजबूत करने के लिए वह बंगाल का मतदाता बनना चाहते हैं।

बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर

पश्चिम बंगाल भारत के सबसे समृद्ध सांस्कृतिक राज्यों में से एक है। यहां की साहित्यिक परंपरा, कला, संगीत और सिनेमा ने देश और दुनिया में अपनी खास पहचान बनाई है। बंकिम चंद्र चटर्जी, शरत चंद्र चटर्जी, रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान साहित्यकारों ने बंगाली साहित्य को नई ऊंचाइयां दीं। सत्यजीत रे जैसे महान फिल्मकार ने सिनेमा में बंगाल का नाम रोशन किया।

राज्यपाल सी वी आनंद बोस इस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से गहराई से प्रभावित हैं। उन्होंने कई मौकों पर बंगाली संस्कृति की सराहना की है। उनका मानना है कि बंगाल की संस्कृति केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की धरोहर है। इस धरोहर का हिस्सा बनने की इच्छा ने उन्हें बंगाल का मतदाता बनने के लिए प्रेरित किया।

राजनीतिक महत्व

यह घटना राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। ऐसे में राज्यपाल का यह कदम बंगाल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम राज्य के लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने का एक तरीका भी हो सकता है।

हालांकि राज्यपाल ने अपने इस कदम को पूरी तरह से सांस्कृतिक और भावनात्मक बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह किसी राजनीतिक मंशा से प्रेरित नहीं है। बल्कि यह बंगाल की महान परंपरा और संस्कृति से जुड़ने की उनकी व्यक्तिगत इच्छा है।

लोगों की प्रतिक्रिया

राज्यपाल के इस कदम पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों ने इसे बंगाल के प्रति सम्मान और प्रेम के रूप में देखा है। उनका मानना है कि एक राज्यपाल का अपने राज्य से इतना गहरा जुड़ाव सराहनीय है। वहीं कुछ लोगों ने इसे प्रतीकात्मक कदम बताया है।

सोशल मीडिया पर भी इस घटना पर चर्चा हो रही है। कुछ लोगों ने राज्यपाल के बोस उपनाम और नेताजी से जुड़ाव को लेकर भावनात्मक पोस्ट किए हैं। कई लोगों ने रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण साझा करते हुए राज्यपाल के कदम की सराहना की है।

सी वी आनंद बोस का पश्चिम बंगाल का मतदाता बनने का निर्णय एक महत्वपूर्ण घटना है। यह उनके बंगाल प्रेम और इस राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान को दर्शाता है। रवींद्रनाथ टैगोर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसी महान विभूतियों की धरती से जुड़ना किसी के लिए भी गर्व की बात है। राज्यपाल का यह कदम बंगाल की महानता और उसकी विशिष्टता को एक बार फिर रेखांकित करता है।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।