पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर तनाव का माहौल देखने को मिल रहा है। केंद्रीय मंत्री और मतुआ समुदाय के धर्मगुरु शांतनु ठाकुर ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को लेकर सख्त रुख अपनाया है। शांतनु ठाकुर ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर अभिषेक बनर्जी पुलिस बल के साथ ठाकुरबाड़ी आए तो उन्हें पूजा करने नहीं दी जाएगी।
तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की थी कि अभिषेक बनर्जी आगामी 9 जनवरी को ठाकुरबाड़ी आएंगे। इसी घोषणा के बाद केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने पलटवार करते हुए यह चेतावनी दी है। यह विवाद सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक और सामाजिक भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है।
शांतनु ठाकुर की सख्त चेतावनी
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ठाकुरबाड़ी में कोई भी सामान्य तरीके से आ सकता है और उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन अभिषेक बनर्जी जिस तरह से बड़ी पुलिस फोर्स लेकर आते हैं और ताकत का प्रदर्शन करते हैं, वह स्वीकार नहीं है।
शांतनु ठाकुर ने कहा कि अगर इस बार भी वे इसी तरह से आएंगे तो उन्हें किसी भी हालत में ठाकुरबाड़ी में पूजा करने नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि हजारों मतुआ समुदाय के लोग इकट्ठा होंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे। धिक्कार मिछिल निकाली जाएगी।
मतुआ समुदाय की भावनाओं का मामला
मतुआ समुदाय पश्चिम बंगाल में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक समूह है। इस समुदाय के लिए ठाकुरबाड़ी एक पवित्र स्थान है। हरि गुरुचांद ठाकुर इस समुदाय के संस्थापक और पूज्य व्यक्ति हैं।
शांतनु ठाकुर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अभिषेक की पिसी यानी ममता बनर्जी को पहले हरि गुरुचांद ठाकुर के नाम की गलत व्याख्या के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस सिर्फ वोट के लिए मतुआ समुदाय के पास आती है।
पुलिस फोर्स को लेकर विवाद
शांतनु ठाकुर ने अभिषेक बनर्जी पर आरोप लगाया कि वे जब भी ठाकुरबाड़ी आते हैं तो भारी पुलिस बल के साथ आते हैं। यह पुलिस फोर्स एक तरह से ताकत दिखाने का प्रयास है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे भी देखेंगे कि अभिषेक बनर्जी कितनी पुलिस लेकर आते हैं।
उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि मतुआ समुदाय के लोग इस तरह के ताकत के प्रदर्शन को बर्दाश्त नहीं करेंगे। धार्मिक स्थान पर राजनीतिक ताकत दिखाना समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।
तृणमूल की घोषणा और भाजपा की प्रतिक्रिया
तृणमूल कांग्रेस ने 9 जनवरी को अभिषेक बनर्जी की ठाकुरबाड़ी यात्रा की घोषणा की थी। पार्टी का कहना है कि यह एक धार्मिक यात्रा है और अभिषेक बनर्जी मतुआ समुदाय के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए जा रहे हैं।
लेकिन भाजपा और शांतनु ठाकुर इसे सिर्फ राजनीतिक हथकंडा मानते हैं। उनका कहना है कि चुनाव के समय तृणमूल कांग्रेस मतुआ समुदाय को याद करती है लेकिन बाकी समय उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं देती।
मतुआ समुदाय की राजनीतिक अहमियत
पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय की बड़ी संख्या है। खासकर उत्तर 24 परगना जिले में इस समुदाय का काफी प्रभाव है। राजनीतिक दल इस समुदाय को साधने के लिए लगातार प्रयास करते रहे हैं।
पहले मतुआ समुदाय बड़ी संख्या में वामपंथी दलों का समर्थन करता था। फिर तृणमूल कांग्रेस ने इस समुदाय को अपनी ओर आकर्षित किया। अब भाजपा भी इस समुदाय में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।
शांतनु ठाकुर खुद इस समुदाय के धर्मगुरु हैं और भाजपा में हैं। उनकी माता बीरभूम ठाकुर भी इस समुदाय में बहुत सम्मानित हैं। इसलिए शांतनु ठाकुर की बात का समुदाय पर गहरा असर पड़ता है।
आगे क्या होगा
अब देखना यह है कि 9 जनवरी को अभिषेक बनर्जी ठाकुरबाड़ी जाते हैं या नहीं। अगर वे जाते हैं तो क्या वे पुलिस बल के साथ जाएंगे या बिना सुरक्षा के। और अगर वे पुलिस फोर्स के साथ गए तो शांतनु ठाकुर क्या कदम उठाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आगे और बढ़ सकता है। दोनों पक्ष अपनी बात पर अड़े हुए हैं। मतुआ समुदाय के बीच भी इस मुद्दे पर विभाजन देखने को मिल सकता है।
धर्म और राजनीति का घालमेल
यह विवाद एक बार फिर साबित करता है कि पश्चिम बंगाल में धर्म और राजनीति कैसे आपस में गुंथे हुए हैं। धार्मिक स्थानों पर राजनेताओं की यात्रा अक्सर विवाद का कारण बनती है।
मतुआ समुदाय जैसे धार्मिक समूहों की भावनाओं के साथ राजनीति करना खतरनाक हो सकता है। दोनों पक्षों को समझदारी से काम लेना चाहिए ताकि कोई अप्रिय स्थिति न बने।
आने वाले दिनों में यह विवाद और भी गर्म हो सकता है। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच यह टकराव पश्चिम बंगाल की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। मतुआ समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हुए दोनों पक्षों को संयम बरतना चाहिए।