चुनाव आयोग की स्पष्टता: पश्चिम बंगाल में SIR पर कोई टकराव नहीं
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 —
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ग्यानेश कुमार ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर किसी प्रकार के टकराव या मतभेद की स्थिति नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग अपना संवैधानिक दायित्व पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ निभा रहा है, वहीं राज्य सरकार की भी यह जिम्मेदारी है कि वह प्रशासनिक प्रक्रिया में सहयोग सुनिश्चित करे।
SIR प्रक्रिया का दूसरा चरण शुरू
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि SIR का दूसरा चरण अब देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया जा रहा है। यह अभियान मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक विशेष कदम है।
ग्यानेश कुमार ने कहा कि,
“SIR प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर न रहे और कोई भी अपात्र व्यक्ति सूची में शामिल न हो।”
उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में SIR का पहला चरण बिना किसी विवाद या अपील के सफलतापूर्वक पूरा हुआ है।
पश्चिम बंगाल में सहयोग की अपील
पश्चिम बंगाल को लेकर पूछे गए प्रश्न पर ग्यानेश कुमार ने कहा कि वहां “कोई टकराव या टकराव जैसी स्थिति नहीं” है। चुनाव आयोग ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बनाए रखा है।
उनके अनुसार,
“चुनाव आयोग अपना कर्तव्य निभा रहा है। राज्य सरकार को भी अपना दायित्व निभाना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची निष्पक्ष, सटीक और अद्यतन हो।”
SIR का ऐतिहासिक संदर्भ
मुख्य चुनाव आयुक्त ने जानकारी दी कि यह आज़ादी के बाद से नौवां SIR अभियान है। इससे पहले 2002 से 2004 के बीच ऐसा व्यापक अभियान चलाया गया था। चुनाव आयोग का मानना है कि समय-समय पर मतदाता सूची की विशेष समीक्षा करना लोकतांत्रिक प्रणाली की विश्वसनीयता के लिए आवश्यक है।
इस पहल के तहत हर जिले में नामांकन, संशोधन और सत्यापन का विस्तृत कार्य किया जा रहा है।
बिहार मॉडल बना उदाहरण
ग्यानेश कुमार ने बिहार के SIR अभियान की सराहना करते हुए कहा कि वहां का अनुभव देश के लिए एक “सकारात्मक मॉडल” है। बिहार में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 30 सितंबर को किया गया, जिसमें करीब 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज हैं।
राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव दो चरणों में — 6 नवंबर और 11 नवंबर को होंगे, जबकि मतगणना 14 नवंबर को प्रस्तावित है।
चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर ज़ोर
चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) के साथ दो विशेष बैठकें भी आयोजित की हैं, जिनमें SIR के रोडमैप पर विस्तार से चर्चा हुई। आयोग ने निर्देश दिया है कि सभी राज्य अपनी अंतिम मतदाता सूचियाँ वेबसाइट पर सार्वजनिक करें ताकि नागरिक सत्यापन कर सकें।
ग्यानेश कुमार ने कहा,
“हमारा लक्ष्य है कि लोकतंत्र में हर योग्य नागरिक को मत देने का अधिकार मिले और मतदाता सूची से कोई भी गलत नाम हटाया जा सके। यह लोकतांत्रिक ईमानदारी का प्रश्न है।”
निष्कर्ष: पारदर्शी मतदाता सूची लोकतंत्र की नींव
SIR के दूसरे चरण की घोषणा और पश्चिम बंगाल में “कोई टकराव नहीं” के स्पष्ट संदेश के साथ चुनाव आयोग ने यह साबित किया है कि वह संविधान की भावना और जनमत की पवित्रता दोनों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
जहां कुछ राज्यों में प्रशासनिक समन्वय को लेकर चर्चाएँ होती रही हैं, वहीं आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता सूची की शुद्धता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
चुनाव आयोग के इस रुख से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूल स्तंभ — निष्पक्ष चुनाव — आज भी संस्थागत रूप से मजबूत है।