बांग्लादेश में एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का माहौल बनता जा रहा है। छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद से देश में तनाव की स्थिति बनी हुई है। अब उनके भाई शरीफ ओमर बिन हादी ने मैदान में उतरकर मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को खुली चुनौती दे डाली है। ओमर का कहना है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह कैंटोनमेंट और यूनुस के आवास जमुना का घेराव करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
बांग्लादेश में बढ़ता राजनीतिक संकट
बांग्लादेश इन दिनों गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद से देश में स्थिरता नहीं आ पाई है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी हुई है, लेकिन लगातार विवादों और आरोपों के बीच यह सरकार भी जनता का भरोसा नहीं जीत पाई है। उस्मान हादी की हत्या ने इस संकट को और गहरा कर दिया है।
उस्मान हादी एक प्रमुख छात्र नेता थे जिन्होंने शेख हसीना को सत्ता छोड़ने पर मजबूर करने वाले आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। वह अपने भारत विरोधी विचारों के लिए भी जाने जाते थे। आगामी चुनावों में वह सक्रिय रूप से भाग ले रहे थे, लेकिन प्रचार अभियान के दौरान ही 12 दिसंबर को उन पर गोली चला दी गई। इलाज के दौरान 18 दिसंबर को सिंगापुर में उनकी मौत हो गई।
भाई ओमर ने संभाला मोर्चा
उस्मान हादी की हत्या के बाद उनके भाई शरीफ ओमर बिन हादी ने न्याय की लड़ाई का बीड़ा उठाया है। ओमर ने हाल ही में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की कार्यशैली से साफ है कि उन्हें न्याय दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
ओमर ने अपने भाषण में कहा, “उस्मान हादी के लिए न्याय की मांग अब सिर्फ हमारे परिवार की नहीं, बल्कि बांग्लादेश के 18 करोड़ लोगों की मांग बन चुकी है। सरकार की हालत देखकर साफ पता चलता है कि वह न्याय दिलाने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रखती। हम सड़कों पर उतर चुके हैं और जब तक न्याय नहीं होता, हम वापस घर नहीं जाएंगे।”
यूनुस सरकार को मिली धमकी
ओमर ने अपने बयान में साफ शब्दों में यूनुस सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला तो वह और भी कड़े कार्यक्रमों की घोषणा करेंगे। ओमर ने कहा, “हमें और भी बड़े आंदोलन करने पड़ सकते हैं। देश की स्थिति और भी ज्यादा बिगड़े इससे पहले ही हम साफ कर देना चाहते हैं कि हमें कैंटोनमेंट और जमुना का घेराव करने के लिए मजबूर न करें।”
जमुना मुहम्मद यूनुस का आधिकारिक आवास है। इस आवास का घेराव करने की धमकी देना सरकार के खिलाफ सीधी चुनौती है। यह बयान बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है।
चुनाव रद्द कराने का आरोप
ओमर ने इससे पहले भी यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि सरकार ने आगामी बांग्लादेश चुनाव को रद्द करवाने के लिए हादी की हत्या करवाई है। यह एक गंभीर आरोप है जो सरकार की नीयत पर सवाल उठाता है।
ओमर ने राजनीतिक नेताओं और अंतरिम सरकार को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि परिवार को न्याय न मिलना सरकार की बड़ी विफलता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सत्ता में बैठे लोग न्याय नहीं दे सकते तो उन्हें सत्ता छोड़कर भाग जाना चाहिए।
हत्या के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार
ओमर ने अपने भाई की हत्या के लिए सीधे सत्ता में बैठे लोगों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, “आपने उस्मान हादी को मारा और अब उसे दिखाकर चुनाव रद्द कराना चाहते हैं। अगर हादी को न्याय नहीं मिला, तो आपको भी इस देश से भागना होगा।”
यह बयान बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। ओमर की धमकियां सिर्फ खोखले शब्द नहीं हैं, बल्कि जनता के गुस्से को दिखाती हैं।
उस्मान हादी कौन थे
32 वर्षीय छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा थे। उन्होंने शेख हसीना को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर करने वाले छात्र आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी लोकप्रियता युवाओं में काफी ज्यादा थी।
हादी अपने भारत विरोधी रवैये के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने कई बार भारत के खिलाफ बयान दिए थे और बांग्लादेश में भारतीय प्रभाव को कम करने की बात कही थी। आगामी चुनाव में वह मैदान में थे और उनकी जीत की संभावना भी काफी मजबूत मानी जा रही थी।
हत्या की घटना
12 दिसंबर को प्रचार अभियान के दौरान उस्मान हादी पर अचानक गोलियां चला दी गईं। वह गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया। लेकिन 18 दिसंबर को इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई।
इस हत्या के बाद बांग्लादेश में एक बार फिर से हिंसा का नया दौर शुरू हो गया। लोग सड़कों पर उतर आए और न्याय की मांग करने लगे। कई जगहों पर प्रदर्शन हुए और सरकार पर दबाव बनाया गया।
बांग्लादेश का भविष्य
उस्मान हादी की हत्या और उसके बाद की घटनाओं ने बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य को अनिश्चित बना दिया है। अंतरिम सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अगर जल्द न्याय नहीं मिलता है तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
ओमर की धमकियां और जनता का गुस्सा यह दिखाता है कि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता जल्द खत्म होने वाली नहीं है। आगामी चुनावों को लेकर भी अब सवाल उठने लगे हैं। देखना होगा कि यूनुस सरकार इस संकट से कैसे निपटती है और क्या वह न्याय दिलाने में सफल होती है।