चीन की चालबाज़ी का पर्दाफाश: पाकिस्तान को हथियार, भारत के राफेल को बदनाम करने की साज़िश

China Pakistan Weapons: भारत के राफेल को बदनाम करने की चीन की साज़िश का खुलासा
China Pakistan Weapons: भारत के राफेल को बदनाम करने की चीन की साज़िश का खुलासा (File Photo)
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि चीन ने पाकिस्तान को उन्नत हथियार देने की पेशकश की और भारत के राफेल को विश्व बाजार में बदनाम करने के लिए एआई आधारित फर्जी तस्वीरों और दुष्प्रचार का उपयोग किया। इसका उद्देश्य वैश्विक हथियार व्यापार में बढ़त हासिल करना और भारत की सैन्य विश्वसनीयता को कमजोर करना था।
नवम्बर 22, 2025

चीन की रणनीति और दुष्प्रचार का खेल

हथियारों की आपूर्ति के पीछे छिपा उद्देश्य

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बाद चीन ने अप्रत्याशित रूप से पाकिस्तान को उन्नत सैन्य उपकरणों की पेशकश की। रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान को न केवल 40 J-35 पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट की सप्लाई का प्रस्ताव दिया, बल्कि KJ-500 विमान, बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम और संबंधित हथियार तकनीक भी उपलब्ध कराने की पेशकश की।
इन हथियारों को उपलब्ध कराने का उद्देश्य केवल सैन्य व्यापार नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ सामरिक संतुलन को बदलना भी था। चीन इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर अपने हित साधने का प्रयास कर रहा है।

सोशल मीडिया से विदेश नीति तक फैलाया झूठ

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि चीन ने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स के ज़रिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और वीडियो गेम की तस्वीरों का उपयोग किया। इन manipulated तस्वीरों के माध्यम से यह प्रोपेगेंडा चलाया गया कि चीन की तकनीक भारत के युद्धक विमानों को आसानी से ध्वस्त कर सकती है।
ये चित्र इस तरह प्रस्तुत किए गए जैसे कि चीनी मिसाइलों से नष्ट हुए विमानों का वास्तविक मलबा हो। इस दावे को आगे बढ़ाने के लिए चीनी दूतावासों ने भी विश्व स्तर पर अपनी तकनीक के “सफल प्रदर्शन” का प्रचार किया।

राफेल को विश्व बाजार में कमजोर साबित करने की कोशिश

यह रणनीति सिर्फ भारत को बदनाम करने तक सीमित नहीं रही। चीन ने फ्रांस के राफेल विमानों के खिलाफ एक संगठित दुष्प्रचार अभियान शुरू किया। फ्रांसीसी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, चीन की यह चाल इसलिए अपनाई गई ताकि उसकी J-35 तकनीक को राफेल से अधिक प्रभावी के रूप में प्रस्तुत किया जा सके और इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसकी बिक्री बढ़ सके।
चीन ने इंडोनेशिया जैसे देशों को राफेल खरीदने से रोकने का दबाव बनाया और उन्हें झूठी सूचनाओं के आधार पर समझाने की कोशिश की कि चीन की तकनीक ज्यादा उन्नत, किफायती और युद्ध में सफल है।

भारत के लिए यह रणनीति क्यों खतरनाक

यदि चीन इस तरह के प्रोपेगेंडा के जरिए विकासशील और उभरते देशों को प्रभावित करने में सफल होता है, तो परिणामस्वरूप भारत के रक्षा सौदों, उसकी सैन्य विश्वसनीयता और विदेशी कूटनीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। भारत के लिए यह केवल सैन्य मुद्दा नहीं, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक जोखिम भी है।
राफेल विमान भारतीय सुरक्षा व्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। ऐसे में, उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का प्रयास सीधे भारत की अंतरराष्ट्रीय रणनीति को निशाना बनाना था।

चीन का इनकार, पर सवाल कायम

जब यह रिपोर्ट सामने आई, चीन ने इसे पूरी तरह से झूठा बताया। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इसे न केवल फर्जी रिपोर्ट कहा, बल्कि समिति को ‘चीन विरोधी पूर्वाग्रह’ वाला संगठन करार दिया।
चीन द्वारा इसे खारिज करने के बावजूद, रिपोर्ट में पेश किए गए प्रमाण, सोशल मीडिया की गतिविधियाँ और अंतरराष्ट्रीय रणनीति के संकेत इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह केवल सैन्य व्यापार की बात नहीं, बल्कि वैश्विक नैरेटिव कब्ज़े का प्रयास है।

ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बदली तस्वीर

रिपोर्ट यह भी बताती है कि यह घटनाक्रम भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ा हुआ है। इस आतंकवादी घटना में 26 नागरिकों की मृत्यु हुई थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान और PoK में छिपे आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई की।
भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान बौखला गया और मिसाइल व ड्रोन हमले किए, जिन्हें भारतीय सेना ने विफल किया। तनाव बढ़ने के बाद चीन को पता था कि पाकिस्तान की कमजोर सैन्य क्षमता का लाभ उठाकर वह अपने हथियारों की बिक्री बढ़ा सकता है।

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