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China Tariffs Cut: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव में मोड़, ट्रम्प-शी बैठक के बाद चीन पर लगाए गए शुल्‍क में कटौती

China Tariffs Cut
China Tariffs Cut: अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में शुल्‍क कटौती से नई आर्थिक दिशा (File Photo)
अक्टूबर 31, 2025

अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में शुल्‍क कटौती से नई आर्थिक दिशा

अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump और चीन के राष्ट्रपति Xi Jinping ने दक्षिण कोरिया के बुसान में हुई द्विपक्षीय वार्ता के पश्चात व्यापार संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की। इस बैठक के तहत अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले वस्तुओं पर लगाये गए कड़े शुल्क (टैरिफ) में कटौती की — विशेष रूप से फेंटानिल संबंधी रसायनों से जुड़े मामलों में – और चीन ने अमेरिका से सोयाबीन आदि कृषि वस्तुओं की बड़ी मात्रा में खरीद तथा दुर्लभ पृथ्वी (रेयर अर्थ) खनिजों के निर्यात में ढील देने को कहा।
ट्रेड वॉर के महीनों-महीनों चलने के बाद यह मोड़ संबंधों में नए युग की शुरुआत जैसा प्रतीत होता है, पर विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह केवल अस्थायी शांति हो सकती है, न कि स्थायी समाधान।

बैठक के प्रमुख निर्णय और उनका स्वरूप

  • अमेरिकी घोषणा के अनुसार, चीन से आयातित वस्तुओं पर कुल मिलाकर लगाये गए टैरिफ को 57 % से घटाकर 47 % किया गया।

  • फेंटानिल (एक खतरनाक सिंथेटिक ओपिओइड) से सम्बंधित चीनी रसायनों पर लगाया गया विशेष टैरिफ 20 % से घटकर 10 % कर दिया गया।

  • चीन ने कहा कि वह अमेरिका से सोयाबीन तथा अन्य कृषि उपज तुरंत खरीदना शुरू करेगा।

  • दुर्लभ पृथ्वी (रेयर अर्थ) खनिजों एवं प्रौद्योगिकी-उष्णिंगरण (export controls) से जुड़े बिंदुओं पर चीन ने एक वर्ष के लिए निर्यात नियंत्रण को स्थगित करने का वादा किया।

  • बैठक के दौरान ताइवान, कोविड-19, या अन्य सुरक्षा मामलों पर बड़ी घोषणाएँ नहीं हुईं; मुख्य फोकस व्यापार और अर्थव्यवस्था पर रहा।

  • ट्रम्प ने अपनी पुरानी शैली में कहा कि इस बैठक को वह “0 से 10” के पैमाने पर 12 देंगे।

बैठक की पृष्ठभूमि और आवश्यकता

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका-चीन के बीच व्यापार, प्रौद्योगिकी और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा तीव्र हो चुकी थी। अमेरिका ने चीन पर कई तरह के टैरिफ और निर्यात प्रतिबंध लगाए थे और चीन ने बदले में रेयर अर्थ खनिजों-उपर नियंत्रण बढ़ा दिया था।
ऐसे में इस बैठक की भूमिका थी एक “फ्रेमवर्क” तय करना ताकि द्विपक्षीय तनाव को कुछ हद तक कम किया जा सके और वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिल सके।

वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य

यह बदलाव सिर्फ अमेरिका-चीन के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व व्यापार एवं अर्थव्यवस्था के लिए संकेत-चिन्ह है। अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में सुधार होने से वैश्विक सप्लाई चेन, कृषि निर्यात, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र को राहत मिल सकती है। हालांकि, भारत जैसे देशों के लिए यह एक अवसर-आलोक भी प्रस्तुत करता है कि वे दोनों महाशक्तियों की रणनीति-फोकस को समझते हुए अपना स्थान तय करें।
भारत के किसान एवं कृषि निर्यातक इस बदलाव से प्रभावित हो सकते हैं — जैसे कि सोयाबीन व्यापार में चीन की बढ़ती मांग से भारत पर नए अवसर बन सकते हैं।

चुनौतियाँ और आगे की राह

हालाँकि आपसी तनाव कम करने की दिशा में यह कदम माना जा रहा है, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बहुत हैं। उदाहरण स्वरूप:

  • व्यापारिक निरीक्षण व अनुपालन की समस्या बनी हुई है कि चीन व अमेरिका पूर्व में ठेले-ठाले बातों पर पहुँचे थे लेकिन निष्पादन कम हुआ।

  • चीन-अमेरिका के बीच तकनीकी, रक्षा और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा जारी है — जैसे एआई, चिप्स, रेयर अर्थ। इन बुनियादी कारणों का अभी हल नहीं हुआ है।

  • बाजारों ने इस समझौते को उत्साह के साथ नहीं लिया; वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी कम रही, यह दिखाता है कि निवेशकों को अभी सतर्क रहना है।

इस प्रकार, बुसान में हुई यह बैठक अमेरिकी-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रस्तुत करती है — जहाँ पुराने संघर्षों की दिशा बदलने की कोशिश की गई है। हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि समस्या पूरी तरह हल हो गई है। यह एक प्रारंभिक समझौता है जिसका परिणाम आने वाले महीनों में स्पष्ट होगा।
भारत सहित अन्य देशों को इस अवसर से स्वयं को तैयार करना चाहिए ताकि वे इस बदलती वैश्विक व्यापार धारा में अवसरों को भुनाएँ और जोखिम-प्रबंधन करें।


यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।


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