भारत-रूस शिखर वार्ता की तैयारियों की गहन समीक्षा, विदेश मंत्री जयशंकर की मॉस्को में अहम बैठकें तेज

India-Russia Summit
India-Russia Summit: मॉस्को में जयशंकर और रूसी उपप्रधानमंत्री की अहम बैठक, दिल्ली शिखर वार्ता की तैयारियाँ तेज (Photo: X/DrSJaishankar)
मॉस्को में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूस के शीर्ष नेतृत्व के बीच आगामी भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर व्यापक चर्चा हुई। राष्ट्रपति पुतिन अगले महीने भारत आ सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और रूसी सुरक्षा सलाहकार की बैठक में समुद्री सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
नवम्बर 19, 2025

भारत-रूस शिखर वार्ता की तैयारियों पर केंद्रित कूटनीतिक गतिविधियाँ

मॉस्को में भारत और रूस के बीच उच्च-स्तरीय कूटनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के प्रथम उपप्रधानमंत्री डेनिस मंटूरोव के साथ विस्तृत बैठक कर आगामी भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा की, जो अगले महीने नई दिल्ली में आयोजित होने जा रहा है। यह बैठक केवल औपचारिक कूटनीतिक संवाद भर नहीं थी, बल्कि दोनों देशों के बीच बहुआयामी सहयोग की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है।

भारत और रूस के बीच लंबे समय से चले आ रहे रणनीतिक संबंधों की पृष्ठभूमि में यह वार्षिक शिखर सम्मेलन अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा लगभग चार वर्षों के बाद होने जा रही है। अंतिम बार उन्होंने दिसंबर 2021 में भारत का दौरा किया था। इस बीच वैश्विक और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक परिदृश्य में कई बड़े बदलाव हो चुके हैं, जिनके मद्देनज़र यह बैठक और अधिक रणनीतिक महत्त्व रखती है।

शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर केंद्रित विस्तृत समीक्षा

मॉस्को में आयोजित इस बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के तहत अगस्त 2025 में हुई बैठक के बाद हुई प्रगति का भी अवलोकन किया। विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी यात्रा के दौरान यह सुनिश्चित किया कि आगामी शिखर वार्ता के लिए आवश्यक सभी स्तरीय तैयारियों पर व्यापक चर्चा हो और दोनों देशों के बीच सहयोग के सभी प्रमुख क्षेत्रों पर समन्वय स्थापित हो।

जयशंकर ने बैठक के बाद अपने आधिकारिक बयान में कहा कि भारत-रूस संबंध केवल औपचारिक कूटनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये दशकों से चले आ रहे आपसी विश्वास और सामरिक साझेदारी की मजबूत बुनियाद पर टिके हैं। तैयारियों की समीक्षा के दौरान रक्षा, ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, व्यापार, अंतरिक्ष सहयोग और समुद्री साझेदारी जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित किया गया।

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India-Russia Summit: मॉस्को में जयशंकर और रूसी उपप्रधानमंत्री की अहम बैठक, दिल्ली शिखर वार्ता की तैयारियाँ तेज (Photo: X/DrSJaishankar)

रूसी राष्ट्रपति पुतिन की संभावित भारत यात्रा

राष्ट्रपति पुतिन अगले महीने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत की यात्रा कर सकते हैं। इस यात्रा को लेकर भारत और रूस दोनों ही देशों में अपेक्षाएँ काफी ऊँची हैं। यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक व्यवस्था नई शक्ति संतुलन की ओर बढ़ रही है। ऊर्जा आपूर्ति, रक्षा साझेदारी, तकनीकी सहयोग और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा से जुड़े मुद्दे इस मुलाकात के प्रमुख विषय हो सकते हैं।

जयशंकर ने मॉस्को में राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएँ भी उन्हें प्रेषित कीं। इस मुलाकात में क्षेत्रीय और वैश्विक रणनीतिक मुद्दों पर खुलकर चर्चा हुई और भारत-रूस संबंधों को आगामी वर्षों में किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए, इस पर भी विचार-विमर्श हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी और रूस के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी के बीच संवाद

नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति के शीर्ष सलाहकार निकोलाई पत्रुशेव से मुलाकात की। यह मुलाकात भी भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों का अहम हिस्सा रही। दोनों नेताओं के बीच समुद्री सहयोग, कौशल विकास, जहाज निर्माण और ब्लू इकोनॉमी जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने पत्रुशेव को स्पष्ट रूप से बताया कि भारत आगामी शिखर सम्मेलन की मेजबानी को लेकर अत्यंत आशान्वित है और राष्ट्रपति पुतिन का भारत में स्वागत करने के लिए उत्सुक है। यह संकेत भारत-रूस संबंधों की रणनीतिक निरंतरता और सकारात्मक दिशा का स्पष्ट द्योतक माना जा रहा है।

समुद्री सहयोग और नई संभावनाओं पर केंद्रित वार्ता

रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चाओं में समुद्री क्षेत्र को लेकर विशेष जोर दिया गया। भारत और रूस दोनों ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समुद्री सुरक्षा को लेकर गहरी चिंताएँ साझा करते हैं। जहाज निर्माण और समुद्री तकनीकों में रूस की विशेषज्ञता तथा भारत की बढ़ती समुद्री क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए यह सहयोग दोनों देशों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।

नई दिल्ली में पत्रुशेव और प्रधानमंत्री मोदी की हुई बैठक के बाद रूस के दूतावास द्वारा साझा किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोनों देशों ने समुद्री क्षमताओं को मजबूत करने के लिए व्यापक सहयोग की इच्छा व्यक्त की है। यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती का संकेत है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करता है।

भारत-रूस संबंधों की व्यापक परंपरा और भविष्य की दिशा

भारत-रूस संबंध दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं। रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा, विज्ञान और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों ने गहरा सहयोग विकसित किया है। बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच यह संबंध और अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। रूस की ऊर्जा आपूर्ति और रक्षा तकनीक भारत की जरूरतों को पूरा करने में एक अहम स्तंभ रहा है, वहीं भारत रूस के लिए एशिया में एक स्थिर और भरोसेमंद साझेदार साबित हुआ है।

आगामी भारत-रूस शिखर सम्मिलन इन संबंधों को नई दिशा देने की क्षमता रखता है। यह केवल द्विपक्षीय कार्यक्रम नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में एक निर्णायक घटना होगी। इस बैठक में दोनों देश वैश्विक दक्षिण, ऊर्जा सुरक्षा, बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था, रक्षा उत्पादन और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं।

नई दिल्ली में होने वाले सम्मेलन से जुड़ी संभावित उपलब्धियाँ

सम्मेलन से यह उम्मीद की जा रही है कि भारत और रूस रक्षा विनिर्माण में और अधिक संयुक्त परियोजनाएँ शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा, ऊर्जा क्षेत्र में—विशेषकर परमाणु ऊर्जा और तेल-गैस आपूर्ति—को लेकर भी नए समझौते संभव हैं।

व्यापार सहयोग को बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच भुगतान प्रणालियों, परिवहन गलियारों, और व्यापारिक बुनियादी ढाँचे को सरल बनाने पर भी सहमति हो सकती है। यह सम्मेलन दोनों देशों के लिए एक ऐसा मंच प्रदान करेगा, जहाँ वे बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप नई रणनीतिक प्राथमिकताओं को निर्धारित कर सकें।

यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.