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भारत रूस से पांच और एस-400 स्क्वाड्रन मांगेगा, सु-57 खरीद पर भी होगी चर्चा

Modi Putin Meeting: भारत रूस से पांच नई स्क्वाड्रन खरीदेगा, मोदी-पुतिन बैठक में होगा फैसला
Modi Putin Meeting: भारत रूस से पांच नई स्क्वाड्रन खरीदेगा, मोदी-पुतिन बैठक में होगा फैसला (File Photo)
प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच 5 दिसंबर को होने वाली बैठक में भारत पांच अतिरिक्त एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस स्क्वाड्रन की मांग करेगा। ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 ने 314 किमी दूरी से पांच पाकिस्तानी विमान मार गिराए थे। भारत सु-57 या एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने पर भी विचार कर रहा है। 84 सुखोई-30एमकेआई विमानों के 63,000 करोड़ रुपये के अपग्रेड को जल्द मंजूरी मिलेगी। रूस 2026 तक शेष दो एस-400 स्क्वाड्रन देगा।
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भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग एक बार फिर मजबूत होने की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 5 दिसंबर को होने वाली द्विपक्षीय बैठक में कई अहम रक्षा सौदों पर चर्चा होने की संभावना है। इस बैठक में भारत पांच और एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम स्क्वाड्रन की मांग कर सकता है। यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए लिया जा रहा है।

एस-400 की नई स्क्वाड्रन की मांग क्यों

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने एस-400 सिस्टम का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था। इस सिस्टम ने पाकिस्तानी मिसाइलों, ड्रोनों और लड़ाकू विमानों को नष्ट करने में अहम भूमिका निभाई थी। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने बताया कि एस-400 ने 314 किलोमीटर की दूरी से पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को मार गिराया था। इनमें एफ-16 और जेएफ-17 जैसे आधुनिक विमान शामिल थे। यह अब तक की सबसे लंबी हवाई मार थी।

इस शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय वायुसेना ने पांच और स्क्वाड्रन की मांग की है। साथ ही मौजूदा स्क्वाड्रनों के लिए बड़ी संख्या में मिसाइलों की खरीद भी प्रस्तावित है। रक्षा मंत्रालय ने लगभग 10,000 करोड़ रुपये की लागत से एस-400 मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है।

मौजूदा एस-400 सौदे की स्थिति

भारत और रूस के बीच 2018 में 5.4 अरब डॉलर का एस-400 सौदा हुआ था। इसके तहत पांच स्क्वाड्रन भारत को मिलने थे। अब तक तीन स्क्वाड्रन भारत को मिल चुके हैं। रूस ने आश्वासन दिया है कि शेष दो स्क्वाड्रन नवंबर 2026 तक भारत को सौंप दिए जाएंगे। यूक्रेन युद्ध की वजह से इस सौदे में देरी हुई थी।

इसके अलावा रूस भारत में एस-400 के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल यानी एमआरओ सुविधा भी स्थापित करेगा। इससे भारत को सिस्टम को बेहतर तरीके से संचालित करने में मदद मिलेगी।

सु-57 और एफ-35 के बीच दुविधा

रूस भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान सुखोई-57 की दो से तीन स्क्वाड्रन बेचने में दिलचस्पी दिखा रहा है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने भारत को एफ-35 लाइटनिंग-II विमान की पेशकश की है। लेकिन भारत ने अभी तक किसी भी विमान पर अंतिम फैसला नहीं लिया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय वायुसेना के लिए पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की दो-तीन स्क्वाड्रन एक अच्छा अंतरिम समाधान हो सकता है। यह तब तक काम आएगा जब तक स्वदेशी एएमसीए प्रोजेक्ट 2035 तक तैयार नहीं हो जाता। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भारत सु-57 चुनेगा या एफ-35।

सुखोई-30 एमकेआई का बड़ा अपग्रेड

कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी जल्द ही 63,000 करोड़ रुपये की लागत से 84 सुखोई-30एमकेआई विमानों के अपग्रेड को मंजूरी देगी। यह भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाने वाले रूसी मूल के विमानों को अगले 30 साल तक युद्ध के लिए सक्षम बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम है।

अपग्रेड में क्या होगा शामिल

इस अपग्रेड में कई आधुनिक तकनीकें शामिल की जाएंगी। इनमें आधुनिक एईएसए रडार, एडवांस एवियोनिक्स, लंबी दूरी के हथियार और मल्टी-सेंसर फ्यूजन तकनीक शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक यह अपग्रेड भारत में ही किया जाएगा, हालांकि इसमें रूस की सीमित भूमिका होगी।

यह अपग्रेड सुखोई-30एमकेआई को दुनिया के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमानों की श्रेणी में ला देगा। इससे भारतीय वायुसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा।

अमेरिका के साथ भी बढ़ते रक्षा सौदे

रूस के साथ संबंध मजबूत करने के साथ-साथ भारत अमेरिका के साथ भी रक्षा सहयोग बढ़ा रहा है। पिछले 15 वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच 26 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा सौदे हो चुके हैं।

हाल ही में भारत ने तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान के लिए 113 जीई-एफ404 इंजन खरीदने का 8,900 करोड़ रुपये का समझौता किया है। इसके अलावा नौसेना के एमएच-60आर सीहॉक हेलिकॉप्टरों के लिए 7,000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन सपोर्ट पैकेज मंजूर किया गया है।

ट्रंप प्रशासन के अधिक लेन-देन आधारित रुख के बावजूद भारत रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। यह रणनीति भारत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।

ऑपरेशन सिंदूर में गेमचेंजर साबित हुआ एस-400

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 सिस्टम ने गेमचेंजर की भूमिका निभाई। वायुसेना प्रमुख ने इसे ऑपरेशन का सबसे अहम हथियार बताया। सिस्टम ने न केवल दुश्मन के विमानों को मार गिराया बल्कि भारतीय आसमान को पूरी तरह सुरक्षित भी बनाया।

एस-400 की यह सफलता भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इससे साबित होता है कि रूसी रक्षा प्रणालियां कितनी भरोसेमंद हैं। यही कारण है कि भारत अब और अधिक स्क्वाड्रन खरीदना चाहता है।

भारत की वायु रक्षा रणनीति

भारत अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत कर रहा है। चीन और पाकिस्तान दोनों सीमाओं पर चुनौतियों को देखते हुए यह जरूरी भी है। एस-400 जैसी आधुनिक प्रणालियां भारत को दुश्मनों के किसी भी हवाई हमले को नाकाम करने की क्षमता देती हैं।

अगर पांच और स्क्वाड्रन मिल जाते हैं तो भारत के पास कुल दस एस-400 स्क्वाड्रन होंगे। इससे पूरे देश को एक मजबूत वायु रक्षा छतरी मिल जाएगी।

मोदी-पुतिन बैठक भारत की रक्षा क्षमताओं के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है। एस-400 की अतिरिक्त स्क्वाड्रन, सु-57 पर फैसला और सुखोई-30एमकेआई का अपग्रेड भारतीय वायुसेना को एक नई ताकत देंगे। साथ ही अमेरिका के साथ संतुलित रिश्ते भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत बनाएंगे। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्पक होगा कि भारत किस तरह रूस और अमेरिका के बीच अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करता है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.