अफ्रीका में पहली बार जी-20 शिखर सम्मेलन: भारत की भूमिका केंद्र में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित जी-20 लीडर्स समिट में भाग लेने हेतु शुक्रवार को पहुंचे, जहाँ उनका अत्यंत भव्य और पारंपरिक स्वागत किया गया। गौतेंग प्रांत स्थित वाटरलूफ एयर फोर्स बेस पर पहुँचते ही पारंपरिक दक्षिण अफ्रीकी संस्कृति के अनुरूप संगीत और नृत्य प्रस्तुतियों ने भारतीय प्रधानमंत्री के स्वागत में उत्साहपूर्ण वातावरण तैयार कर दिया। यह शिखर सम्मेलन ऐतिहासिक इसलिए भी माना जा रहा है, क्योंकि अफ्रीकी धरती पर पहली बार किसी वैश्विक शक्ति-संघ जी-20 का आयोजन हो रहा है, जिसका महत्व बहुआयामी है।
भारतीय दृष्टिकोण: वैश्विक एकात्मता की अवधारणा
प्रधानमंत्री मोदी ने जोहान्सबर्ग रवाना होने से पूर्व दिए गए अपने संदेश में स्पष्ट किया कि भारत इस सम्मेलन में अपनी प्राचीन सभ्यतागत भावना ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ अर्थात पृथ्वी का प्रत्येक व्यक्ति एक परिवार का सदस्य है, इस दृष्टिकोण को और अधिक प्रभावकारी रूप में संसार के सामने रखेगा। उनके संदेश में ‘एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य’ का विस्तार भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जो केवल एक नारा नहीं बल्कि वैश्विक नीति निर्माण की दिशा और दर्शन का प्रतीक भी बन रहा है।
भारत द्वारा प्रस्तुत यह वैश्विक दृष्टिकोण केवल सांस्कृतिक या वैचारिक अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन, वैश्विक आर्थिक स्थिरता, बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था और समान विकास के अधिकार जैसे ज्वलंत मुद्दों से जुड़ा व्यावहारिक मॉडल है। इसीलिए पीएम मोदी की उपस्थिति और उनकी नीति-धारणा विश्व-स्तर पर भारत की बढ़ती भूमिका को गहराई से दर्शाती है।
Landed in Johannesburg for the G20 Summit related engagements. Look forward to productive discussions with world leaders on key global issues. Our focus will be on strengthening cooperation, advancing development priorities and ensuring a better future for all. pic.twitter.com/o4KL5W5l53
— Narendra Modi (@narendramodi) November 21, 2025
अफ्रीका का वैश्विक मंच पर उदय और भारत की भूमिका
वर्ष 2023 में भारत अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में स्थायी सदस्यता प्रदान की गई, जिसने न केवल अफ्रीका की आवाज को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया बल्कि भारत-अफ्रीका संबंधों को अभूतपूर्व ऊंचाई दी। इस दृष्टि से भी यह शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है, क्योंकि अफ्रीका अब केवल एक पर्यवेक्षक नहीं, बल्कि निर्णयात्मक भूमिका निभाने वाला शक्तिशाली साझेदार बनकर उभरा है।
दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत के साथ त्रिपक्षीय समूह आईबीएसए (IBSA) का अस्तित्व भी इसी विचारधारा को पुष्ट करता है कि वैश्विक संतुलन केवल पश्चिमी या विकसित देशों के माध्यम से तय नहीं होगा, बल्कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील राष्ट्रों की सहभागिता से ही वास्तविक संतुलन सुनिश्चित हो सकेगा। इसी उद्देश्य के अनुरूप पीएम मोदी इस छठे IBSA शिखर सम्मेलन का भी हिस्सा होंगे।

वैश्विक मुद्दों पर भारत की निर्णायक भूमिका
इस वर्ष के जी-20 सम्मेलन का केंद्रीय विषय ‘एकजुटता, बराबरी और स्थिरता’ रखा गया है। ये तीनों आधारस्तंभ किसी भी वैश्विक व्यवस्था के स्थायी विकास और सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यंत अनिवार्य हैं। युद्ध, आर्थिक असंतुलन, खाद्य असुरक्षा, ऊर्जा संकट, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी प्रतियोगिता जैसे विषय केवल राष्ट्रों के बीच मतभेद नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की सार्थकता से जुड़े प्रश्न बन चुके हैं।
भारत, इस पृष्ठभूमि में, विकसित और विकासशील देशों के मध्य सेतु की भूमिका अदा कर रहा है। पीएम मोदी की कूटनीति और संवाद-शैली दोनों ही यह संदेश देती हैं कि भारत हितधर्मिता और मानवतावादी मूल्यों पर आधारित नेतृत्व का समर्थक है।जी-20 शिखर सम्मेलन में इस बार उभरते और विकासशील देशों की आवाज़ को विशेष वरीयता दी जा रही है। भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश इस मंच पर वैश्विक निर्णयों में समान प्रतिनिधित्व और आर्थिक समानता की मांग को मजबूत करेंगे। इन देशों का मानना है कि विश्व व्यवस्था केवल शक्तिशाली देशों की प्राथमिकताओं पर आधारित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उन देशों को भी निर्णायक भूमिका मिले जो भविष्य की आर्थिक संभावनाओं का केंद्र बन रहे हैं।

भारत-अफ्रीका संबंधों में नई ऊर्जा
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को भारत-अफ्रीका संबंधों में नई ऊर्जा और आर्थिक साझेदारी के विस्तार की दृष्टि से भी देखा जा रहा है। अफ्रीका, संसाधनों, जनसंख्या और संभावनाओं से भरपूर महाद्वीप है, जहाँ भारत विकास, व्यापार, तकनीक, ऊर्जा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दीर्घकालिक भागीदारी बढ़ा रहा है। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, वैक्सीन मैत्री, आपदा प्रबंधन और स्टार्टअप सहयोग जैसी भारतीय पहलें वैश्विक दक्षिण के लिए भविष्य का मार्गदर्शन बन सकती हैं।
द्विपक्षीय वार्ताएं और भारत के रणनीतिक हित
जोहान्सबर्ग में पीएम मोदी की कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात संभावित है, जिनमें रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी सहयोग महत्वपूर्ण होंगे। विशेष रूप से ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग, व्यापार संतुलन, डिजिटल साझेदारी और समुद्री सुरक्षा जैसे विषय इस यात्रा को और भी अहम बनाते हैं। भारत की स्थिर और संतुलित विदेश नीति बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण की दिशा में निर्णायक है।