रूस-भारत के बीच मजबूत होंगे संबंध
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर महीने की शुरुआत में भारत की महत्वपूर्ण यात्रा पर आने वाले हैं। यह जानकारी क्रेमलिन की ओर से आधिकारिक तौर पर दी गई है। 4 और 5 दिसंबर को होने वाली इस यात्रा को राजकीय यात्रा का दर्जा दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष निमंत्रण पर पुतिन भारत आएंगे और दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।
क्रेमलिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने रूसी सरकारी टेलीविजन पर बात करते हुए बताया कि दोनों देश इस यात्रा की बेहद सक्रियता से तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह यात्रा हर दृष्टिकोण से सार्थक और भव्य होगी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच गहन चर्चा होगी जिसमें द्विपक्षीय संबंध, व्यापार, रक्षा और अंतरराष्ट्रीय मुद्दे शामिल होंगे।
यात्रा की तैयारियां जोरों पर
यूरी उशाकोव ने स्पष्ट किया कि भारतीय और रूसी पक्ष दोनों मिलकर इस यात्रा को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुए उस समझौते को आगे बढ़ाने का अवसर है जिसमें तय हुआ था कि दोनों नेता हर साल मिलकर द्विपक्षीय मामलों और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
यह यात्रा केवल औपचारिकता नहीं है बल्कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती को और मजबूत करने का माध्यम है। भारत और रूस के संबंध कई दशकों पुराने हैं और दोनों देशों ने हमेशा एक दूसरे का साथ दिया है। इस यात्रा के दौरान भी इन संबंधों को नई ऊंचाई देने की कोशिश की जाएगी।
व्यापार समझौतों पर होंगे हस्ताक्षर
क्रेमलिन की ओर से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया है कि राष्ट्रपति पुतिन की इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग पर चर्चा होगी।
भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। खासतौर पर ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच अच्छा तालमेल देखने को मिला है। भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदा है जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार में काफी वृद्धि हुई है।
क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा
इस यात्रा के दौरान केवल द्विपक्षीय मुद्दों पर ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विस्तार से बातचीत होगी। वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में यह चर्चा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दोनों नेता दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हो रही घटनाओं और उनके प्रभाव पर अपने विचार साझा करेंगे।
भारत और रूस दोनों ही वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय हैं। इस यात्रा के दौरान इन मंचों पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होने की संभावना है।
यूक्रेन संकट की छाया
यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब फरवरी 2022 से यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के कारण रूस पर पश्चिमी देशों की ओर से कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखे हैं। भारत की विदेश नीति स्वतंत्र रही है और उसने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए हैं।
रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदने के कारण भारत और पश्चिमी देशों के बीच कुछ तनाव देखने को मिला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त महीने में भारत से आने वाले कई सामानों पर 50 प्रतिशत तक शुल्क लगा दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत रूस के युद्ध प्रयासों को फंडिंग दे रहा है। हालांकि भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को जारी रखा है।
पिछली मुलाकातों का सिलसिला
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच नियमित बैठकें होती रहती हैं। दोनों नेताओं के बीच अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं जो दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बनाने में सहायक हैं। पिछले कुछ वर्षों में दोनों नेताओं की कई बार मुलाकात हुई है और हर बार उनकी बातचीत सकारात्मक रही है।
पिछले सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस का दौरा किया था। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने उनका स्वागत करते हुए बताया था कि राष्ट्रपति पुतिन तीन सप्ताह में नई दिल्ली आएंगे। इससे साफ होता है कि दोनों देशों के बीच नियमित संपर्क बना रहता है और उच्च स्तर पर बातचीत जारी रहती है।
रक्षा सहयोग में मजबूती
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग काफी पुराना और मजबूत है। भारतीय सशस्त्र बलों के पास रूसी हथियारों और उपकरणों की बड़ी मात्रा है। दोनों देश संयुक्त रूप से रक्षा उपकरणों का निर्माण भी कर रहे हैं। ब्रह्मोस मिसाइल इसका सबसे अच्छा उदाहरण है जो दोनों देशों की संयुक्त परियोजना है।
इस यात्रा के दौरान रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने पर चर्चा होने की संभावना है। नए रक्षा समझौतों और तकनीकी हस्तांतरण पर भी बातचीत हो सकती है। भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है और रूस इसमें महत्वपूर्ण भागीदार है।
ऊर्जा सुरक्षा पर फोकस
ऊर्जा सुरक्षा भारत की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। एक विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को ऊर्जा की बड़ी मात्रा में जरूरत है। रूस दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा उत्पादकों में से एक है। दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग काफी गहरा है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रूस से तेल की खरीद में काफी बढ़ोतरी की है। यह भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद रहा है क्योंकि रूस ने रियायती दरों पर तेल उपलब्ध कराया है। इस यात्रा के दौरान ऊर्जा सहयोग को और बढ़ाने और लंबी अवधि के समझौतों पर चर्चा हो सकती है।
दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध
भारत और रूस के बीच केवल सरकारी स्तर पर ही नहीं बल्कि लोगों के बीच भी अच्छे संबंध हैं। हजारों भारतीय छात्र रूस में पढ़ाई कर रहे हैं खासकर चिकित्सा और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में। दोनों देशों के बीच पर्यटन भी बढ़ रहा है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी नियमित रूप से होता रहता है।
इस यात्रा के दौरान शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होने की संभावना है। दोनों देश चाहते हैं कि उनके लोगों के बीच संबंध और मजबूत हों।
भविष्य की राह
यह यात्रा भारत और रूस के संबंधों में एक नया अध्याय खोलने वाली है। दोनों देश लंबे समय से एक दूसरे के विश्वसनीय साथी रहे हैं। बदलती वैश्विक परिस्थितियों में दोनों देशों के बीच सहयोग और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह यात्रा दोनों देशों को अपने संबंधों को नई दिशा देने का अवसर प्रदान करेगी।
आने वाले समय में दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग और बढ़ने की उम्मीद है। यह यात्रा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।