Rajnath Singh in Canberra: भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा संबंधों में नई मजबूती की उम्मीद
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और रणनीतिक सहयोग को और गहरा करने के उद्देश्य से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा पहुंचे। उनके आगमन पर ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मामलों के सहायक मंत्री पीटर खलील ने उनका स्वागत किया।
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन को लेकर भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों देशों की भूमिका अहम मानी जा रही है।
द्विपक्षीय वार्ता का होगा आयोजन
राजनाथ सिंह अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष और देश के उपप्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में रक्षा सहयोग, संयुक्त सैन्य अभ्यास, और रक्षा उत्पादन साझेदारी जैसे मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है।
रक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा —
“मैं ऑस्ट्रेलिया के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स के साथ द्विपक्षीय बैठक का इंतजार कर रहा हूं। भारत-ऑस्ट्रेलिया रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर हमारी बातचीत केंद्रित रहेगी।”
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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ता सहयोग
भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही क्वाड समूह (Quad) के सदस्य हैं, जिसमें अमेरिका और जापान भी शामिल हैं। इस गठबंधन का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित समुद्री क्षेत्र को सुनिश्चित करना है।
हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यासों, रक्षा तकनीकी आदान-प्रदान और रणनीतिक संवाद की आवृत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
संयुक्त अभ्यास और रक्षा उत्पादन में संभावनाएं
सूत्रों के अनुसार, इस दौरे में संयुक्त सैन्य अभ्यास “AUSINDEX” के विस्तार, रक्षा उपकरणों की सह-निर्माण परियोजनाओं और समुद्री निगरानी क्षमता बढ़ाने पर भी चर्चा की जाएगी।
भारत, आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में सहयोगी भूमिका निभाने को तैयार है।
कूटनीतिक दृष्टि से अहम दौरा
राजनाथ सिंह का यह दौरा दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास और सहयोग को नई ऊंचाई देने वाला माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह यात्रा न केवल रक्षा संबंधों को बल्कि आर्थिक, तकनीकी और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को भी मज़बूती प्रदान करेगी।
राजनाथ सिंह की यह यात्रा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गहराते रणनीतिक रिश्तों का प्रतीक है। दोनों देश रक्षा सहयोग के साथ-साथ वैश्विक मंच पर साझा हितों की रक्षा के लिए एकजुट होकर काम कर रहे हैं, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।