Tarique Rahman: बांग्लादेश की राजनीति ने आज एक ऐसा दृश्य देखा, जो आने वाले वर्षों तक याद रखा जाएगा। सत्रह वर्षों के लंबे निर्वासन के बाद बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान आखिरकार लंदन से ढाका लौट आए हैं। उनकी यह वापसी केवल एक नेता के स्वदेश लौटने की घटना नहीं है, बल्कि इसे बांग्लादेश की बदलती राजनीतिक धारा, सत्ता संघर्ष और आगामी आम चुनावों की दिशा तय करने वाले क्षण के रूप में देखा जा रहा है।
तारिक रहमान बांग्लादेश एयरलाइंस की विशेष उड़ान से सिलहट के उस्मानी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रास्ते ढाका पहुंचे। सुबह करीब 9:58 बजे उनके विमान के ढाका क्षेत्र में प्रवेश करते ही सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गईं। हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके आगमन को देखते हुए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। एक बुलेटप्रूफ वाहन पहले से ही हवाई अड्डे पर तैनात कर दिया गया था, जिससे साफ संकेत मिलता है कि प्रशासन किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहता।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक सतर्कता
नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने सुरक्षा कारणों से हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शाम छह बजे तक आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगा दी। एयरपोर्ट परिसर, आसपास की सड़कों और संभावित कार्यक्रम स्थलों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए। विशेष बलों और स्वैट टीमों को अलर्ट पर रखा गया, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से तुरंत निपटा जा सके। यह सब इस बात का प्रमाण है कि तारिक रहमान की वापसी को सरकार और सुरक्षा एजेंसियां कितनी संवेदनशील मान रही हैं।
निर्वासन से सत्ता की दहलीज तक
तारिक रहमान का राजनीतिक सफर विवादों, आरोपों और निर्वासन से भरा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बड़े बेटे तारिक रहमान को लंबे समय तक बांग्लादेश की राजनीति में एक प्रभावशाली लेकिन विवादित चेहरा माना गया। उनके पिता जियाउर रहमान ने सैन्य शासक से राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की। 1977 से 1981 तक राष्ट्रपति रहे जियाउर रहमान की हत्या के बाद बीएनपी का नेतृत्व खालिदा जिया के हाथों में आया। अब वही विरासत तारिक रहमान के कंधों पर दिखाई देती है।
लंदन से ढाका तक की यात्रा
बुधवार रात करीब 9:30 बजे तारिक रहमान लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पहुंचे थे। वहां यूके में रह रहे बीएनपी के नेता और समर्थक उन्हें विदा करने के लिए मौजूद थे। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद विमान ने रात 12:30 बजे ढाका के लिए उड़ान भरी। इस यात्रा में उनके साथ पत्नी डॉ. जुबैदा रहमान और बेटी बैरेस्टर जाइमा रहमान भी हैं। पार्टी के लगभग पचास वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता भी इसी उड़ान से बांग्लादेश लौटे, जिससे यह यात्रा एक तरह का राजनीतिक संदेश बन गई।
ढाका में दिनभर का कार्यक्रम
ढाका पहुंचने के बाद तारिक रहमान कुछ समय के लिए एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज ‘राजनिगंधा’ में रुकेंगे। इसके बाद वे सड़क मार्ग से कुरिल होते हुए 300 फीट क्षेत्र में बनाए गए विशाल स्वागत स्थल पर पहुचेंगे। यहां वह जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे बाशुंधरा जी ब्लॉक गेट के रास्ते एवरकेयर अस्पताल जायेंगे, जहां वह अपनी अस्वस्थ मां और बीएनपी अध्यक्ष खालिदा जिया के साथ समय बिताएंगे।
समर्थकों का सैलाब और सियासी संदेश
तारिक रहमान के स्वागत में जुलाई 36 एक्सप्रेसवे पर तड़के से ही हजारों समर्थक जुटने लगे थे। ठंडे मौसम की परवाह किए बिना लोग रात भर वहीं डटे रहे, ताकि अपने नेता की एक झलक पा सकें। जैसे-जैसे दिन चढ़ा, देश के विभिन्न हिस्सों से बस, ट्रेन और नावों के जरिए समर्थक पहुंचते रहे। एक्सप्रेसवे पूरी तरह भर गया और आसपास के इलाकों से बीएनपी कार्यकर्ता जुलूसों के रूप में कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे। यह दृश्य साफ बता रहा था कि बीएनपी इस वापसी को शक्ति प्रदर्शन के रूप में पेश करना चाहती है।
आगामी चुनाव और राजनीतिक मायने
बीएनपी के प्रवक्ता रुहुल कबीर रिज़वी ने तारिक रहमान की वापसी को “निर्णायक राजनीतिक क्षण” बताया है। फरवरी में होने वाले आम चुनावों से पहले उनकी वापसी पार्टी के लिए नई ऊर्जा का स्रोत मानी जा रही है। लंबे समय से नेतृत्व के अभाव से जूझ रही बीएनपी को अब एक ऐसा चेहरा मिला है, जो संगठन को एकजुट कर सकता है।
भारत और क्षेत्रीय राजनीति की नजर
तारिक रहमान की वापसी पर भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया की नजर है। मौजूदा हालात में, जब बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता और कट्टरपंथी दबाव से जूझ रहा है, तब बीएनपी का भविष्य और उसका नेतृत्व क्षेत्रीय संतुलन को प्रभावित कर सकता है। भारत के लिए यह जरूरी है कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत रहे और सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्ण तरीके से हो।
भविष्य की राजनीति का संकेत
तारिक रहमान की यह वापसी केवल अतीत की वापसी नहीं है, बल्कि यह आने वाले समय की राजनीति का संकेत भी है। सवाल यह है कि क्या वह अपने समर्थकों की उम्मीदों पर खरे उतर पाएंगे और बांग्लादेश को स्थिरता की ओर ले जाएंगे, या फिर यह वापसी नई राजनीतिक टकराव की शुरुआत साबित होगी।